Organic Farming: हितेश कुमारी ने जैविक खेती से बदली महिलाओं की सोच और ज़िंदगी

हितेश कुमारी की सफलता की कहानी, जिन्होंने जैविक खेती (Organic Farming) को अपनाकर न सिर्फ़ अपनी पहचान बनाई, बल्कि गांव की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी।

Organic Farming जैविक खेती

उत्तर प्रदेश के जनपद अमरोहा के गांव चक छवि की रहने वाली हितेश चौधरी, जिन्हें लोग सम्मानपूर्वक हितेश कुमारी के नाम से जानते हैं, उन्होंने अपने कार्यों से यह साबित कर दिखाया है कि अगर मन में कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो, तो महिलाएं भी खेती के क्षेत्र में नई मिसाल कायम कर सकती हैं।

पिछले 12 वर्षों से खेती से जुड़ी हुई हितेश कुमारी ने जब जैविक खेती (Organic Farming) की राह चुनी, तो ना केवल अपने खेत की उपज और उर्वरता को बेहतर बनाया, बल्कि आसपास की महिलाओं को भी जागरूक किया। उन्होंने गांव की महिलाओं को सिखाया कि खेती सिर्फ़ पुरुषों का काम नहीं है—अगर सही जानकारी और आत्मविश्वास हो, तो महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन सकती हैं और खेती के जरिए अच्छी आमदनी कर सकती हैं। 

जैविक खेती की शुरुआत कैसे हुई? (How did Organic Farming start?)

शुरुआत में हितेश कुमारी भी दूसरी किसानों की तरह पारंपरिक तरीके से ही खेती किया करती थीं। वे अपने खेतों में गेहूं, हल्दी, सरसों और नींबू घास जैसी फ़सलें उगाती थीं। लेकिन उन्हें हमेशा कुछ नया सीखने और अपनाने की चाह रहती थी। नवंबर 2018 में उन्हें पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार द्वारा आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने का मौका मिला।

इस प्रशिक्षण ने उनकी सोच और खेती का तरीका पूरी तरह बदल दिया। वहां उन्हें जैविक खेती (Organic Farming) की तकनीकों, जैविक खाद और कीट नियंत्रण के घरेलू उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी मिली। प्रशिक्षण के बाद उन्होंने पारंपरिक खेती को धीरे-धीरे छोड़कर पूरी तरह से जैविक खेती की ओर कदम बढ़ा दिए। आज वे जैविक खेती की समर्थक ही नहीं, बल्कि एक सफल उदाहरण भी बन चुकी हैं।

जैविक खेती में अपनाई गई तकनीकें (Techniques adopted in Organic Farming)

हितेश कुमारी ने अपने खेतों में बायोजैविक तरीकों से निम्नलिखित उपायों को अपनाया:

  • नीमास्त्र और अग्नास्त्र जैसे प्राकृतिक कीटनाशकों का निर्माण
  • घनजीवामृत, बीजामृत, जीवनामृत और दशपर्णी का उपयोग
  • मल्चिंग तकनीक से मिट्टी की नमी बनाए रखना
  • देसी गाय के गोबर से कंपोस्ट खाद और गोमूत्र से घरेलू जैविक घोलों की तैयारी

इन तरीकों से उन्हें रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर खर्च नहीं करना पड़ा, जिससे खेती की लागत घटी और मुनाफ़ा बढ़ा। जैविक खेती (Organic Farming) ने उन्हें पर्यावरण के अनुकूल और स्वस्थ जीवनशैली की ओर भी प्रेरित किया।

खेती का दायरा और मुख्य फ़सलें (Scope of cultivation and main crops)

हितेश कुमारी के पास कुल 7 एकड़ ज़मीन है, जिसमें से 2 एकड़ पर वे जैविक खेती करती हैं। मुख्य फ़सलें हैं:

इन फ़सलों को वे जैविक तरीकों से उगाकर, बिना किसी रसायन के, बाज़ार में अच्छे दामों पर बेचती हैं।

पशुपालन और जैविक खेती का संबंध (Relationship between animal husbandry and Organic Farming)

हितेश कुमारी की खेती में पशुपालन का अहम योगदान है। उनके पास 3 देसी गायें हैं, जो उनके जैविक खेती (Organic Farming) के सफर में एक मजबूत आधार बन चुकी हैं। ये गायें न केवल दूध देती हैं, बल्कि उनका गोबर और गोमूत्र जैविक खेती के लिए बेहद कीमती संसाधन साबित होते हैं।

वे गोबर से पोषक तत्वों से भरपूर कंपोस्ट खाद तैयार करती हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती है। वहीं, गोमूत्र का उपयोग वे घरेलू कीटनाशक और जैविक घोल बनाने में करती हैं। इनसे उनकी फ़सलें कीटों से सुरक्षित रहती हैं और किसी रसायन की जरूरत नहीं पड़ती। इन उपायों से ना केवल उनके खेत की सेहत बेहतर बनी रहती है, बल्कि फ़सलों का उत्पादन भी पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है।

मार्केटिंग और ब्रांडिंग (Marketing and Branding)

हितेश कुमारी केवल खेती तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि अपने उत्पादों की मार्केटिंग और बिक्री में भी बहुत समझदारी दिखाती हैं। वे अपनी फ़सलें जैसे हल्दी, गेंहू, गुड़ और नींबू घास सीधे लोकल बाज़ार और ग्राहकों को बेचती हैं। इससे उन्हें बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता और मुनाफ़ा सीधे उनके हाथ में आता है।

इसके साथ ही उन्होंने एक PGS ग्रुप भी बनाया है, जो जैविक खेती (Organic Farming) करने वाले किसानों को प्रमाणन की सुविधा देता है। इससे उत्पादों पर ‘जैविक’ का ठप्पा लग पाता है, जो ग्राहकों के भरोसे को और मजबूत करता है। आज हितेश कुमारी सिर्फ़ एक सफल जैविक किसान नहीं, बल्कि एक जैविक खेती की प्रशिक्षक (Trainer) भी बन चुकी हैं। वे अन्य किसानों को भी इस पद्धति की जानकारी देती हैं और उन्हें प्रेरित करती हैं कि वे भी रसायनों को छोड़कर प्रकृति की ओर लौटें।

सम्मान और पहचान (Honors and recognition) 

हितेश कुमारी को उनके काम के लिए कई सम्मान मिले हैं:

  • सामाजिक संगठनों और जिला प्रशासन द्वारा प्रगतिशील महिला किसान का पुरस्कार
  • उत्तर प्रदेश राज्यपाल द्वारा पद्मश्री के लिए नामित
  • जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई मंचों पर आमंत्रण

जैविक खेती से हुए लाभ (benefits of Organic Farming) 

हितेश कुमारी की यह कहानी उन सभी किसानों के लिए प्रेरणा है जो खेती में कुछ नया करना चाहते हैं। जैविक खेती (Organic Farming) ने उन्हें निम्नलिखित लाभ दिए:

  • लागत में भारी कमी
  • मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार
  • स्वास्थ्यवर्धक उत्पादन
  • ग्राहक से सीधा संपर्क
  • सम्मान और पहचान

निष्कर्ष (Conclusion)

हितेश कुमारी जैसे किसानों की कहानियां हमें यह सिखाती हैं कि खेती सिर्फ़ जीविका नहीं, बल्कि बदलाव और सशक्तिकरण का माध्यम भी हो सकती है। जैविक खेती (Organic Farming) अपनाकर उन्होंने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि समाज में एक नई पहचान भी बनाई।

अगर आप भी जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाना चाहते हैं, तो हितेश कुमारी की कहानी आपके लिए प्रेरणा बन सकती है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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