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मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के छोटे से गांव नामपुरा के रहने वाले हेमराज प्रजापति एक मेहनती, युवा और प्रगतिशील किसान हैं। उन्होंने अपने अनुभव और लगन से यह साबित कर दिखाया है कि अगर पूरी ईमानदारी और मेहनत से खेती की जाए, तो यह भी एक सफल और सम्मानजनक व्यवसाय बन सकता है। हेमराज पिछले 10 वर्षों से पूरी तरह से जैविक खेती (Organic Farming) कर रहे हैं।
शुरुआत में उन्हें कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे अपनी मेहनत से खेती में सफलता हासिल की। आज वे ना सिर्फ़ आत्मनिर्भर बन चुके हैं, बल्कि अपने क्षेत्र के कई अन्य किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनकी सफलता की कहानी आज आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बन गई है।
कैसे शुरू की जैविक खेती? (How did you start Organic Farming?)
हेमराज ने खेती की शुरुआत पारंपरिक तरीकों से की थी, लेकिन जब उन्होंने पतंजलि द्वारा आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम (PFSP – Participatory Farmers Support Programme) में हिस्सा लिया, तो उनकी सोच में बदलाव आया। इस ट्रेनिंग में उन्हें जैविक खेती (Organic Farming) के फ़ायदे, तकनीकें और लागत कम करके मुनाफ़ा बढ़ाने के तरीके सिखाए गए।
ट्रेनिंग के तुरंत बाद हेमराज ने अपने पूरे 2 एकड़ खेत में जैविक खेती (Organic Farming) शुरू कर दी। उन्होंने 1 एकड़ ज़मीन पर मौसमी सब्जियां लगाईं और बाकी 1 एकड़ पर तुलसी जैसी औषधीय फ़सल की खेती शुरू की।
खेती की मुख्य फ़सलें (Main crops cultivated)
हेमराज की खेती में विविधता देखने को मिलती है। वे मुख्य रूप से निम्न फ़सलें उगाते हैं:
इन फ़सलों की ख़ास बात यह है कि इन्हें जैविक विधियों से उगाया जाता है, जिससे उपज का स्वाद, पोषण और बाज़ार में मूल्य तीनों ही बेहतर होता है।
जैविक खेती के तरीके और तकनीकें (Methods and Techniques of Organic Farming)
हेमराज के खेती के तरीके पूरी तरह से प्राकृतिक और जैविक हैं। वे किसी भी प्रकार की रासायनिक खाद या कीटनाशक का उपयोग नहीं करते। उनके द्वारा अपनाई गई मुख्य जैविक विधियां इस प्रकार हैं:
1. गोबर खाद और जीवामृत
हेमराज अपने ही खेत में उपलब्ध गोबर और गौमूत्र से जीवामृत और घनजीवामृत तैयार करते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और फ़सलों को पोषण मिलता है।
2. दशपर्णी अर्क का उपयोग
पौधों को कीड़ों से बचाने के लिए वे दशपर्णी अर्क बनाते हैं जो 10 प्रकार की पत्तियों से तैयार होता है। यह एक प्राकृतिक कीटनाशक है जो पूरी तरह सुरक्षित है।
3. कम लागत, अधिक मुनाफ़ा
इन जैविक तकनीकों से हेमराज को बाज़ार से कीटनाशक, उर्वरक या दवाइयां खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ती, जिससे उनका खर्च बहुत कम हो जाता है और मुनाफ़ा बढ़ जाता है।
पशुपालन से भी मिलती है मदद (Animal husbandry also helps)
पशुपालन ने भी हेमराज की खेती को और सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उनके पास 2 गाय और 2 भैंस हैं, जिनसे उन्हें प्रतिदिन गोबर और मूत्र प्राप्त होता है। यही गोबर और गोमूत्र वे जैविक खेती (Organic Farming) में काम आने वाली खाद, जैसे जीवामृत, घनजीवामृत और कीटनाशक घोल तैयार करने में इस्तेमाल करते हैं।
इससे उन्हें बाज़ार से रासायनिक खाद या दवाइयां खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ती, जिससे खेती की लागत काफी हद तक कम हो जाती है। पशुपालन के कारण न केवल उनके खेत की उपजाऊ क्षमता बनी रहती है, बल्कि यह एक अतिरिक्त लाभ का साधन भी बन गया है। हेमराज इस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग कर जैविक खेती को और भी टिकाऊ बना रहे हैं।
बाज़ार में सीधी बिक्री – ग्राहक से सीधा जुड़ाव (Direct Selling in the Market – Direct Connect with the Customer)
हेमराज अपने उत्पादों को खुद ही बाज़ार में बेचते हैं। वे हर रविवार निवाड़ी जिला मुख्यालय में लगने वाले लोकल मार्केट में जाकर बिक्री करते हैं। इसके अलावा वे झांसी के बाज़ार में भी अपने उत्पाद पहुँचाते हैं। उनकी फ़सलों की गुणवत्ता इतनी बेहतरीन है कि ग्राहक उन्हें पहचानते हैं और उन्हीं से खरीदना पसंद करते हैं। इस तरह जैविक खेती (Organic Farming) से उन्हें स्थायी और बढ़िया ग्राहक मिल गए हैं।
PGS समूह से जोड़ा और मिला प्रमाण पत्र (Joined PGS group and got certificate)
हेमराज ने गांव के अन्य किसानों के साथ मिलकर “लकी फार्मर्स ग्रुप” नाम से एक PGS (Participatory Guarantee System) समूह बनाया है। यह समूह DYMT संस्था से प्रमाणित है। PGS सर्टिफिकेशन से उनके उत्पादों को जैविक प्रमाणन मिल गया, जिससे बाज़ार में उन्हें बेहतर दाम मिलने लगे।
अन्य किसानों के लिए बने प्रेरणा (Be an inspiration to other farmers)
हेमराज की मेहनत और सफलता देखकर अब आसपास के 40 से अधिक किसान उनसे जुड़े हुए हैं। वे हेमराज से जैविक खेती (Organic Farming) की ट्रेनिंग लेते हैं और उनके मार्गदर्शन में अपनी खेती सुधार रहे हैं। हेमराज एक बेहतरीन ट्रेनर के रूप में भी काम कर रहे हैं।
कितनी होती है आमदनी? (How much is the income?)
हेमराज की सालाना आमदनी कुछ इस प्रकार है:
- सब्जियों की बिक्री से – करीब ₹1.25 लाख प्रति वर्ष
- तुलसी की बिक्री से – करीब ₹40,000 प्रति वर्ष
इस तरह से उन्हें कुल मिलाकर लगभग ₹1.65 लाख की शुद्ध आमदनी होती है, जो एक छोटे किसान के लिए बड़ी उपलब्धि है – और यह सब कुछ जैविक खेती (Organic Farming) की बदौलत संभव हुआ है।
हेमराज की सोच – सबके लिए प्रेरणा (Hemraj’s thinking – an inspiration for everyone)
हेमराज का मानना है कि “जैविक खेती केवल खेती का तरीका नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का तरीका है।” उन्होंने अपने अनुभवों से यह सीखा कि जैविक विधियां अपनाकर किसान अपनी मिट्टी, सेहत और आमदनी – तीनों को सुधार सकते हैं। उनकी कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि यदि हम रासायनिक खेती छोड़कर जैविक और प्राकृतिक तरीके अपनाएं, तो पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा और किसान का भविष्य भी।
निष्कर्ष (Conclusion)
हेमराज प्रजापति जैसे किसान यह दिखाते हैं कि जैविक खेती (Organic Farming) न केवल पर्यावरण के लिए फ़ायदेमंद है, बल्कि आर्थिक रूप से भी एक स्थायी विकल्प है। कम लागत, बेहतर गुणवत्ता, और बाज़ार में सीधे पहुंच – ये तीन चीजें हेमराज को एक सफल किसान बनाती हैं।
अगर आप भी किसान हैं और अपनी खेती को लाभदायक बनाना चाहते हैं, तो हेमराज की तरह जैविक विधियां अपनाइए और अपने खेत को समृद्ध बनाइए।
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