Natural Farming: एयरफोर्स से रिटायर होकर विजयपाल सिंह ने अपनाई प्राकृतिक खेती और खड़ी की करोड़ों की कंपनी

एयरफोर्स से रिटायर होने के बाद विजयपाल सिंह ने प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को अपनाया, FPC बनाई और देसी गायों व गन्ना यूनिट से 7.5 करोड़ का कारोबार खड़ा किया।

Natural Farming प्राकृतिक खेती

उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के एक छोटे से गांव शेरपुर खेलमऊ से ताल्लुक रखने वाले विजयपाल सिंह ने यह साबित कर दिया है कि अगर कुछ करने का जज़्बा हो, तो ना उम्र मायने रखती है। विजयपाल सिंह भारतीय वायुसेना से सम्मानपूर्वक सेवानिवृत्त हुए, लेकिन रिटायरमेंट के बाद आराम करने के बजाय उन्होंने एक नया रास्ता चुना – खेती का।

हालांकि यह खेती सिर्फ़ आम खेती नहीं थी, बल्कि उन्होंने ऐसा तरीका अपनाया जिसमें ज़मीन की उपज बढ़ती है, लागत घटती है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है – प्राकृतिक खेती। उन्होंने रसायनों से दूर रहकर, देसी गायों और जैविक तरीकों के सहारे खेती की राह अपनाई और दूसरों के लिए एक प्रेरणा बन गए।

किसान उत्पादक संगठन/ FPC की शुरुआत (Launch of Farmer Producer Company) 

साल 2014 में विजयपाल सिंह ने कुछ प्रगतिशील सोच रखने वाले किसानों के सहयोग से एक Farmer Producer Company (FPC) की नींव रखी। इस संगठन में हर किसान ने ₹1000 का शेयर खरीदकर हिस्सा लिया। खुद विजयपाल सिंह को इसका चेयरमैन चुना गया। शुरुआत में यह संगठन किसानों को एकजुट करने और उनकी खेती से जुड़ी समस्याओं को सामूहिक रूप से हल करने के मकसद से बना।

साल 2016 में इस संगठन ने एक बड़ा फैसला लिया – अब वे सभी मिलकर प्राकृतिक खेती और ऑर्गेनिक खेती को अपनाएंगे। इसके लिए सभी किसानों को USOCA, देहरादून से ऑर्गेनिक खेती का प्रमाणपत्र दिलवाया गया। साथ ही किसानों को प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के तौर-तरीकों की बाकायदा प्रशिक्षण भी दिया गया, ताकि वे बिना रासायनिक खाद और कीटनाशकों के खेती करना सीख सकें।

देसी गायों का डेयरी फ़ार्म और घन जीवामृत की सप्लाई (Dairy Farm of indigenous Cows and supply of Ghan Jeevamrit)

विजयपाल सिंह ने सिर्फ़ खेती तक ही सीमित न रहकर, एक देसी साहीवाल गायों का डेयरी फ़ार्म भी शुरू किया। आज उनके फ़ार्म में 40 देसी गायें और 4 भैंसें हैं। यह फ़ार्म पूरी तरह से प्राकृतिक तरीकों से संचालित होता है, जिसमें जानवरों को जैविक चारा दिया जाता है और कोई भी रासायनिक दवा इस्तेमाल नहीं होती।

इस डेयरी की एक खास बात यह है कि यहां पर बड़े स्तर पर घनजीवामृत और जीवामृत तैयार किया जाता है। ये दोनों प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के लिए बहुत ही उपयोगी जैविक खाद और पोषण तत्व हैं। विजयपाल जी इनका उत्पादन करके सिर्फ़ अपने खेतों में ही नहीं, बल्कि उन किसानों को भी सप्लाई करते हैं जो इन्हें खुद तैयार नहीं कर पाते। ये घोल सीधे टैंकरों के माध्यम से किसानों के खेतों तक पहुंचाए जाते हैं, ताकि वे भी आसानी से प्राकृतिक खेती (Natural Farming) का लाभ उठा सकें।

गन्ना प्रोसेसिंग यूनिट और 7.5 करोड़ का टर्नओवर (Sugarcane Processing Unit and turnover of 7.5 crores) 

साल 2017 में विजयपाल सिंह की अगुवाई में एफपीसी ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की – एक गन्ना प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत की गई। इस यूनिट में किसानों द्वारा उगाई गई ऑर्गेनिक गन्ने से गुड़, शक्कर और खांड जैसे उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत ₹20 लाख के बैंक लोन से की गई थी, लेकिन आज यही यूनिट ₹7.5 करोड़ का सालाना टर्नओवर कर रही है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी सफलता है।

यह प्रोसेसिंग यूनिट Onecert India Ltd से प्रमाणित है और यह NOP (National Organic Program) के सभी मानकों को पूरा करती है। इस यूनिट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे जुड़े सभी किसान अपनी ऑर्गेनिक गन्ना फ़सल को यहीं प्रोसेस करवाते हैं, जिससे उन्हें उचित मूल्य मिलता है और बिचौलियों की भूमिका भी खत्म हो गई है। इस पहल से न सिर्फ़ किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई, बल्कि प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत मंच भी तैयार हुआ है।

खेती में अपनाए गए प्राकृतिक तरीके (Natural methods adopted in Farming) 

विजयपाल जी की प्राकृतिक खेती (Natural Farming) की पद्धति में निम्नलिखित बातें खास हैं:

  • घनजीवामृत, जीवामृत और नीम की खली से ज़मीन को उपजाऊ बनाया जाता है।
  • प्रति एकड़ 10 क्विंटल घनजीवामृत और 250 किलो नीम खली मिलाई जाती है।
  • फ़सल को सिंचाई के साथ-साथ स्प्रे के रूप में 2-3 बार जीवामृत दिया जाता है।
  • नीमास्त्र और नीम खली के अर्क से कीट नियंत्रण होता है।
  • ट्राइकोडर्मा और प्सूडोमोनास जैसी जैविक दवाओं से फफूंदी पर नियंत्रण किया जाता है।
  • गन्ने की कटाई के बाद ग्रीन मैन्यूरिंग और मल्चिंग की जाती है।

उनके द्वारा उगाई जाने वाली फ़सलें (The Crops they Grow) 

विजयपाल सिंह अपने 5 एकड़ खेत में प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के माध्यम से ये फ़सलें उगाते हैं:

  • गन्ना
  • गेहूं
  • धान
  • हरा चना
  • आलू
  • प्याज़
  • मूंग (बीच की फ़सल में अंतरवर्तीय खेती के रूप में)

दूध और शुद्धता का मेल (Combination of Milk and Purity) 

उनका ऑर्गेनिक दूध भी काफी मशहूर है जिसे वे ₹65 प्रति लीटर की दर से बेचते हैं। यह दूध पूरी तरह से देसी गायों से प्राप्त होता है और इसे भी बिना केमिकल के बनाए गए चारे से पाला जाता है।

सरकार से सहयोग और प्रमाणन (Support and Certification from the Government) 

  • एफपीसी ऑफिस खर्च के लिए सरकार से ₹4 लाख की सहायता मिली।
  • सभी किसानों की खेती और प्रोसेसिंग यूनिट को USOCA और Onecert India Pvt. Ltd से ऑर्गेनिक प्रमाणपत्र मिला है।

ब्रांडिंग और बाज़ार में पहचान – JEEVAMRIT (Branding and Recognition in the Market – JEEVAMRIT) 

विजयपाल सिंह ने सिर्फ़ खेती और उत्पादन तक ही खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि अपने उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर भी विशेष ध्यान दिया। उन्होंने गुड़, शक्कर और खांड जैसे उत्पादों को एक खास नाम दिया – JEEVAMRIT यही ब्रांड अब उनकी पहचान बन गया है।

इस ब्रांड के अंतर्गत तैयार किए गए सभी उत्पाद पूरी तरह से प्राकृतिक खेती (Natural Farming) पर आधारित होते हैं। यही कारण है कि इनकी मांग न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी तेजी से बढ़ रही है। ये ऑर्गेनिक उत्पाद खासतौर पर उन खरीदारों तक पहुंचते हैं जो स्वास्थ्य को लेकर सजग रहते हैं और रासायनिक पदार्थों से दूर रहना चाहते हैं।

JEEVAMRIT ब्रांड के तहत बेचे जाने वाले उत्पादों की कीमत ₹65 से ₹80 प्रति किलो तक जाती है। अच्छे दाम मिलने से किसानों को भी लाभ मिलता है और बाज़ार में एक भरोसेमंद नाम बन चुका है।

सालाना कमाई और सफलता (Annual Earnings and Success) 

प्राकृतिक खेती, डेयरी और जैविक उत्पादों के ज़रिए विजयपाल सिंह की सालाना शुद्ध कमाई लगभग ₹10-12 लाख तक पहुंच चुकी है। यह कमाई इस बात का प्रमाण है कि अगर सही दिशा और मेहनत के साथ काम किया जाए, तो प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से भी अच्छी आमदनी संभव है।

उनकी इस सफलता ने न केवल उनके जीवन को बदला है, बल्कि कई और किसानों को भी प्राकृतिक खेती की राह पर चलने की प्रेरणा दी है।

सम्मान और पहचान (Honors and Recognition) 

विजयपाल सिंह को उनकी मेहनत, ईमानदारी और प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के प्रति समर्पण के लिए कई बड़े मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें उत्तराखंड के राज्यपाल, कृषि विभाग, जिला उद्योग विभाग सहित कई संस्थानों से सराहना मिल चुकी है। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी उनकी प्रशंसा की गई है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह सम्मान न केवल विजयपाल सिंह की मेहनत को मान्यता देता है, बल्कि उन सभी किसानों के लिए प्रेरणा है जो प्राकृतिक खेती अपनाकर कुछ नया करना चाहते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion) 

विजयपाल सिंह की कहानी हमें बताती है कि प्राकृतिक खेती (Natural Farming) ना केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है बल्कि आर्थिक रूप से भी किसानों को सशक्त बना सकती है। आज जब किसान रासायनिक खेती से परेशान हैं, ऐसे में यह एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकता है। अगर आप भी खेती से जुड़े हैं और कुछ नया करना चाहते हैं तो विजयपाल जी की तरह प्राकृतिक खेती को अपनाकर एक नई शुरुआत कर सकते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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