किसानों का Digital अड्डा

Makhana Farming: मखाने की खेती में छत्तीसगढ़ के किसान गजेंद्र चंद्राकर ने अपनाई उन्नत तकनीक

धान का कटोरा छत्तीसगढ़ बन रहा मखाने का उत्पादक

इस विधि द्वारा मखाने की खेती 1 फ़ीट तक पानी से भरी कृषि भूमि में की जाती है। किसान अब मखाने की खेती कर, धान से ज़्यादा मुनाफ़ा कमा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के किसान इस सुपर फ़ूड मखाने की खेती को लेकर काफ़ी जागरूक हो गए हैं।

0

kisan of india whatsapp link

मखाने की खेती (Fox Nut ‘Makhana’ Farming): कौन कहता है कि छत्तीसगढ़ में सिर्फ़ परंपरागत खेती ही है, अगर आप भी यही सोचते हैं तो इस आर्टिकल से शायद आपकी अवधारणा छत्तीसगढ़ के लिए बदल जाए। राज्य के किसान अब मखाने की खेती कर, धान से ज़्यादा मुनाफ़ा कमा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के किसान इस सुपर फ़ूड मखाने की खेती को लेकर काफ़ी जागरूक हो गए हैं।

मखाने की खेती मुनाफ़े की उपज

राजधानी रायपुर के आरंग क्षेत्र के लिंगाडीह गांव में किसान गजेंद्र चंद्राकर 25 से 30 एकड़ खेत में मखाने की खेती कर रहे हैं। मखाने की खेती को लेकर किसान ऑफ इंडिया ने उनसे बात की। किसान ने बताया कि मखाने की खेती धान की तुलना में आय में दोगुनी वृद्धि करने के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकती है क्योंकि राज्य में धान की फसल के बाद 6 महीने से 8 महीने तक नमी रहती है।

ऐसी स्थिति में ज़्यादातर क्षेत्रों में कोई प्रॉफिटेबल क्रॉप सब्सीट्यूट के रूप में अल्टरनेटिव फार्मिंग के रूप में नहीं उपजाया जाता। अब स्थिति बदली है। मखाने की फसल एक बढ़िया विकल्प बन रही है। किसान अपनी भूमि खाली छोड़ने के बजाय इसी नमी वाली भूमि पर ही पानी का स्तर बरकरार रख कर मखाने की खेती कर सकते हैं।

मखाना उगाने में कितना समय लगता है?

मखाने की खेती में करीब 6 महीने का समय लगता है। 1 एकड़ में करीब 10 से 15 क्विंटल तक उत्पादन होता है। इसके बीज की कीमत 80 से 100 रुपये प्रति किलो होती है। इस लिहाज़ से 1 एकड़ में लगभग 80 हज़ार से लेकर 1 लाख रुपये तक 6 महीने में आराम से कमाई हो सकती है। सबसे बड़ी बात है कि धान के मुकाबले इसको न तो ज़्यादा बारिश से नुकसान है और न ही जानवरों से। ये पानी के भीतर तालाबनुमा पोखर में होता है।

मखाने की खेती

मखाना की खेती कैसे करें?

मखाने की खेती करने की नई विधि राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केन्द्र, दरभंगा द्वारा विकसित की गई है। इस विधि द्वारा मखाने की खेती 1 फीट तक पानी से भरी कृषि भूमि में की जा सकती है। इस नई विधि में मखाने की खेती का समय 6 महीने से घटकर चार महीने का रह जाता है।

Kisan Of India Instagram

मखाने की खेती की उन्नत विधि

  • धान की नर्सरी की तरह मखाने की नर्सरी भी तैयार की जाती है। मखाने की इस खेत प्रणाली में जनवरी-फरवरी में नर्सरी तैयार की जाती है।
  • 45 से 60 दिन की नर्सरी रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।
  • धान की तरह मखाना फसल की रोपाई, पौधे से पौधे और कतार से कतार 1 मीटर की दूरी पर करते हैं। प्रति एकड़ 4000 पौधे की रोपाई की जाती है।
  • रोपाई के 2 महीने के बाद बैंगनी रंग का फूल खिलता है। 
  • 35-40 दिनों बाद फल पूरी तरह से विकसित हो जाता है।
  • सितंबर आखिरी या अक्टूबर में इसकी कटाई कर ली जाती है।
  • 1 मजदूर औसतन 15 से 20 किलो मखाना बीज की निकासी आसानी से कर लेता है।
  • लगभग 2.5 से 3 टन बीज प्रति हेक्टेयर या 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ का उत्पादन होता है।

मखाने की खेती

Kisan of India Facebook

मखाने की खेती में जल प्रबंधन कैसे किया जाए? 

जलीय पौधा होने की वजह से मखाने की खेती के लिए हमेशा जल की व्यवस्था रखना बहुत ज़रुरी है। खेतों में 1 फ़ीट पानी भरा रहना ज़रूरी होता है।

मखाने की खेती में खरपतवार नियंत्रण

मखाने की खेती में अन्य फसलों की तुलना में खरपतवार की समस्या न के बराबर होती है।  समय-समय पर जलीय खरपतवार, हाईड्रीला और अजोला को निकालते रहना चाहिए जो मछलियों के आहार के रूप में भी उपयोग आता है।

मखाने की खेती
किसान गजेंद्र चंद्राकर के मखाना के खेत में काम करने वाले शिव

मखाने खाने के फ़ायदे

हम सभी ने दादी-नानी से मखाने के फ़ायदे तो ज़रूर सुने हैं पर शायद उनकी बातें अब अमल में लाना भूल चुके हैं। आइए उनकी ही बातों को आधुनिक विज्ञान की मुहर के साथ फिर याद दिलाते हैं-

  • ये इम्युनिटी बढ़ाने के साथ-साथ कुपोषण दूर करने में भी असरदार होता है।
  • न्यूट्रिशन रिच फ़ूड है। इसकी विश्व स्तर पर अच्छी मांग है।
  • कई औषधीय गुण भी हैं। इसमें कैल्शियम, मैग्निशियम, आयरन, जिंक पाया जाता है, जो मखाना को सुपर फ़ूड की कैटेगरी में रखता है।
  • इसमें प्रोटीन की मात्रा अच्छी होती है। फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  • रात को सोते समय दूध के साथ मखाने का सेवन करने से नींद न आने की समस्या भी दूर होती है।
  • मखाने का नियमित सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।
  • मखाना शरीर के अंग को सुन्न होने से बचाता है और घुटनों, कमर दर्द को पैदा होने से रोकता है। मखाने में जो प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, मिनरल और फास्फोरस आदि पोषक तत्व होते हैं. वे पुरुषों के लिए बेहद फ़ायदेमंद माने गए हैं।
  • इस सुपरफ़ूड की खेती से किसानों की आय और आपके शरीर में नूट्रिशियन की मात्रा दोनों ही दोगुनी होती है।

मखाने की खेती 3

इस लेख के दूसरे भाग में हम आपको मखाने की प्रोसेसिंग के बारे में बताएंगे कि कैसे और किस तरह से किसान मखाने की प्रोसेसिंग कर मखाने की खेती से लाभ ले सकते हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या kisanofindia.mail@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.