खेती में नए प्रयोग करने वाले किसानों की मेहनत और सूझ-बूझ ही उन्हें सफल बनाती है। ऐसे ही एक प्रगतिशील किसान हैं तनवीर आलम (Tanveer Alam is a progressive farmer)। 45 साल के तनवीर आलम उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के तहसील सितारगंज के गांव बघौरी के रहने वाले हैं। उन्होंने ने अपनी 12.5 एकड़ (5 हेक्टेयर) ज़मीन पर पारंपरिक खेती के साथ-साथ Multi-crop farming (बहु-फसली, जिसे पॉलीकल्चर भी करते हैं) का सफल प्रयोग किया है। उनकी इस नई तकनीक ने न सिर्फ़ उनकी आमदनी बढ़ाई है, बल्कि दूसरे किसानों के लिए भी एक मिसाल कायम की है।
पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर (Moving Beyond Traditional Farming)
तनवीर आलम पहले भी मोटा धान, गेहूं, मटर और सरसों की खेती करते थे, लेकिन पिछले साल उन्होंने अपनी 3 एकड़ ज़मीन पर एक नया प्रयोग किया, एक ही खेत में एक साथ कई फसलें उगाना।
उन्होंने सबसे पहले गेहूं बोया। गेहूं की कटाई के बाद उसी खेत में धान लगाया। धान की कटाई के बाद गन्ना बो दिया और गन्ने के साथ-साथ सरसों की भी बिजाई कर दी। आज उनके खेत में गन्ना और यूकेलिप्टस (सफेदा) के पेड़ साथ-साथ फल-फूल रहे हैं।
कैसे करते हैं ये अनोखी खेती? (How Do They Do This Unique Farming?)
तनवीर आलम ने अपने खेत में 25 फीट की दूरी पर यूकेलिप्टस के पेड़ लगाए। इन पेड़ों के बीच में उन्होंने गेहूं बोया। गेहूं की कटाई के बाद उसी जगह पर धान लगाया। धान की कटाई के बाद गन्ने की रोपाई की और गन्ने के ऊपर से सरसों बो दी। इस तरह, एक ही खेत से उन्हें चार अलग-अलग फसलों का उत्पादन मिला।
फसलों का उत्पादन और आमदनी (Crop Production And Income)
- सरसों: इस बार उनके खेत से 15 क्विंटल सरसों का उत्पादन हुआ।
- गन्ना: उम्मीद है कि इस साल 1000 क्विंटल गन्ना निकलेगा।
- गेहूं: प्रति एकड़ 20-22 क्विंटल पैदावार होती है।
- धान: प्रति एकड़ 22-25 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है।
इस तरह, एक ही खेत से कई फसलें लेकर तनवीर आलम ने न सिर्फ़ ज़मीन का बेहतर इस्तेमाल किया, बल्कि अपनी आय भी कई गुना बढ़ा ली।
तनवीर आलम की खेती का टाइम टेबल (Tanveer Alam’s Farming Time Table)
- 20 मई के आसपास: धान की पौध तैयार करना शुरू करते हैं।
- जून के अंत तक: धान की रोपाई कर देते हैं।
- सितंबर के बाद: धान की कटाई के बाद सरसों और मटर की बिजाई कर देते हैं।
इस तरह, सालभर खेत में कोई न कोई फसल लगी रहती है, जिससे ज़मीन बेकार नहीं पड़ती और लगातार आमदनी होती रहती है।
मल्टी क्रॉप फॉर्मिंग के फायदे (Advantages Of Multi Crop Farming)
1.ज़मीन का पूरा इस्तेमाल: एक ही खेत से कई फसलें मिलती हैं।
2.आमदनी बढ़ती है: अलग-अलग फसलों से कमाई होती है।
3.मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है: अलग-अलग फसलें लेने से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी नहीं होती।
4.कम लागत, ज़्यादा मुनाफ़ा: एक बार खेत तैयार करने के बाद कई फसलें ली जा सकती हैं।
दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा (Inspiration For Other Farmers)
तनवीर आलम की ये सफलता दिखाती है कि अगर किसान पारंपरिक तरीकों से हटकर नए प्रयोग करें, तो खेती भी मुनाफ़े का सौदा बन सकती है। उनकी इस तकनीक को देखकर आसपास के कई किसान भी अब मल्टी-क्रॉप फार्मिंग की तरफ़ रुख कर रहे हैं।
तनवीर आलम जैसे किसान साबित करते हैं कि खेती में नई सोच और मेहनत से कमाल किया जा सकता है। उन्होंने साबित किया कि अगर सही तरीके से खेती की जाए, तो बड़ा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। उनकी ये सफलता न सिर्फ़ उनके लिए, बल्कि पूरे किसान समुदाय के लिए एक मिसाल है।
“खेती में नए प्रयोग करो, मेहनत करो सफलता.. ज़रूर मिलेगी’’- तनवीर आलम
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