Bee Keeping Startup: जानिए कैसे उद्यमी स्टार्ट अप बढ़ा रहे हैं मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों की कमाई?

मधुमक्खी पालन से बुंदेलखंड के इस ज़िले के किसानों की बढ़ रही है आय

मौसम अनुकूल हो और थोड़ी तकनीकी जानकारी जुटा लें तो कम लागत में अच्छी कमाई का स्रोत है मधुमक्खी पालन

खेती-किसानी करने के साथ ही किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए मधुमक्खी पालन को व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं। किसानों को शहद प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने में सरकार से भी आर्थिक मदद मिल सकती है। इसलिए अगर आप भी अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं तो मधुमक्खी पालन के काम में हाथ आजमा सकते हैं। मधुमक्खी पालन के लिए आपको कुछ बुनियादी जानकारी जुटाने के अलावा मधुमक्खी पालन की वैज्ञानिक तकनीक के बारे में पता होना चाहिए। इसके लिए आप कृषि विज्ञान केंद्र या अन्य कृषि विशेषज्ञों से परामर्श कर सकते हैं। किसान ऑफ इंडिया पर भी हम भी मधुमक्खी पालन में लगे लोगों के अनुभवों और तरीकों को आपके सामने लाते रहे हैं, वहां से भी आपको जानकारी मिल सकती है। आगे हम बताएंगे कि किस तरह बुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर जिले के किसानों की कमाई भी मधुमक्खी पालन के बाद काफी बढ़ गई है।

मधुमक्खी पालन के लिए उपयुक्त वातावरण

बुंदेलखंड मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश का वो क्षेत्र है, जहां गर्मी ज्यादा होती है। यहां के हमीरपुर जिले में भी गर्मी बहुत अधिक होती है और ठंड के मौसम में कड़ाके की सर्दी होती है। कृषि विज्ञान केंद्र ने यहां एक सर्वे किया और पाया कि जिले में तिल, ज्वार, बाजरा, तोरिया, सरसों, बरसीम, सूरजमुखी आदि के अलावा बागवानी फसलें जैसे-मौसंबी, नींबू, अमरूद, आंवला, पपीता और खीरा आदि की सफल खेती की जाती है। इसके अलावा बबूल, सिसो, करंज, अर्जुन, नीम, पलास, नीलगिरी और मोरिंगा आदि के पेड़ और धनिया, सौंफ, प्याज और मेथी, आदि की भी अच्छी खेती होती है। इस क्षेत्र की पर्यावरणीय परिस्थितियों और फसलों के पैटर्न को देखते हुए वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि मधुमक्खी पालन के लिए यह क्षेत्र बहुत उपयुक्त है और इसके ज़रिए किसान अपने जीवनस्तर में सुधार कर सकते हैं।

आय दोगुनी करने के लिए योजना

कृषि विज्ञान केंद्र और बांदा कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की टीम ने मिलकर इस क्षेत्र के किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए एक परियोजना की शुरुआत की जिसका नाम रखा “मधुमक्खी पालन का उद्यमी स्टार्ट-अप”। इसके तहत किसानों, ग्रामीण युवाओं और स्कूल छोड़ चुके युवाओं का एक समूह बनाया गया। इस तरह के कुल 7 समूह बनाए गए और वैज्ञानिकों ने इनके साथ मिलकर वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन पर फ्रंटलाइन डिमॉन्स्ट्रेशन किया, जिसमें मधुमक्खी के छत्ते और बुनियादी उपकरणों के बारे में जानकारी देने के साथ ही कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया।

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इससे किसानों को वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन में मदद मिली।मधुमक्खी पालन के लिए गर्मी के मौसम में पानी जमा होने और सीधी गर्म हवा न आने वाली जगहों का चयन किया गया और जहां पीने के पानी के स्रोत थें। मधुमक्खी कॉलोनियों को वैज्ञानिक तरीके से इन जगहों पर स्थानांतरित किया गया। इतना ही नहीं विशेषज्ञ किसान औ युवाओं के बनाए समूह को समय-समय पर मधुमक्खी पालन के प्रबंधन से जुड़ी सलाह भी देते रहते थें।

मधुमक्खी पालन
तस्वीर साभार: ICAR

मुनाफ़े का व्यवसाय

  • हमीरपुर जिले में किसानों और युवाओं के समूह द्वारा अधिकतम 146 किलो शहद और 63 किलो मधुमक्खी का पराग निकाला गया।
  • मधुमक्खियों की अधिकम संख्या 180 फ्रेम रिकॉर्ड की गई, जबकि न्यूनतम संख्या 80 फ्रेम रही।
  • हमीरपुर जिले में 50 कॉलोनियों के चलाने का औसत खर्च 25,017 रुपए प्रति यूनिट था। अधिकतम खर्च 28,750 रुपए प्रति यूनिट और न्यूनतम 21,950 रुपए प्रति यूनिट था।
  • प्रति यूनिट करीब 83,112 रुपए का लाभ हुआ। हमीरपुर जिले में मधुमक्खी पालन से शुद्ध लाभ 51,780.0 से 72,137.0 रुपये था, जिसमें शहद, पराग और मधुमक्खियों से प्राप्त आय शामिल है।

इस क्षेत्र में मधुमक्खी पालन के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने पर किसानों समूह और विशेषज्ञों ने पाया कि यदि सही तरीके से इसे किया जाए तो यहां के किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है।

आप भी मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आपको सरकार की ओर से भी मदद मिलेगी। सरकार शहद प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना में मदद करती है। वह प्लांट लगाने लिए कुल खर्च का 65 फीसदी हिस्सा कर्ज के तौर पर देती है और इसके अलावा सरकार 25 फीसदी की सब्सिडी भी देती है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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