Table of Contents
AI के इस ज़माने में जहां तकनीक का इस्तेमाल हर क्षेत्र में इस कदर बढ़ गया है कि उसके बिना काम की अब कल्पना भी नहीं की जा सकती, तो भला खेती क्यों इसमें पीछे रहे जिसका देश की जीडीपी में अहम योगदान है। खेती में भी हर दिन बहुत कुछ नया हो रहा और अब किसानों की ट्रेनिंग को नए स्तर पर लाने की पहल की है HindXR के फाउंडर & CEO आदित्य वालिया ने।
वर्चुअल ट्रेनिंग एप्लीकेशन के ज़रिए वो VR तकनीक से खेती की ट्रेनिंग को आसान और असरदार बनाने का प्रयास कर रहे हैं। किसानों को Real-time Virtual Training से क्या फ़ायदे होंगे, HindXR कंपनी किस तरह से काम करती है, इन सभी मुद्दों पर उन्होंने विस्तार से चर्चा की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली से।
VR तकनीक को लाने का मक़सद
HindXR के फाउंडर और CEO आदित्य वालिया का कहना है कि भारत बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था है और उसमें और बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है। यहां मैन पावर तो बहुत है, मगर उन्हें स्किल्ड करने की ज़रूरत है। इसके लिए स्किल्ड करने के जो साधन जैसे किताबें, लाइब्रेरी, कॉन्टेंट आदि, को उस मैन पावर तक कैसे पहुंचाया जाए, ये काम HindXR कर रही है। ये एक एप्लीकेशन है जिसमें किसानों को उनकी ज़रूरत के हिसाब से VR तकनीक से प्रशिक्षण दिया जाता है।
इसमें एक जगह ज़रूरत के हिसाब से कॉन्टेंट क्रिएट होता है और फिर मोबाइल एप्लिकेशन के ज़रिए किसानों तक पहुंचाया जाता है। जैसे जहां धान की खेती होती है, वहां पौधों में कौन-सी बीमारियां हो सकती है, केमिकल का कैसे इस्तेमाल करना है, प्रीसेसशन फार्मिंग कैसे करनी है, मौसम के बारे में जानकारी, किसान खुद को कैसे सुरक्षित रख सकता है… जैसे कॉन्टेंट बनाकर किसानों तक पहुंचाने का काम HindXR कर रही है।
कैसे हुई HindXR की शुरुआत?
आदित्य वालिया बताते हैं कि वो मेरठ से हैं और उनके क्षेत्र में गन्ने की खेती बहुत होती है। हालांकि उनका कृषि से कोई सीधा संबंध नहीं है, मगर उनकी माता जी काश्तकार बैकग्राउंड से हैं। उन्होंने नेशनल लॉ स्कूल से पढ़ाई की। फिर कई बड़ी कंसल्टेंसी फर्म के साथ काम किया। उसके ज़रिए ही कुछ समय तक कृषि विभाग में काम किया। फिर उन्होंने तकनीक और नई आने वाली तकनीक को कैसे सरल तरीके से किसी भी समाज चाहे तब पहुंचा सकते हैं, इसका खेती में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है इसकी पढ़ाई खुद ही करने लगें और यहीं से HindXR की उपज हुई।
HindXR किसानों के लिए कैसे फ़ायदेमंद है?
आदित्य वालिया कहते हैं कि उनकी कंपनी skilling और reskilling पर काम करती है। HindXR ने न सिर्फ भारत, बल्कि थाईलैंड, अफ्रीका, चिली (साउथ अमेरिका) में भी काम किया है। कई देश में सैटेलाइट कैंप लगाए। वो कहते हैं कि इस दौरान उन्हें ये समझ आया कि स्मार्टफोन पूरी दुनिया में हैं, तो क्यों न उसे माध्यम बनाकर ऐसा कॉन्टेंट बनाया जाए जो सिर्फ देखा न जाए, बल्कि असल में लोग उसका इस्तेमाल कर सके।
गेमेफाइड एप्लीकेशन बनाती है कंपनी
आदित्य वालिया का कहना है कि ब्रॉडकास्टिंग चैनल पर बहुत-सी चीज़ें दिखाई जाती है, मगर उसमें आप कुछ कर नहीं सकते, क्योंकि वो गेमेफाइड नहीं होती है। गेमेफाइड का मतलब है कि वीडियो देखने के बाद उसमें आप गेम की तरह कुछ कर भी सकते हैं। जैसे आपको एक वीडियो दिखाया जाता है और बोला जाता है कि एक 3 इंच का गड्ढ़ा करना है, इसमें इस एंगल से बीज डालना है, मौसम के बारे में क्या ध्यान रखना है आदि। तो इस तरह से एक तरफ तो किसानों को जानकारी मिलती है, मगर सिर्फ जानकारी देना काफी नहीं है, उनसे प्रैक्टिस करवाना भी ज़रूरी है।
तो ये जानकारी देने के बाद HindXR के एप्लीकेशन में गेम के माहौल में किसानों से वो काम करवाया जाता है वर्चुअली, मगर वो गेम नहीं होता है, सब बिल्कुल असली लगता है। किसान सब कुछ करता है, जैसे गड्ढा खोदने के लिए ये बटन दबाए, ड्रैग करके बीज को सही जगह पर ले जाता है। ये सब रियल में होता नहीं है, मगर क्योंकि वो वर्चुअली ये सब काम करता है तो उसे पता चल जाता है कि सही तकनीक क्या है।
यही नहीं VR हेडसेट पहनकर वो खेत में काम करने का एकदम असली अनुभव प्राप्त कर सकता है। आदित्य वालिया का कहना है कि उनके यहां कॉन्टेंट ऐसे क्रिएट किया जाता है कि लगता है सचमुच में किसान खेत में काम कर रहे हैं।
खेती में कैसे होगा इस्तेमाल?
खेती में VR तकनीक के इस्तेमाल के बारे में आदित्य वालिया का कहना है कि एक बार उनके एक क्लाइंट ने कहां कि किसानों किसी कंपनी ने सेफ फार्मिंग प्रैक्टिस से जुड़ी मैनुअल ट्रेनिंग तो दी है, मगर वो उन्हें वर्चुअल ट्रेनिंग दे। दरअसल, भारत में ट्रेनिंग के बाद भी बहुत से किसान केमिकल छिड़काव के दौरान सही तरीके से पीपीई किट नहीं पहनते हैं, कुछ तो मास्क और चप्पल तक भी नहीं पहनते हैं। फिर उनकी कंपनी ने वर्चुअली सेफ फार्मिंग प्रैक्टिस की ट्रेनिंग दी, जिसमें उन्हें वर्चुअली सही तरीके से इसे पहनना सिखाया गया। इसमें उनके सामने एक पुतला (mannequin) बनाया गया और वर्चुअली उन्हें उसे सही उपकरण पहनाने थे।
आइने में देखने पर किसानों को लग रहा था कि वो खुद वो पहन रहे हैं। ऐसा करने में उन्हें मज़ा भी आ रहा था क्योंकि ये एक गेम की तरह था और इस तरह से अभ्यास करने पर चीज़ें उनके दिमाग में गहराई से बैठ भी जाती है। आगे वो कहते हैं कि थाइलैंड में उन्हें वर्चुअल रियालिटी बेस्ड ट्रेनिंग का टास्क मिला था और जब 5 महीने बाद रिज़ल्ट देखा गया तो Retention rate (याद रखना) 85% से भी अधिक था। वो बताते हैं कि VR तकनीक की मदद से वर्चुअली बड़े पैमाने पर कम क़ीमत में ट्रेनिंग देना संभव है।
वर्चुअल ट्रेनिंग मैनुअल ट्रेनिंग से कितनी अलग है?
आदित्य वालिया का कहना है कि मैनुअल ट्रेनिंग में सीखी या सुनी हुई बातें किसानों को याद नहीं रहती और न ही वो कोई नोट्स बनाकर रखते हैं। जबकि वर्चुअल ट्रेनिंग उनके पास स्मार्टफोन में एप्लीकेशन के रूप में रहती हैं, जिसे वो जब चाहे देख सकते हैं। जैसे पुश को कोई बीमारी हुई, पौधे को कोई बीमारी हुई तो किसान को बार-बार किसी के पास जाना नहीं होगा। वो अपनी कॉन्टेंट लाइब्रेरी से इसका समाधान खोज लेगा। इस तकनीक में बड़े पैमाने पर लोगों को कई विषयों पर, कई भाषाओं ट्रेनिंग देने की क्षमता है।
अलग-अलग जलवायु क्षेत्र और फ़सलों के लिए कॉन्टेंट
आदित्य वालिया बताते हैं कि HindXR के एप्लीकेशन के पीछे यानी बैकएंड में एक सिस्टम चलता है। जो कॉन्टेंट मैनेजमेंट सिस्टम या लर्निंग सिस्टम है। उसके अंदर से ही सारे कॉन्टेंट बांटे जाते हैं। समझ लीजिए कि एक जगह लाइब्रेरी बनाई जाती है अलग-अलग फ़सलों के लिए, अलग-अलग भाषा और जलवायु विविधता के हिसाब से।
जब कोई टास्क मिलता है जैसे किसी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए केसर से संबंधित ट्रेनिंग देनी है या उत्तर प्रदेश में गन्ने से संबंधित ट्रेनिंग देनी है। तो यहां से कॉन्टेंट उन क्लाइंट को दिया जाता है। ये कॉन्टेंट उन्हें अपने फोन या ईमेल पर लिंक के रूप में या प्ले स्टोर पर भी मिल जाएगा, जैसे वो चाहते हैं। इसके ज़रिए किसानों को बुवाई, कटाई और मौमस से जुड़ी जानकारी भी दी जा सकती है।
HindXR कंपनी ट्रेनर्स के लिए भी ट्रेनिंग की व्यवस्था करती है, ताकि वो आगे जाकर अपना काम सरल तरीके से कर सकें और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को समझा सकें। आदित्य का मानना है कि भारत में किसानों को ट्रेनिंग की बहुत ज़रूरत है, क्योंकि जब वो आधुनिक तकनीक के साथ स्मार्ट खेती करेंगे तो ज़ाहिर से बात है कि उनका मुनाफ़ा बढ़ेगा।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।