भारत की सशक्त अर्थव्यवस्था के लिए Renewable Energy Revolution से बदल रही किसानों की तकदीर

अक्षय ऊर्जा क्रांति (Renewable Energy Revolution) किसानों की आमदनी दोगुनी करने और कृषि को टिकाऊ बनाने की चाभी बनकर उभर रही है। आज़ादी के बाद से अब तक, भारत की कृषि ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन सौर, बायोमास और  दूसरे नवीकरणीय सोर्स (Solar, biomass and other renewable sources) ने इसमें एक ऐसा नया चैप्टर जोड़ा है, जो खेतों को ऊर्जा के आत्मनिर्भर केद्रों में बदल रहा है।

भारत की सशक्त अर्थव्यवस्था के लिए Renewable Energy Revolution से बदल रही किसानों की तकदीर

भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली कृषि, आज एक नए युग के दहलीज पर खड़ी है। जहां एक ओर Green Revolution ने देश को अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बनाया, वहीं अब अक्षय ऊर्जा क्रांति (Renewable Energy Revolution) किसानों की आमदनी दोगुनी करने और कृषि को टिकाऊ बनाने की चाभी बनकर उभर रही है। आज़ादी के बाद से अब तक, भारत की कृषि ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन सौर, बायोमास और  दूसरे नवीकरणीय सोर्स (Solar, biomass and other renewable sources) ने इसमें एक ऐसा नया चैप्टर जोड़ा है, जो खेतों को ऊर्जा के आत्मनिर्भर केद्रों में बदल रहा है।

आज़ादी से अब तक: बदलते खेती का सफ़र

1947 के बाद की कृषि नीतियों (agricultural policies) ने ख़ास तौर से प्रोडक्शन बढ़ाने पर ज़ोर दिया। बड़े बांध बने, ट्यूबवेल लगे और डीजल-बिजली पर निर्भरता बढ़ी। लेकिन इससे भूजल स्तर गिरा, पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा और किसानों की लागत चढ़ती गई। 21वीं सदी में ये साफ हो गया कि पुराने तरीके अब टिकाऊ नहीं हैं। यहीं से शुरू हुई अक्षय ऊर्जा (renewable energy) को कृषि से जोड़ने की कहानी।

कृषि में अक्षय ऊर्जा की अहमियत 

1.बिजली और डीजल पर निर्भरता घटाए: कृषि में सिंचाई के लिए डीजल पंप और ग्रिड बिजली का भारी उपयोग होता है। अक्षय ऊर्जा से किसान इन खर्चों से मुक्ति पा सकते हैं।

2.आमदनी बढ़ाए: सोलर पैनल लगाकर किसान एक्स्ट्रा बिजली ग्रिड को बेचकर अतिरिक्त आय पा कर सकते हैं।  

3.पर्यावरण संरक्षण: डीजल के जलने से होने वाला प्रदूषण कम होगा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में मदद मिलेगी।

4.रिमोट एरिया में सिंचाई: दूर-दराज़ के इलाकों में, जहां बिजली ग्रिड नहीं पहुंचता, वहां सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप सिंचाई की राह आसान बना रहे हैं।

चल रही हैं ये game-changer योजनाएं 


पीएम-कुसुम (PM-KUSUM) योजना

ये फ्लैगशिप योजना है, जिसका टारगेट 2022 तक 35 लाख स्टैंड-अलोन सोलर एग्रीकल्चर पंप और 10 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता (Solar energy potential) विकसित करना है। इसमें किसानों को सब्सिडी पर सोलर पंप दिए जाते हैं और खाली ज़मीन पर सोलर प्लांट लगाकर बिजली बेचने का ऑप्शन मिलता है।

सोलर पंप योजनाएं

अलग-अलग राज्य सरकारें किसानों को सोलर पंप लगाने के लिए Financial assistance प्रदान कर रही हैं।

बायोमास पावर और बायो-सीएनजी

फसल अवशेषों (पराली) से बिजली और Bio-CNG बनाने के प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे न सिर्फ प्रदूषण कम होगा, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा।

आगे का रोडमैप 

भारत सरकार का टारगेट 2030 तक 500 गीगावाट Renewable energy की पावर हासिल करने का है, जिसमें कृषि क्षेत्र एक अहम भूमिका निभाएगा। भविष्य में Agri-Voltaics (एग्रीवोल्टाइक्स) यानी ‘सोलर शेडिंग’ को बढ़ावा मिलेगा, जहां एक ही ज़मीन पर ऊपर सोलर पैनल और नीचे खेती होगी। इससे ज़मीन का  डबल यूज़ हो सकेगा। साथ ही, ग्रामीण ऊर्जा स्वराज्य मिशन के तहत गांवों को एनर्जी के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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