मखाना और बैम्बू फार्मिंग के लिए शुरू होगा सर्टिफिकेट कोर्स

रुहेलखंड विश्वविद्यालय मखाने की खेती और बैम्बू फार्मिंग से संबंधित कोर्स शुरू करने जा रहा है। विश्वविद्यालय ने इस संबंध […]

bamboo farming

रुहेलखंड विश्वविद्यालय मखाने की खेती और बैम्बू फार्मिंग से संबंधित कोर्स शुरू करने जा रहा है। विश्वविद्यालय ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर नेशनल हार्टीकल्चर मिशन और बेंबू बोर्ड को भेजा है। स्वीकृति मिलने के रुहेलखंड विश्वविद्यालय ये कोर्स शुरू हो जाएगी। विश्वविद्यालय में ये कोर्स शुरू होने से मखाना और बैम्बू की खेती करने वालों को काफी फायदा होगा।

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प्रस्ताव भेजने के बाद तैयारी शुरू

इन सर्टिफिकेट कोर्स के प्रस्ताव भेजे जाने के बाद प्लांट साइंस विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। रुहेलखंड विवि के कुलपति ने बताया कि, बॉटनिकल गार्डन में मखाने की खेती के लिए तालाब तैयार किया जाएगा। साथ हीं, टिश्यू कल्चर तकनीक के माध्यम से बांस की कई प्रजातियां तैयार की जाएंगी। इन दोनों प्रोजेक्ट के लिए रुहेलखंड विवि की ओर से प्रपोजल नेशनल हार्टीकल्चर मिशन और बैम्बू बोर्ड को भेजा जा रहा है।

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कोर्स का सिलेबस तैयार

रुहेलखंड विश्वविद्यालय का बॉटनिकल गार्डन पांच एकड़ में तैयार किया गया है। पहले यह दो एकड़ में था बाद में विस्तार किया गया। विवि में काले, सफेद और हरे प्रजाति के बांस को टिश्यू कल्चर की मदद से तैयार किया गया है। प्लांट साइंस विभाग बॉटनिकल गार्डन में कई और प्रजाति के बांस विकसित करेगा। बांस के पौधों को लोगों को देकर रोजगार में मदद की जाएगी। विभाग ने दोनों कोर्स का सिलेबस तैयार कर लिया है।

जारी है बॉटनिकल गार्डन का सौंदर्यीकरण

बॉटनिकल गार्डन के सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू कर दिया गया है। गार्डन की बाउंड्री पौधों और लताओं की मदद से तैयार होगी। कुलपति ने विभागाध्यक्ष को प्राकृतिक बाउंड्री तैयार करने के लिए क्लाइंबर जोन तैयार करने को कहा है।वहीं, बॉटनिकल गार्डन में हैंगिंग गार्डन भी तैयार किया जाएगा।

बिहार विश्वविद्यालय ने तैयार किया धान का पहला संकर बीज

बिहार कृषि विश्वविद्यालय राज्य का पहला धान संकर बीज तैयार करने जा रहा है। तीन साल से बीएयू के वैज्ञानिक इस प्रक्रिया में लगे हुए है। धान के संकर बीज उत्पादन का स्टेशन ट्रायल पूरा हो चुका है। अगले साल इसका मल्टी लोकेशन ट्रायल होगा। कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे किसानों के लिए जारी कर दिया जाएगा।

उम्मीद जताई जा रही है कि निजी कंपनियों के बीज के मुकाबले इसकी उत्पादकता 10 प्रतिशत ज्यादा होगी। स्टेशन ट्रायल का भी यही परिणाम रहा। बिहार यूनिवर्सिटी अल्प और मध्यम अवधि दोनों किस्म के बीज पर काम कर रही है। इसके लिए विश्वविद्यालय ने लगभग 40 हाईब्रीड कॉम्बीनेशन पर काम किया है। इसमें छह कंबिनेशन से ही बेहतर पाए गए जिनपर काम चल रहा है।

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