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खेती केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ एक जीवंत संबंध भी है। अनिल कुमार सिंह ने इस बात को समझते हुए प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को अपनाया और सफलता की नई ऊँचाइयों तक पहुँचे। उन्होंने अपनी खेती में रासायनिक खादों और कीटनाशकों को पूरी तरह त्याग कर जैविक विधियों को अपनाया। आइए जानते हैं उनकी प्राकृतिक खेती से जुड़ी कहानी के बारे में।
प्राकृतिक खेती की शुरुआत (Starting to Natural farming)
अनिल कुमार सिंह ने जून 2008 में प्राकृतिक खेती (Natural Farming) की राह पकड़ी। उनकी प्रेरणा का स्रोत पंतजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (Patanjali Organic Research Institute – PORI), हरिद्वार में आयोजित पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम रहा। इस दौरान उन्होंने प्राकृतिक खेती के गहरे तकनीकी पहलुओं को समझा और उन्हें अपने खेतों में अपनाने का निर्णय लिया।
पिछले 14 वर्षों से वे जैविक खेती कर रहे थे, लेकिन बीते चार वर्षों से उन्होंने पूरी तरह प्राकृतिक खेती को अपनाया है।
खेतों में अपनाई गई विधियां (Methods adopted in the field)
प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के तहत अनिल कुमार सिंह निम्नलिखित विधियों का उपयोग करते हैं:
- हरी खाद (Green Manure) – धैनचा, मूंग जैसी फ़सलों का उपयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- जीवामृत – गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी से तैयार किया गया जीवामृत उनकी खेती की मुख्य पोषण विधि है। इसे हर 15-20 दिनों के अंतराल में उपयोग किया जाता है।
- घनजीवामृत – यह ठोस जैविक खाद है, जिसे मिट्टी में मिलाकर पोषण बढ़ाया जाता है।
- बीज उपचार – सभी बीजों को बीजामृत (गोमूत्र, नीम, गाय के गोबर और चूने का मिश्रण) में भिगोकर बोया जाता है।
- कीट नियंत्रण – दशपर्णी अर्क, नीम तेल और छाछ का छिड़काव किया जाता है।
- सिंचाई – ड्रिप सिंचाई और ट्यूबवेल के माध्यम से जल की बचत के साथ फ़सलों को सींचा जाता है।
- खरपतवार नियंत्रण – मैन्युअल श्रम और मल्चिंग का उपयोग किया जाता है।
- फ़सल चक्र (Crop Rotation) – अलग-अलग मौसम में विभिन्न फ़सलों की बुवाई कर मिट्टी की उर्वरता बनाए रखते हैं।
- मल्चिंग (Mulching) – गीली घास और फ़सल अवशेषों का उपयोग मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए किया जाता है।
उगाई जाने वाली फ़सलें (Crops grown)
अनिल कुमार सिंह अपने 8 एकड़ के खेत में विभिन्न प्रकार की फ़सलें उगाते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- धान, गेहूं, गन्ना, चना, मटर, मेथी, हल्दी, धनिया और सरसों।
- इसके अलावा, वे केले, पपीते और अमरूद के पेड़ भी लगाते हैं।
- उन्होंने अपने खेत की मेड़ों पर कश्मीरी बेर (Ziziphus) और 65 ग्वावा के पौधे भी लगाए हैं।
- खासतौर पर वे काले चावल (Black Rice) की खेती भी कर रहे हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
मछली पालन और पशुपालन (Fisheries and animal husbandry)
खेती के अलावा, अनिल कुमार सिंह मछली पालन, बकरी पालन और मुर्गी पालन भी करते हैं। उनके पास 4 गाय और 32 बकरियां हैं, जिससे उन्हें जैविक खाद और दूध उत्पादन में मदद मिलती है।
गायों से प्राप्त गोबर और गोमूत्र को जीवामृत और घनजीवामृत तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता है। इससे मिट्टी की उर्वरता प्राकृतिक रूप से बनी रहती है और फ़सलों का उत्पादन भी बेहतर होता है।
प्रमुख उपलब्धियां (Major Achievements)
अनिल कुमार सिंह ने प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के माध्यम से न केवल अपनी आय बढ़ाई, बल्कि समाज में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी बने। उनकी मुख्य उपलब्धियां हैं:
- प्रति एकड़ 70,000 रुपये का शुद्ध लाभ।
- 120 किसानों को जोड़कर ‘वासुदेव किसान उत्पादक कंपनी’ की स्थापना।
- उत्तर प्रदेश कृषि विभाग द्वारा प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के प्रशिक्षण के लिए ट्रेनर के रूप में सम्मानित।
- PGS प्रमाणन (PGS Certification) प्राप्त किया।
- जैविक खेती के कारण उनकी उपज की मांग स्थानीय बाज़ार और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बढ़ गई है।
विपणन और ब्रांडिंग (Marketing and Branding)
अनिल कुमार सिंह द्वारा उगाई गई जैविक सब्जियां और फ़सलें स्थानीय बाज़ार और किसान उत्पादक संगठन (FPO) के माध्यम से बेची जाती हैं। इससे न केवल उनकी आय बढ़ी, बल्कि अन्य किसानों को भी जैविक खेती की ओर आकर्षित किया। वे अपने उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी बेचने की योजना बना रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ताओं तक जैविक उत्पाद पहुँच सकें।
निष्कर्ष (Conclusion)
अनिल कुमार सिंह की कहानी यह दिखाती है कि प्राकृतिक खेती (Natural Farming) अपनाकर किसान न केवल पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी सशक्त बन सकते हैं। उनकी सफलता हमें यह सीख देती है कि अगर सही दिशा में मेहनत की जाए और वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएँ, तो खेती भी लाभदायक और टिकाऊ बन सकती है।
अगर आप भी प्राकृतिक खेती (Natural Farming) अपनाने चाहते हैं, तो अनिल कुमार सिंह से प्रेरणा लेकर इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। प्राकृतिक खेती (Natural Farming) न केवल आपकी भूमि को उपजाऊ बनाएगी, बल्कि आपके स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति में भी सुधार लाएगी।
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