किसान अभिषेक धामा हैं नई तकनीकों के ज़रीये उन्नत कृषि का उदाहरण

अभिषेक धामा की जैविक मल्टीलेयर्ड खेती प्रणाली एक उन्नत कृषि तकनीक है, जिसमें विभिन्न फसलों को एक ही खेत में एक साथ उगाया जाता है। इस पद्धति में फसलों को ऐसी व्यवस्था में लगाया जाता है कि वे एक-दूसरे की सहायक बन सकें, जिसमें एक फसल दूसरी फसल को आवश्यक पोषक तत्व, छाया, और नमी प्रदान करती है।

किसान अभिषेक धामा हैं नई तकनीकों के ज़रीये उन्नत कृषि का उदाहरण

दिल्ली के उत्तर-पश्चिम जिले के पल्ला कुलकपुर गाँव से आने वाले अभिषेक धामा ने खेती में नई तकनीकों और पारंपरिक ज्ञान का सम्मिश्रण कर एक नया मॉडल प्रस्तुत किया है। 1991 में जन्मे अभिषेक पिछले पाँच वर्षों से मल्टीलेयर्ड और मल्टीक्रॉपिंग प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं, जिसमें बिना किसी रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग किए, बहु-स्तरीय और बहु-फसली खेती की जाती है। उनके प्रयासों ने उन्हें दिल्ली के उन्नत और नवाचारी किसानों में स्थापित किया है।

जैविक मल्टीलेयर्ड खेती की विशेषताएं 

अभिषेक धामा की जैविक मल्टीलेयर्ड खेती प्रणाली एक उन्नत कृषि तकनीक है, जिसमें विभिन्न फसलों को एक ही खेत में एक साथ उगाया जाता है। इस पद्धति में फसलों को ऐसी व्यवस्था में लगाया जाता है कि वे एक-दूसरे की सहायक बन सकें, जिसमें एक फसल दूसरी फसल को आवश्यक पोषक तत्व, छाया, और नमी प्रदान करती है। उदाहरण के तौर पर, मक्का और टमाटर को साथ में उगाने से मक्का टमाटर के लिए छाया और टमाटर की जड़ों के माध्यम से मक्का को पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। इस सहजीवी पद्धति से पौधों की वृद्धि बेहतर होती है और पानी, भूमि, और अन्य संसाधनों का उपयोग भी अधिक कुशलता से हो पाता है।

जैविक खाद भूमि में लाभकारी

इस प्रणाली में अभिषेक ने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग बंद करके जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों का प्रयोग शुरू किया है। इसमें वर्मी-कंपोस्ट, जीवामृत, और अन्य जैविक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखते हैं और उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करते हैं। जैविक खाद से भूमि में लाभकारी जीवाणु और सूक्ष्म जीवों की वृद्धि होती है, जो मिट्टी की संरचना और पोषक तत्वों की संतुलन को स्थिर बनाए रखते हैं।

मल्टीलेयर्ड खेती प्रणाली

अभिषेक की मल्टीलेयर्ड खेती प्रणाली में पौधों की नमी बनाए रखने और खरपतवार के नियंत्रण के लिए मल्चिंग का उपयोग किया जाता है। मल्चिंग, पौधों की जड़ों के चारों ओर मिट्टी को ढंकने की तकनीक है, जिससे मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है और खरपतवार उगने की संभावना भी कम होती है। इसके अतिरिक्त, इस प्रणाली में पौधों की जड़ें गहराई तक जाती हैं, जिससे पानी का उपयोग कम होता है और सूखे के समय भी फसलों का संरक्षण किया जा सकता है।

मल्टीलेयर्ड खेती से उत्पादकता में बढ़ोतरी

इस प्रणाली का एक और प्रमुख लाभ यह है कि मल्टीलेयर्ड खेती में कई फसलों की एक साथ खेती होने से भूमि की उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है। एक ही क्षेत्र में विभिन्न फसलों के उत्पादन से न केवल विविधता आती है, बल्कि इससे किसान को बाजार में विविध उत्पाद बेचने का अवसर भी मिलता है। इससे उनके राजस्व में भी वृद्धि होती है, और जोखिम का स्तर कम हो जाता है, क्योंकि यदि किसी एक फसल में नुकसान होता है तो अन्य फसलें उसकी भरपाई कर सकती हैं।

जैविक मल्टीलेयर्ड खेती प्रणाली और पर्यावरण

अभिषेक की जैविक मल्टीलेयर्ड खेती प्रणाली केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता नहीं बढ़ाती, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में भी सहायक है। उनकी यह तकनीक मिट्टी, जलवायु और प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करते हुए कृषि उत्पादन को स्थायी तरीके से बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

उत्पादन और विपणन में नवाचार 

अभिषेक धामा ने अपने जैविक उत्पादों की बिक्री और विपणन के लिए नए और कुशल तरीकों का उपयोग करते हुए बी2सी (बिजनेस टू कस्टमर) और बी2बी (बिजनेस टू बिजनेस) मॉडल अपनाए हैं। अपनी मल्टीलेयर्ड खेती प्रणाली से उत्पादित सब्जियों और अन्य जैविक उत्पादों की सीधी बिक्री के लिए उन्होंने ‘अधिरयांश ऑर्गेनिक्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ नामक एक किसान उत्पादक संगठन (FPO) की स्थापना की है, जिसमें दिल्ली के 280 से अधिक किसान जुड़े हुए हैं। इस संगठन के माध्यम से अभिषेक सीधे ग्राहकों तक पहुँच बनाते हैं, जिससे उन्हें बाजार में बिचौलियों की आवश्यकता नहीं पड़ती और वे अपने उत्पाद सीधे उपभोक्ताओं तक उचित मूल्य पर बेच सकते हैं।

प्रमुख ब्रांडों के साथ बी2बी साझेदारी

अपने उत्पादों की अधिकतम पहुँच और स्थिर बाजार सुनिश्चित करने के लिए, अभिषेक ने कई प्रमुख ब्रांडों के साथ बी2बी साझेदारी की है। उन्होंने रिलायंस, बिग बास्केट और ओटिपी जैसे बड़े ब्रांडों के साथ जुड़कर अपने उत्पादों को बड़े प्लेटफार्मों पर बेचने की व्यवस्था बनाई है। इस साझेदारी से उन्हें एक स्थिर और भरोसेमंद बाजार मिलता है, जो किसानों को अच्छे दाम दिलाने में सहायक है और उनका राजस्व बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा, इन ब्रांडों के माध्यम से उत्पादों का वितरण भी सरल हो जाता है, जिससे अभिषेक और उनके संगठन के सदस्य किसानों के लिए कामकाज की सुविधा बढ़ जाती है।

प्री-कूलिंग और हाइड्रो-कूलिंग तकनीक का उपयोग

अभिषेक ने अपने खेत में पुसा फार्म सनफ्रिज भी स्थापित किया है, जिससे उनकी सब्जियों और अन्य उत्पादों को लंबे समय तक ताजा रखा जा सकता है। इसके अलावा, वे प्री-कूलिंग और हाइड्रो-कूलिंग तकनीक का उपयोग करते हैं, जो पत्तेदार और अन्य सब्जियों को ठंडा रखने में मदद करती है। इससे न केवल उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहती है, बल्कि बाजार तक पहुँचने तक उनका पोषण स्तर भी स्थिर रहता है। यह तकनीकें उत्पादों को खराब होने से बचाती हैं, जिससे किसानों का नुकसान भी कम होता है और बाजार में उनकी साख भी बढ़ती है।

अभिषेक का यह नवाचार किसानों को एक आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत भविष्य की ओर ले जा रहा है। उनकी इस पहल ने जैविक उत्पादों के विपणन को एक नई दिशा दी है और किसानों के लिए अधिक अवसर पैदा किए हैं। 

आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग 

अभिषेक का खेत आधुनिक कृषि उपकरणों से सुसज्जित है। उन्होंने अपने खेत में प्री-कूलिंग और हाइड्रो-कूलिंग सिस्टम स्थापित किए हैं, जिससे पत्तेदार और अन्य सब्जियों को ताजा रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा, उनके खेत में PUSA FARM SUNFRIDGE की भी स्थापना की गई है, जो कृषि उत्पादों के भंडारण और वितरण की प्रक्रिया में मददगार साबित होता है। यह तकनीक न केवल फसलों की गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक है, बल्कि उपभोक्ताओं तक ताजा उत्पाद पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सम्मान और उपलब्धियां

अभिषेक के नवाचारी दृष्टिकोण और तकनीकी विशेषज्ञता के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 2020 में IARI-इन्वोवेटिव फार्मर्स अवार्ड से नवाज़ा गया और 2024 में IARI-फेलो फार्मर अवार्ड भी प्राप्त हुआ। यह सम्मान न केवल उनके योगदान को सराहता है, बल्कि अन्य किसानों को भी आधुनिक तकनीकों के उपयोग के प्रति प्रेरित करता है।

सरकारी योजनाओं का लाभ और भविष्य की योजनाएं

अभिषेक ने अभी तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया है, लेकिन उनकी सफलता और प्रयास दिखाते हैं कि किसान अपनी मेहनत और ज्ञान के बल पर भी उन्नति कर सकते हैं। उनकी योजना है कि भविष्य में और भी किसानों को इस तकनीकी मॉडल से जोड़ें और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं।

अभिषेक का ये प्रयास न केवल स्थानीय, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी जैविक और तकनीकी खेती के प्रति एक नई जागरूकता ला रहा है। 

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