Table of Contents
चंद्र प्रकाश जट, उदयपुर, राजस्थान के किसान हैं, जो भारतीय कृषि में नई तकनीकों का प्रवेश कराने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। खेती-बाड़ी में उन्नत तकनीक का महत्व समझते हुए उन्होंने ड्रोन तकनीक (Drone Technology) का इस्तेमाल आरंभ किया है, जिससे किसान अपने खेतों में आधुनिक और कुशल तरीकों का उपयोग कर सकते हैं। यह कदम भारतीय कृषि में एक नई क्रांति का प्रतीक है, विशेषकर राजस्थान जैसे क्षेत्र में, जहां संसाधनों की सीमाएं और परंपरागत खेती के तरीकों का व्यापक चलन है।
एग्रीकल्चर ड्रोन (Agriculture Drones): एक नवाचार
चंद्र प्रकाश का एग्रीकल्चर ड्रोन (Agriculture Drones) उनकी खेती का प्रमुख हिस्सा बन गया है। उन्होंने इस तकनीक को इफको की सहायता से हासिल किया और ड्रोन ऑपरेशन की पूरी ट्रेनिंग प्राप्त की। इस ड्रोन का प्रयोग फसलों पर स्प्रे करने, बीज बुवाई, और खेतों की निगरानी के लिए किया जाता है। यह न केवल समय और श्रम बचाता है, बल्कि लागत को भी कम करता है। ड्रोन का उपयोग कर किसान आसानी से अपने खेत की हरियाली, नमी स्तर और फसलों की स्वास्थ्य स्थिति का आंकलन कर सकते हैं, जिससे सही समय पर सही निर्णय लिए जा सकते हैं।
ड्रोन तकनीक (Drone Technology) के फायदे
चंद्र प्रकाश का मानना है कि एग्रीकल्चर ड्रोन (Agriculture Drones) से किसानों को कई फायदे हैं:
1. सटीकता और बचत: ड्रोन द्वारा की गई स्प्रेइंग में पारंपरिक विधियों की तुलना में कीटनाशकों और उर्वरकों की खपत में 30-40% तक की बचत होती है। इससे न केवल लागत कम होती है बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
2. समय की बचत: पारंपरिक स्प्रेइंग विधियों में जहां एक दिन का समय लग सकता है, वहीं ड्रोन का उपयोग कर एक घंटे में कई एकड़ भूमि कवर की जा सकती है। इससे फसल पर रोग या कीट के हमले के समय तुरंत उपाय करना संभव हो पाता है।
3. जल की कम खपत: ड्रोन द्वारा स्प्रेइंग में अपेक्षाकृत कम पानी की आवश्यकता होती है, जो जल-संरक्षण की दृष्टि से भी लाभकारी है। यह राजस्थान जैसे जल-संवेदनशील क्षेत्र के लिए विशेष रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है।
4. सटीक निगरानी: ड्रोन कैमरा द्वारा फसलों की निगरानी करना आसान होता है। यह तकनीक किसानों को फसल की स्थिति पर बेहतर दृष्टिकोण प्रदान करती है और उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होती है।
इफको की सहायता से तकनीकी ट्रेनिंग: ड्रोन तकनीक (Drone Technology) में आत्मनिर्भरता की ओर कदम
चंद्र प्रकाश ने इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव) की सहायता से ड्रोन ऑपरेशन की ट्रेनिंग प्राप्त की, जो किसानों को तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इफको जैसी संस्थाएं किसानों को आधुनिक कृषि उपकरणों और तकनीकों का ज्ञान देकर उन्हें पारंपरिक खेती के सीमित दायरे से बाहर लाने में मदद कर रही हैं। इफको के इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल ड्रोन के संचालन और रखरखाव में प्रशिक्षण देना है, बल्कि किसानों को ऐसी नवीनतम तकनीकों के उपयोग में आत्मनिर्भर बनाना भी है।
ट्रेनिंग के प्रमुख पहलू
1. ड्रोन ऑपरेशन का तकनीकी ज्ञान: इस ट्रेनिंग में किसानों को ड्रोन के कार्यप्रणाली और उपयोग की विस्तृत जानकारी दी जाती है। उन्हें सिखाया जाता है कि ड्रोन को किस प्रकार खेतों में संचालित किया जाए, ताकि फसल पर कीटनाशकों और उर्वरकों का समान रूप से छिड़काव किया जा सके। ड्रोन के उपयोग से समय की बचत होती है और कृषि में मानव श्रम पर निर्भरता कम होती है।
2. मेंटेनेंस और मरम्मत का प्रशिक्षण: किसानों को ड्रोन मेंटेनेंस और मरम्मत की जानकारी भी प्रदान की जाती है, ताकि वे किसी तकनीकी समस्या के आने पर उसका समाधान स्वयं कर सकें। यह प्रशिक्षण किसानों को ड्रोन के दीर्घकालिक उपयोग के लिए आवश्यक देखभाल और रखरखाव की जानकारी देता है, जिससे ड्रोन का जीवनकाल बढ़ता है और किसानों के खर्चों में भी कमी आती है।
3. समस्याओं का समाधान: इफको की ट्रेनिंग के दौरान किसानों को ड्रोन से संबंधित सामान्य समस्याओं का समाधान करना सिखाया जाता है। उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि किस प्रकार के फसल क्षेत्र के अनुसार ड्रोन का सही उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि खेत के आकार, भूमि की प्रकार्यता, और फसल की ऊंचाई आदि।
4. सुरक्षा मानदंडों की जानकारी: ड्रोन ऑपरेशन में सुरक्षा मानकों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इस ट्रेनिंग के माध्यम से किसानों को सुरक्षा नियमों की जानकारी दी जाती है, ताकि वे अपने और अन्य लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए ड्रोन का उपयोग कर सकें। इसमें ड्रोन के उड़ान क्षेत्र, ऊंचाई और उड़ान के दौरान ध्यान में रखने वाली सावधानियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है।
किसानों के लिए इफको की इस पहल का महत्व
इफको की यह पहल भारतीय किसानों के लिए एक वरदान सिद्ध हो रही है। ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीक न केवल कृषि कार्यों को आसान बना रही है, बल्कि किसानों की उत्पादकता को भी बढ़ा रही है। इस पहल से किसानों को आधुनिक तकनीकों के प्रति जागरूकता और उनके उपयोग में दक्षता प्राप्त हो रही है, जो उन्हें वैश्विक कृषि मानकों के साथ कदम मिलाकर चलने में मदद करती है।
आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ
ड्रोन तकनीक से कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव अत्यंत सटीकता से किया जा सकता है, जिससे फसलों को अनावश्यक रसायनों के संपर्क में आने से बचाया जा सकता है। यह न केवल फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी और जल स्रोतों को भी सुरक्षित रखता है। इसके अतिरिक्त, ड्रोन के उपयोग से किसानों के समय और श्रम में बचत होती है, जो उनके लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है।
राजस्थान में एग्रीकल्चर ड्रोन का भविष्य
राजस्थान में एग्रीकल्चर ड्रोन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। विशेषकर जलवायु परिवर्तन के दौर में, जहां मौसम अनिश्चित रहता है, ड्रोन किसानों को खेती की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मददगार साबित हो रहे हैं। राज्य में सरकार भी इस दिशा में आगे आकर कई योजनाओं को लागू कर रही है, जिससे किसानों को आधुनिक तकनीकों का लाभ मिल सके।
2022 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एग्रीकल्चर ड्रोन बाजार तेजी से बढ़ रहा है और 2025 तक इसके 50% तक बढ़ने की संभावना है। यह आंकड़े राजस्थान जैसे राज्यों में ड्रोन तकनीक के संभावित विकास को इंगित करते हैं।
ड्रोन तकनीक में सरकार की योजनाएं: किसानों को नई तकनीक से जोड़ने का प्रयास
भारत में कृषि को आधुनिक बनाने और किसानों की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से भारतीय कृषि मंत्रालय ने ‘कृषि ड्रोन योजना’ की शुरुआत की है। इस योजना का लक्ष्य छोटे और सीमांत किसानों को ड्रोन तकनीक का लाभ पहुंचाना है ताकि वे फसल की निगरानी, कीटनाशक स्प्रे, बीज बुवाई और उर्वरक के छिड़काव जैसे कार्यों को तेजी और कुशलता से कर सकें।
कृषि ड्रोन योजना के प्रमुख पहलू
1. सब्सिडी प्रावधान: इस योजना के तहत सरकार किसानों को ड्रोन खरीदने में आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। योजना में किसानों को 50% तक की सब्सिडी दी जा रही है, जिससे वे इस तकनीक को अपनाने में सक्षम हों। विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए इस सब्सिडी का प्रावधान एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि ड्रोन की उच्च लागत उनके लिए एक बड़ी चुनौती होती है।
2. प्रशिक्षण कार्यक्रम: सरकार ने किसानों को ड्रोन तकनीक (Drone Technology) के सही उपयोग के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं। इनमें किसानों को ड्रोन के संचालन, रखरखाव और इसकी कार्यक्षमता के बारे में जानकारी दी जाती है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कृषि विश्वविद्यालयों, अनुसंधान केंद्रों और सहकारी संगठनों के माध्यम से किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों से किसानों को न केवल ड्रोन का तकनीकी ज्ञान प्राप्त हो रहा है, बल्कि वे अपनी फसलों के संरक्षण और सुधार में इस तकनीक का प्रभावी उपयोग भी कर पा रहे हैं।
3. अनुसंधान और विकास: कृषि मंत्रालय ने ड्रोन तकनीक (Drone Technology) को और अधिक सुलभ और कुशल बनाने के लिए अनुसंधान और विकास में भी निवेश किया है। इस दिशा में विभिन्न कृषि अनुसंधान केंद्र और टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ मिलकर सरकार ड्रोन तकनीक को भारतीय कृषि परिस्थितियों के अनुकूल बनाने के प्रयास कर रही है। इससे न केवल किसानों की उपज में वृद्धि होगी, बल्कि यह भारतीय कृषि क्षेत्र में एक स्थायी बदलाव भी ला सकता है।
4. राज्य स्तरीय समर्थन: राजस्थान जैसे राज्य भी इस योजना के अंतर्गत किसानों को लाभान्वित कर रहे हैं। राज्य सरकारें केंद्र सरकार की सहायता से किसानों के लिए सब्सिडी योजनाओं का संचालन कर रही हैं, जिसमें कृषि ड्रोन (Drone Technology) की खरीद और प्रयोग के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। राजस्थान सरकार विशेष रूप से उन क्षेत्रों पर ध्यान दे रही है जहां पारंपरिक खेती में प्राकृतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और ड्रोन तकनीक से उन्हें न केवल उत्पादकता में बढ़ोतरी बल्कि समय की बचत का लाभ भी मिल सकता है।
5. ड्रोन आधारित ग्रामीण सेवाएं: सरकार ने कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन आधारित सेवा केंद्रों की स्थापना की योजना बनाई है, जहां किसान छोटे शुल्क पर ड्रोन का उपयोग कर सकते हैं। इन सेवा केंद्रों पर किसानों को ड्रोन के जरिए कीटनाशक स्प्रे, बीज बुवाई, और निगरानी सेवाएं दी जाती हैं। यह सुविधा उन किसानों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो खुद ड्रोन नहीं खरीद सकते। इसके माध्यम से वे ड्रोन की सेवाओं का लाभ लेकर अपने कृषि कार्य को सुगम बना सकते हैं।
ड्रोन तकनीक (Drone Technology) का भविष्य और संभावनाएं
कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक (Drone Technology) का भविष्य अत्यधिक संभावनाओं से भरा है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 तक भारत में ड्रोन तकनीक का उपयोग दोगुना हो सकता है। ड्रोन न केवल फसलों की स्थिति का वास्तविक समय पर निगरानी कर सकते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन में भी सहायक सिद्ध हो सकते हैं। इन सब सुविधाओं से किसानों की आय बढ़ाने और कृषि लागत को कम करने की संभावनाएं बनती हैं।
किसानों के लिए एक नई राह का निर्माण
चंद्र प्रकाश जट जैसे किसान उन भारतीय किसानों के प्रतीक हैं, जो कृषि में नई तकनीकों का प्रयोग कर देश के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं। एग्रीकल्चर ड्रोन तकनीक का उपयोग, जहां एक ओर किसानों की उत्पादकता और मुनाफे को बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर कृषि में सस्टेनेबिलिटी को भी प्रोत्साहित कर रहा है। चंद्र प्रकाश का यह प्रयास न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है बल्कि यह पूरे राजस्थान के किसानों के लिए एक नई राह का निर्माण कर रहा है। इस तरह की तकनीकी पहलें भारतीय कृषि को सुदृढ़ और आत्मनिर्भर बनाने में सहायक हैं और आने वाले समय में यह बदलाव कृषि क्षेत्र में एक स्थायी और सकारात्मक प्रभाव डालेगा।