दिगम्बर दत्तात्रेय गायकवाड की अनूठी पहल: स्थानीय बकरी पालन में सुधार

दिगम्बर दत्तात्रेय गायकवाड का बकरी पालन में सुधार, भारतीय और विदेशी नस्लों के क्रॉस ब्रीड से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले मटन और अधिक लाभ मिल रहा है।

बकरी पालन Goat Farming

दिगम्बर दत्तात्रेय गायकवाड का परिचय (Introduction) 

दिगम्बर दत्तात्रेय गायकवाड एक प्रगतिशील किसान हैं, जिन्होंने बकरी पालन (Goat Farming) में अपनी अनोखी सोच और कार्यों से बदलाव लाने का बीड़ा उठाया है। उनकी विशेषता है विदेशी नस्लों के साथ भारतीय बकरियों को क्रॉस ब्रीड करना, ताकि स्थानीय किसानों को अधिक उपजाऊ मटन और बेहतर वजन वाली बकरियां मिल सकें। गायकवाड बताते हैं कि उन्होंने साउथ अफ्रीकन बोअर बकरियों को भारतीय उस्मानाबादी नस्ल के साथ क्रॉस कराकर नई नस्लें तैयार की हैं, जो छह महीनों में 30 किलोग्राम तक का वजन प्राप्त कर लेती हैं। यह पारंपरिक भारतीय बकरियों की तुलना में एक बड़ा सुधार है, जिससे किसानों को अधिक आर्थिक लाभ मिल सकता है।

उन्होंने समझाया कि किस तरह से उनकी पहल से बकरियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कम ख़र्च में अच्छी गुणवत्ता वाला मटन तैयार होता है। गायकवाड के अनुसार, इस मॉडल से किसान अपनी आय को बढ़ाने के साथ-साथ अपने पशुधन को भी स्वस्थ रख सकते हैं। इसके अतिरिक्त, वे देशी गावरान मुर्गियों की भी परवरिश करते हैं, जो तीन महीनों में लगभग डेढ़ किलोग्राम का वजन प्राप्त कर लेती हैं।

नई तकनीक और चुनौतियां (New technologies and Challenges)

गायकवाड ने इस प्रक्रिया को 2016 में शुरू किया था, और तब से लेकर अब तक उन्होंने कई किसानों को इस नई तकनीक से जोड़ा है। हालांकि, बकरी पालन में क्रॉस ब्रीडिंग का विचार स्थानीय किसानों के लिए नया और चुनौतीपूर्ण रहा है। गायकवाड ने बताया कि शुरुआत में उन्हें किसानों को समझाने और नई नस्लों के फ़ायदे बताने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। फिर भी, उनकी कड़ी मेहनत और प्रयोगधर्मिता ने अंततः स्थानीय कृषि समुदाय में स्वीकृति पा ली।

सरकारी योजनाएं और समर्थन (Government schemes and support)

गायकवाड ने बताया कि बकरी पालन में विशेष सरकारी योजनाएं और सब्सिडी उन किसानों के लिए होती हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं। हालांकि, गायकवाड को व्यक्तिगत रूप से कोई विशेष सहायता नहीं मिली है, क्योंकि वे सामान्य वर्ग में आते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार इस क्षेत्र में और अधिक समर्थन देकर किसानों की स्थिति को और सशक्त बना सकती है।

साझा प्रयास और भविष्य की योजना (Future plans)

गायकवाड ने इस व्यवसाय को किसानों के लिए एक स्व-नियंत्रित व्यवसाय के रूप में प्रस्तुत किया है। उनका मानना है कि बकरी पालन में मटन का मूल्य किसान खुद तय करते हैं, जिससे उनका आर्थिक नियंत्रण मज़बूत होता है। उनका कहना है कि यह क्षेत्र अभी भी अनियोजित है, लेकिन इसमें बहुत अधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने ग्रेप, अनार, और केले की खेती जैसे अन्य कृषि व्यवसायों की तरह इसे व्यवस्थित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

गायकवाड और उनके साथी अब मिलकर इस क्षेत्र में और अधिक किसानों को जोड़ने और लाभ पहुंचाने का काम कर रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि बकरी पालन (Goat Farming) भी एक संगठित व्यवसाय बने और किसानों को इसका भरपूर लाभ मिले।

अतिरिक्त जानकारी (Additional Information)

गायकवाड का फ़ोकस अब अधिक किसानों को जोड़कर इस मॉडल को महाराष्ट्र के बाहर भी फैलाना है। वे उन किसानों के लिए प्रशिक्षण और कार्यशालाएं आयोजित करते हैं, जो बकरी पालन (Goat Farming) के उन्नत तरीके सीखना चाहते हैं। इसके अलावा, उनकी योजना है कि वे एक बड़ी स्तर की क्रॉस ब्रीडिंग यूनिट स्थापित करें, ताकि किसानों को कम लागत में अच्छी गुणवत्ता के पशुधन मिल सकें।

भविष्य की संभावनाएं (Future prospects)

बकरी पालन (Goat Farming) के क्षेत्र में गायकवाड का दृष्टिकोण न केवल किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रहा है, बल्कि इसे एक संगठित व्यवसाय में बदलने की दिशा में भी अग्रसर है। भविष्य में, यदि सरकार इस क्षेत्र में अधिक ध्यान देती है और इसे संगठित करती है, तो यह निश्चित रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करेगा और किसानों के लिए एक स्थायी आय का साधन बनेगा। 

भारत में बकरियों की क्रॉस ब्रीडिंग: एक आर्थिक लाभ का स्रोत (Cross breeding of goats in India: A source of Economic Profit) 

भारत में बकरियों की क्रॉस ब्रीडिंग का उपयोग बकरी पालन को अधिक लाभकारी बनाने के लिए तेजी से बढ़ रहा है। यह प्रक्रिया देशी नस्लों की विशेषताओं को बनाए रखते हुए विदेशी नस्लों के साथ संकरण (cross-breeding) कराकर बेहतर उत्पादन सुनिश्चित करती है। उदाहरण के लिए, साउथ अफ्रीकन बोअर बकरियों का भारतीय नस्लों, जैसे उस्मानाबादी और बीटल, के साथ संकरण करके भारी वजन और तेज वृद्धि दर प्राप्त की जा रही है। 

आंकड़ों के अनुसार, इस तरह के क्रॉस ब्रीडिंग से उत्पादकता में 30-35% तक की वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2021 में भारत में लगभग 148 मिलियन बकरियों की जनसंख्या दर्ज की गई थी, जिसमें से बकरी पालन में संकरण की प्रक्रिया से लगभग 10-12% बकरियों का उत्पादन प्रभावित हुआ है। यह कृषि वैज्ञानिकों और पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल बन गई है, जिससे किसानों को अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त हो सके। 

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