रोहित कनसे के एग्री स्टार्टअप “मैच मेकिंग प्लेटफॉर्म फॉर वुड” से किसानों को मिल रहा फ़ायदा

एग्री स्टार्टअप (Agri Startup) की सबसे बड़ी खासियत इसकी तकनीकी पहल है। रोहित ने एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किया है, जो किसानों को अपने पेड़ों का सटीक मूल्यांकन करने की सुविधा देता है। एक विशेष कैलकुलेटर के जरिए किसान अपने पेड़ की गौलाइ दर्ज कर पेड़ की लकड़ी की मात्रा और उसकी अनुमानित कीमत जान सकते हैं।

रोहित कनसे के एग्री स्टार्टअप “मैच मेकिंग प्लेटफॉर्म फॉर वुड” से किसानों को मिल रहा फ़ायदा

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रोहित कनसे ने कृषि और वनरोपण को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर एक अभिनव एग्री स्टार्टअप ( Agri Startup) स्थापित किया है, जिसका उद्देश्य किसानों की आमदनी बढ़ाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। महाराष्ट्र के जलगांव जिले के निवासी रोहित ने अपनी उद्यमशीलता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण को मिलाकर एक अनोखा “मैच मेकिंग प्लेटफॉर्म फॉर वुड” (“Match Making Platform for Wood”) तैयार किया है। यह प्लेटफॉर्म विशेष रूप से किसानों के खेतों के किनारों पर उगाए गए पेड़ों के व्यावसायिक इस्तेमाल को आसान और पारदर्शी बनाता है।

पेड़ की खेती और किसानों की अतिरिक्त आय 

रोहित ने बताया कि उनका एग्री स्टार्टअप (Agri Startup) “मैच मेकिंग प्लेटफॉर्म फॉर वुड” किसानों को पेड़ की खेती के माध्यम से अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद करता है। उनका यह मॉडल पंजाब, हरियाणा, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले से ही सफलतापूर्वक चल रहा है। वे किसानों को सलाह देते हैं कि वे अपनी बंजर या बाउंडरी पर पेड़ लगाएं और साथ ही मुख्य फसलों की इंटरक्रॉपिंग करें।

किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन

इस तरह की योजना न केवल किसानों की भूमि का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करती है बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत बनाती है। साथ ही, यह किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन प्रदान करती है, मिट्टी के कटाव को रोकती है, और जैव विविधता को बढ़ावा देती है। पेड़ की खेती, विशेषकर जब यह कृषि फसलों के साथ होती है, जल संरक्षण में भी सहायक साबित होती है।

तकनीकी नवाचार और किसान हित 

एग्री स्टार्टअप (Agri Startup) की सबसे बड़ी खासियत इसकी तकनीकी पहल है। रोहित ने एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किया है, जो किसानों को अपने पेड़ों का सटीक मूल्यांकन करने की सुविधा देता है। एक विशेष कैलकुलेटर के जरिए किसान अपने पेड़ की गौलाइ दर्ज कर पेड़ की लकड़ी की मात्रा और उसकी अनुमानित कीमत जान सकते हैं। इससे किसानों को ठेकेदारों से होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाव मिलता है, क्योंकि वे सीधे बाजार की कीमतें जानकर बेहतर सौदे कर सकते हैं।

लॉजिस्टिक्स और भुगतान प्रक्रिया 

यह प्लेटफॉर्म न केवल किसानों को सही मूल्य दिलाने में मदद करता है, बल्कि उन्हें पेड़ों की कटाई के बाद के लॉजिस्टिक्स और भुगतान प्रक्रिया में भी पारदर्शिता प्रदान करता है। रोहित का मानना है कि यह तकनीक छोटे और सीमांत किसानों के लिए भी एक बड़ा वरदान साबित हो सकती है, जो अक्सर पारंपरिक तरीकों के कारण अपने उत्पाद का सही मूल्य नहीं पाते हैं। 

एग्री स्टार्टअप का ईमार्केटप्लेस और मूल्य पारदर्शिता 

इस प्लेटफॉर्म में एक ई-मार्केटप्लेस भी शामिल है, जो किसानों को उनकी लकड़ी की उचित कीमत दिलाने में मदद करता है। यह प्लेटफॉर्म स्थान-आधारित मूल्य निर्धारण प्रदान करता है, जिससे किसान यह जान सकते हैं कि उनकी लकड़ी की निकटतम लकड़ी मिल या फैक्ट्री में क्या कीमत मिल सकती है। सिस्टम किसान के पिन कोड या स्थान का उपयोग कर उनके नजदीकी संभावित खरीदारों से संबंधित रेट्स तुरंत प्रदर्शित करता है। यह सुविधा किसानों को पारंपरिक मध्यस्थों और ठेकेदारों पर निर्भर रहने से मुक्त करती है, जो अक्सर किसानों को उनके उत्पाद की उचित कीमत नहीं देते।

एग्री स्टार्टअप प्लेटफॉर्म पर पूरे लेन-देन को पारदर्शी बनाता है

इसके अतिरिक्त, प्लेटफॉर्म पूरे लेन-देन को पारदर्शी बनाने पर जोर देता है। इसमें पेड़ काटने की प्रक्रिया, लकड़ी के परिवहन की व्यवस्था, और किसानों के खातों में सीधे भुगतान जैसी सेवाएं शामिल हैं। इस प्रक्रिया में कटाई और परिवहन के लिए आवश्यक सभी सेवाओं को डिजिटली इंटीग्रेट किया गया है, ताकि किसान को अलग-अलग एजेंसियों के बीच तालमेल बैठाने में कठिनाई न हो।

पेड़ों के मूल्यांकन के लिए स्पेशल कैलकुलेटर

रोहित ने इस पहल में यह सुनिश्चित किया है कि सभी लेन-देन सुरक्षित और त्वरित हों। किसानों के भुगतान में किसी प्रकार की देरी न हो, इसलिए पूरा सिस्टम ऑटोमेटेड और सुरक्षित पेमेंट गेटवे से जुड़ा हुआ है। साथ ही, पेड़ों के मूल्यांकन के लिए विकसित किए गए स्पेशल कैलकुलेटर की मदद से किसान पेड़ों की गोलाइ दर्ज कर ये आसानी से जान सकते हैं कि उनकी लकड़ी की कितनी कीमत मिल सकती है। इस प्रकार, यह प्लेटफॉर्म पारदर्शिता और उचित मूल्य निर्धारण के माध्यम से किसानों के आर्थिक हितों को सशक्त करता है और उन्हें अधिक लाभकारी बाजार तक पहुंच प्रदान करता है।

इसके साथ ही, इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से किसानों को वैश्विक लकड़ी बाजार की जानकारी भी मिलती है, जो उन्हें अपने उत्पाद की कीमत समझने में और भी अधिक मदद करती है। 

एग्रोफॉरेस्ट्री का बढ़ता महत्व 

रोहित ने अपने मॉडल को पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से तैयार किया है, जिसमें उन्होंने एग्रो-फॉरेस्ट्री को एक महत्वपूर्ण पहलू बनाया है। एग्रो-फॉरेस्ट्री प्रणाली में खेती के साथ पेड़ लगाने से न केवल भूमि की उर्वरता बढ़ती है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी कम करती है। पेड़ मिट्टी के क्षरण को रोकते हैं और जल संतुलन बनाए रखते हैं, जिससे किसानों को खेती में अधिक स्थिरता मिलती है। इसके अलावा, पेड़ वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड सोखकर कार्बन फुटप्रिंट को घटाने में सहायक होते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव कम हो सकते हैं।

वुड-बेस्ड बिल्डिंग सामग्री को बढ़ावा

रोहित ने यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बताया कि वुड-बेस्ड बिल्डिंग सामग्री को बढ़ावा देने से पर्यावरण को कई तरह के लाभ हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, पारंपरिक निर्माण सामग्री जैसे कंक्रीट और स्टील के बजाय लकड़ी का उपयोग करने से कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आ सकती है। लकड़ी के उत्पाद कार्बन को लंबे समय तक संरक्षित रखते हैं, जिससे यह एक कार्बन-संकोचक सामग्री के रूप में काम करती है। यह दृष्टिकोण न केवल स्थिरता को प्रोत्साहित करता है, बल्कि किसानों के लिए आय का एक नया स्रोत भी बनाता है।

एग्री स्टार्टअप से पेड़ की कटाई नियोजित और व्यवस्थित तरीके से

रोहित ने यह भी बताया कि इस मॉडल के तहत पेड़ की कटाई को नियोजित और व्यवस्थित तरीके से किया जाता है, ताकि पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। उनके अनुसार, पेड़ों की फसल को कृषि उत्पाद की तरह देखा जाना चाहिए, जिसे समय पर काटकर फिर से लगाया जा सकता है। इस दृष्टिकोण से भूमि का उपयोग पूरी तरह से प्रभावी हो जाता है, और किसानों को हर पांच से दस साल में पेड़ों से आय प्राप्त होती है, जो उनकी पारंपरिक फसलों की आय के अतिरिक्त होता है।

वुड-बेस्ड निर्माण सामग्री की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती मांग

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वुड-बेस्ड निर्माण सामग्री के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती मांग, विशेषकर यूरोप और अमेरिका में, भारतीय किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। यह न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी हो सकता है, बल्कि भारत को एक प्रमुख टिकाऊ सामग्री आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करने में भी सहायक होगा। 

भविष्य की योजनाएं और वैश्विक विस्तार 

रोहित के अनुसार, उनका स्टार्टअप न केवल भारतीय बाजार में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपार संभावनाएं रखता है। उनका उद्देश्य भारत में अधिक से अधिक किसानों को अपने मॉडल से जोड़ना और उन्हें डिजिटल रूप से सशक्त बनाना है। उनके मुताबिक, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वुड-बेस्ड बिल्डिंग्स को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को लाभ होता है। रोहित चाहते हैं कि उनके स्टार्टअप के जरिए भारत के किसान भी इस हरित पहल का हिस्सा बन सकें।

सरकारी योजनाएं और समर्थन 

रोहित ने अपने स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से भी संपर्क साधा है। उन्होंने कई सरकारी योजनाओं और कृषि अनुदानों का उल्लेख किया, जो कृषि-आधारित स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। हालांकि, उनका कहना है कि अभी और भी सरकारी समर्थन की आवश्यकता है ताकि उनके जैसे नवाचारी स्टार्टअप्स किसानों तक अधिक प्रभावी ढंग से पहुंच सकें।

रोहित कनसे का यह अभिनव स्टार्टअप एक उदाहरण है कि कैसे कृषि क्षेत्र में तकनीक का इस्तेमाल किसानों के लिए नई संभावनाएं और अवसर पैदा कर सकता है। 

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