अरिंदर सिंह: एक किसान, एक इनोवेटर और रोल मॉडल, जो प्राकृतिक खेती के साथ बदल रहे दूसरों की किस्मत

अरिंदर सिंह ने 2016 में प्राकृतिक खेती का रास्ता अपनाया। गन्ने की खेती में नई सोच और पुराने तरीकों का संगम करके, उन्होंने खेती को न सिर्फ़ पर्यावरण के लिए बेहतर बनाया, बल्कि अपने उपज के स्वाद को भी अनोखा बना दिया।

अरिंदर सिंह: एक किसान, एक इनोवेटर और रोल मॉडल, जो प्राकृतिक खेती के साथ बदल रहे दूसरों की किस्मत

यहां पर हम एक ऐसे किसान की बात कर रहें हैं जिन्होंने न सिर्फ़ खेती को नए आयाम दिए, बल्कि भारत के पारंपरिक स्वाद को आधुनिक तकनीकों और प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के साथ मिलाकर देश-दुनिया तक पहुंचाया। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के छोटे से गांव बिलारी से आने वाले अरिंदर सिंह बरगोती की। एक किसान, एक इनोवेटर और अब एक रोल मॉडल।

2016 में की शुरुआत

अरिंदर सिंह ने 2016 में प्राकृतिक खेती का रास्ता अपनाया। गन्ने की खेती में नई सोच और पुराने तरीकों का संगम करके, उन्होंने खेती को न सिर्फ़ पर्यावरण के लिए बेहतर बनाया, बल्कि अपने उपज के स्वाद को भी अनोखा बना दिया।

मिलेट्स का क्रांतिकारी सफर

2022 में उन्होंने मिलेट्स यानी मोटे अनाज के विभिन्न उत्पाद तैयार करने शुरू किए।

  • मिलेट्स के लड्डू
  • मिलेट्स के बिस्कुट
  •  मिलेट्स की नमकीन
  •   ज्वार के समोसे

इन उत्पादों की ख़ास बात ये है कि मिठास के लिए वे गन्ने के प्राकृतिक रस और खांड का इस्तेमाल करते हैं। सोचिए, बिना केमिकल, बिना नकली स्वाद, सिर्फ़ और सिर्फ़ प्राकृतिक सामग्री!

प्रेरणा की पहली किरण

हिंदुस्तान में पहली बार अरिंदर सिंह ने गन्ने के रस से मिलेट्स के लड्डू बनाए। ये उत्पाद न सिर्फ़ स्वादिष्ट हैं, बल्कि सेहत के लिए बेहद फायदेमंद भी। इस क्रांतिकारी कदम ने न केवल स्थानीय बाजार, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई।

सम्मान और पुरस्कारों की झड़ी

उनके इस इनोवेशन और मेहनत को कई मंचों पर सराहा गया
  2022: कृषि विभाग से प्राकृतिक खेती के लिए पुरस्कार।
  2023: पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से मिलेट्स उत्पाद के लिए सम्मान।
  2023: मिलेनियम फार्मर्स पुरस्कार।
  2023: अमर उजाला द्वारा प्राकृतिक खेती के लिए विशेष सम्मान।
  2024: सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ से कृषक विशिष्ट सम्मान।

खेतों से लेकर किचन तक का सफ़र

अरिंदर सिंह का मानना है कि भारतीय खेती की असली ताकत हमारी पारंपरिक फसलें और उनकी प्रोसेसिंग में है। उन्होंने अपने छोटे से खेत को एक क्रिएटिव लैब में बदल दिया, जहां सेहत और स्वाद का जादू निकलता है।

उनकी वार्षिक आय 11 से 20 लाख रुपये के बीच है, जो यह साबित करता है कि मेहनत और इनोवेशन से छोटे किसान भी बड़े सपने साकार कर सकते हैं।

देशभर के किसानों के लिए प्रेरणा


अरिंदर सिंह सिर्फ़ एक किसान नहीं, बल्कि एक रोल मॉडल हैं। उन्होंने दिखाया कि कैसे छोटे संसाधनों से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। आज, उनकी कहानी हर उस किसान को प्रेरित करती है, जो अपनी पहचान बनाना चाहता है।

तो दोस्तों, अरिंदर सिंह बरगोती की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि खेती सिर्फ़ रोज़गार नहीं, बल्कि कला, विज्ञान और संस्कृति का संगम है।

 

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