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प्रस्तावना
बिहार के पश्चिमी चंपारण ज़िले के हरपुर गांव के निवासी विजय गिरी ने जैविक खेती के क्षेत्र में सफलता हासिल की है। 1 जनवरी 1955 को जन्मे विजय गिरी ने अपने जीवन को पूरी तरह से कृषि और जैविक खेती के प्रचार-प्रसार में समर्पित कर दिया है। लगभग 6-10 एकड़ भूमि पर खेती करने वाले विजय गिरी अपने खेतों में धान, अंबे महोर, मैजिक चावल, रंग-बिरंगे धान और रंगीन चावलों की खेती करते हैं, और ये सभी जैविक तरीके से उगाई जाती हैं।
जैविक खेती में विजय गिरी का योगदान (Vijay Giri’s Contribution to Organic Farming)
विजय गिरी का मानना है कि जैविक खेती न केवल भूमि की उर्वरता को बनाए रखने में सहायक है बल्कि इससे उत्पादित फसलें भी अधिक स्वास्थ्यवर्धक होती हैं। विजय बताते हैं-
“रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का इस्तेमाल लंबे समय में मिट्टी की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाता है। जैविक खेती के जरिए हम अपने पर्यावरण की सुरक्षा करते हैं और भविष्य की पीढ़ी के लिए भी स्वच्छ और स्वस्थ खाद्य पदार्थ सुनिश्चित करते हैं।”
जैविक खेती में विविधता अपनाई (Diversification in Organic Farming)
अपने खेतों में वे जैविक खाद, जैसे कि गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट, और जैविक कीटनाशकों का ही उपयोग करते हैं। उनकी खेती की तकनीक में पारंपरिक विधियों के साथ-साथ आधुनिक जैविक तकनीकों का समावेश है। उनकी सबसे बड़ी सफलता का एक कारण उनकी खेती में विविधता है, जिसमें धान की विभिन्न प्रजातियां जैसे अंबे महोर, मैजिक चावल और रंगीन चावलों की खेती शामिल हैं। इनकी विशेषता यह है कि ये प्रजातियां अधिक पौष्टिक होती हैं और बाजार में इनकी काफी मांग होती है।
जैविक खेती में कम लागत और अधिक आय (Lower costs, higher income in organic farming)
विजय गिरी न केवल अपने खेतों में जैविक खेती करते हैं, बल्कि अन्य किसानों के बीच इस विधि का प्रचार भी कर रहे हैं। वे अपने गांव के अन्य किसानों को जैविक खेती के फायदे बताते हैं और उन्हें इस विधि को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। वे कहते हैं, “जैविक खेती को अपनाने से न केवल उत्पादन लागत कम होती है, बल्कि उत्पाद का बाजार मूल्य भी अधिक मिलता है। इससे किसानों की आय में सुधार होता है।”
जैविक खेती को समर्थन देती योजनाएं (Schemes supporting organic farming)
विजय गिरी अब तक जैविक खेती के क्षेत्र में अपने प्रयासों में किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले सके हैं। हालांकि, वे सरकार से उम्मीद करते हैं कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कुछ योजनाएं बनाई जाएं, जो किसानों को अनुदान और प्रशिक्षण प्रदान कर सकें। बिहार सरकार और भारत सरकार दोनों के पास जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, परंतु इनमें जागरूकता की कमी के कारण कई किसान इन योजनाओं से वंचित रह जाते हैं। यदि विजय गिरी जैसे किसानों को इस तरह के सरकारी अनुदान और प्रशिक्षण मिल सकें, तो इससे जैविक खेती का विस्तार और भी तेज़ी से हो सकता है।
खेती में विशेष सम्मान और पुरस्कार (Special Honours and Awards in Agriculture)
विजय गिरी को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें कृषि मंत्रालय, आयुष मंत्रालय भारत सरकार, बिहार सरकार के उद्योग मंत्री और कृषि सचिव द्वारा कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। यह सम्मान उनके द्वारा कृषि क्षेत्र में किए गए योगदान की सराहना के प्रतीक हैं। वे कहते हैं-
“ये सम्मान मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और मुझे विश्वास दिलाते हैं कि मैं सही दिशा में काम कर रहा हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे जैसे और भी किसान जैविक खेती की ओर रुख करें और हम मिलकर इसे एक आंदोलन में बदल दें।”
सामुदायिक जैविक खेती समूह की योजना (Community organic farming group)
विजय गिरी अब अपने कार्य को और भी विस्तार देना चाहते हैं। उनका सपना है कि जैविक खेती के क्षेत्र में अधिक से अधिक किसानों को शामिल किया जाए और इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर बनाए जाएं। इसके लिए वे एक सामुदायिक जैविक खेती समूह बनाने की योजना बना रहे हैं, जो जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग को बढ़ावा देगा। वे मानते हैं कि यदि किसानों को बाजार में उचित मूल्य मिले तो वे जैविक खेती की ओर तेजी से प्रेरित हो सकते हैं। विजय का कहना है-
“बाजार की अच्छी पहुंच और उत्पाद की उच्च गुणवत्ता ही किसानों की आय बढ़ा सकती है। मैं चाहता हूँ कि हमारे जैविक उत्पाद देश के हर हिस्से में पहुंचे।”
विजय गिरी की यह कहानी न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने अपने जीवन में जैविक खेती को अपनाकर और इसे सफल बनाकर यह सिद्ध कर दिया है कि यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो न केवल किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सकता है। सरकार की योजनाओं और सही समर्थन के साथ, जैविक खेती को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया जा सकता है, और विजय गिरी जैसे किसान इस बदलाव के अग्रदूत बन सकते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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