रोहन सिंह पटेल ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय शुरू किया, क्या रहा शुरुआती निवेश और चुनौतियां?

रोहन सिंह पटेल ने दो साल पहले वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय का काम शुरू किया, जिसमें उन्होंने जैविक खाद बनाने की तकनीक को अपनाया।

वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय

प्रस्तावना

खेती में नवाचार का मतलब है कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकों और तरीकों का उपयोग करके उत्पादकता बढ़ाने, लागत कम करने और खेती को अधिक टिकाऊ बनाने से है। युवा और उभरते हुए किसान रोहन सिंह पटेल, अपने खेती के तरीकों में नयापन लेकर आए हैं। उन्होंने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय के क्षेत्र में कदम रखा और इसे अपने क्षेत्र में बढ़ावा दिया। यह लेख उनकी कृषि यात्रा, वर्मीकम्पोस्टिंग की तकनीक और इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताएगा।

फसलों की गुणवत्ता सुधारने का जैविक तरीका (“Organic Ways to Boost Crop Quality)

रोहन सिंह पटेल ने अपने करियर की शुरुआत एक स्टार्टअप से की थी, लेकिन कृषि के प्रति रुचि और जैविक खेती में संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने जैविक वर्मीकम्पोस्टिंग की दिशा में कदम बढ़ाया। उनका कहना है-

“मैंने जैविक वर्मीकम्पोस्टिंग की शुरुआत इसलिए की क्योंकि यह न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि इसके जरिए हम फसलों की गुणवत्ता में भी सुधार कर सकते हैं।”

उन्होंने दो साल पहले वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय का काम शुरू किया, जिसमें उन्होंने जैविक खाद बनाने की तकनीक को अपनाया। यह प्रक्रिया कृषि के अपशिष्टों को दोबारा इस्तेमाल में लाने और पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने में सहायक होती है। इस खाद का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाने के लिए किया जाता है, जिससे फसल की पैदावार और गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

वर्मीकम्पोस्टिंग की प्रक्रिया: प्राकृतिक संसाधनों का अच्छा इस्तेमाल (Vermicomposting: Using Nature’s Resources)

वर्मीकम्पोस्टिंग एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें केंचुएं (वर्मी) का उपयोग करके जैविक अपशिष्ट को कंपोस्ट में परिवर्तित किया जाता है। रोहन सिंह पटेल ने अपने खेत में इस प्रक्रिया को शुरू किया, जहां वे कृषि अपशिष्ट, जैसे पत्तियां, गोबर और दूसरे जैविक पदार्थों को केंचुओं की मदद से उर्वरक में बदलते हैं। उनका कहना है-

“हम अपने खेत में जैविक अपशिष्टों को इकट्ठा करते हैं और इसे वर्मीकम्पोस्ट में बदलते हैं। इस प्रक्रिया में केंचुएं जैविक अपशिष्ट को खाते हैं और उसे एक उच्च गुणवत्ता वाले खाद में बदल देते हैं, जिसे फिर से खेतों में इस्तेमाल किया जाता है।” 

वर्मीकम्पोस्टिंग- एक संतुलित व्यवसाय मॉडल (Vermicomposting- A Balanced Business Model)

रोहन सिंह पटेल ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय में लगभग 2 लाख रुपये का शुरुआती निवेश किया। उन्होंने बताया कि इस व्यवसाय में शुरू में थोड़ी लागत आती है, लेकिन एक बार जब वर्मीकम्पोस्ट तैयार हो जाता है, तो इसे आसानी से बेचा जा सकता है और इससे मुनाफा भी अच्छा मिलता है। उनकी कंपोस्ट का उपयोग आस-पास के किसानों द्वारा किया जाता है, जिससे वे न केवल खुद के लिए, बल्कि दूसरे किसानों के लिए भी एक उपयोगी उत्पाद दे पा रहे हैं। 

वर्मीकम्पोस्टिंग में मुनाफा समय के साथ बढ़ता है, क्योंकि जैविक खाद की मांग लगातार बढ़ रही है। रोहन सिंह पटेल का मानना है कि भविष्य में जैविक खेती और वर्मीकंपोस्टिंग के क्षेत्र में और भी अधिक संभावनाएं होंगी। 

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बड़े स्तर पर वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय ले जाने का लक्ष्य (Scaling Up the Vermicomposting Business)

रोहन सिंह पटेल ने अपनी मेहनत और लगन से वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय में सफलता हासिल की है। उनका कहना है कि उन्होंने इस काम को खुद अपनी कोशिशों और संसाधनों से शुरू किया है। सरकारी योजनाओं का लाभ अभी तक नहीं लिया, लेकिन भविष्य में वो ज़रूर देखेंगे कि कौन-कौन सी सरकारी सहायता उपलब्ध है और उसे अपने काम को और बढ़ाने के लिए कैसे उपयोग किया जा सकता है। उनकी ये सकारात्मक सोच उनकी सफलता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का संकेत देती है।

वर्मीकम्पोस्टिंग में नई तकनीकों का उपयोग (New Techniques in Vermicomposting)

वर्मीकम्पोस्टिंग की प्रक्रिया में, रोहन सिंह पटेल पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ कुछ आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए ज़ीरो वेस्ट तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें अपशिष्ट पदार्थों को बिना किसी नुकसान के दोबारा उपयोग में लाया जाता है। 

फ़िलहाल रोहन वर्मीकम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया को और कुशल बनाने के लिए नई-नई तकनीकों की खोज कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने अभी तक किसी बड़े पैमाने पर मशीनरी का इस्तेमाल नहीं किया है, लेकिन भविष्य में वे मशीनों के जरिए इस प्रक्रिया को और तेज़ और कुशल बनाने की योजना बना रहे हैं। 

वर्मीकम्पोस्टिंग में चुनौतियां और समाधान (Vermicomposting: Challenges & Solutions)

रोहन सिंह पटेल ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया। उनके अनुसार-

“शुरुआत में मुझे काफी कठिनाई हुई। किसानों को वर्मीकम्पोस्ट की उपयोगिता के बारे में समझाना एक बड़ी चुनौती थी। बहुत से किसानों को इस जैविक खाद के फायदे के बारे में जानकारी नहीं थी, लेकिन मैंने धैर्य नहीं छोड़ा।”

वर्मीकम्पोस्ट के लाभ के बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए उन्होंने गाँव में किसानों की गोष्ठी आयोजित की और मेलों में भी अपने उत्पाद का प्रदर्शन किया। इस तरह उन्होंने धीरे-धीरे किसानों का विश्वास जीता और वर्मी कंपोस्ट की मांग बढ़ने लगी। 

भविष्य की योजनाएं: जैविक खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जाना (Future Plans: Elevating Organic Farming)

रोहन सिंह पटेल अपनी वर्मीकम्पोस्टिंग प्रक्रिया का दायरा बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि वे बड़े पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन करें और इसे अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाएं। साथ ही, वे अपने खेत में और भी नई जैविक तकनीकों को अपनाकर पूरी तरह से जैविक खेती की दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी कर रहे हैं।

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जैविक वर्मीकम्पोस्टिंग की अनंत संभावनाएं (Endless Possibilities of Vermicomposting)

रोहन सिंह पटेल की ये कहानी न केवल उनकी मेहनत और समर्पण के बारे में है, बल्कि ये उन सभी किसानों के लिए एक प्रेरणा भी है, जो पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर जैविक खेती और वर्मीकम्पोस्टिंग की दिशा में कदम रखना चाहते हैं। 

वर्मीकम्पोस्टिंग न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि ये किसानों को भी बेहतर मुनाफा और उच्च गुणवत्ता वाली फसलें देने में मदद करता है। रोहन सिंह पटेल की इस यात्रा से ये साबित होता है कि अगर हम सही दिशा में काम करें और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें, तो किसी भी क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है। 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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