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देश के सैकड़ों किसान जो नई सोच और ज़बरदस्त मेहनत से खेती का चेहरा बदल रहे हैं,उन्हीं किसानों में से एक हैं उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के काठौरी गांव के रामाश्रय कुमार। ये नाम सिर्फ एक किसान का नहीं, बल्कि जैविक खेती (Organic Farming) के ज़रिए सफलता की मिसाल बन चुका है। आमतौर पर जब खेती की बात होती है, तो हमें धान, गेहूं और गन्ने की परंपरागत फसलें याद आती हैं। लेकिन रामाश्रय जी ने इन सबसे अलग हटकर ऐसा फसल चुना, जो आज उनकी पहचान और सफलता की वजह बन गया है वो है ब्लैक राइस (Black Rice)।
“ब्लैक राइस” (Black Rice) औषधीय गुणों से भरपूर एक वरदान
काला चावल, जिसे “ब्लैक राइस” (Black Rice) भी कहा जाता है, सिर्फ एक अनाज नहीं, बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर एक वरदान है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को बीमारियों से लड़ने की ताकत देते हैं। मल्टीविटामिन, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और जिंक इसे और भी खास बनाते हैं। डायबिटीज जैसी बीमारियों के लिए यह रामबाण है, क्योंकि इसमें चीनी की मात्रा बेहद कम होती है।
सबसे ख़ास बात ये है कि रामाश्रय जी इस चावल को पूरी तरह जैविक तरीके से उगाते हैं। बिना किसी रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों के, ये चावल न सिर्फ शुद्ध होता है, बल्कि सेहत और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद है।
कम ज़मीन, बड़ा सपना
रामाश्रय जी के पास भूमि कम है। लेकिन उन्होंने इस छोटी-सी ज़मीन पर बड़ा सपना देखा। वे कहते हैं, “काले चावल की खेती में पैदावार कम होती है, लेकिन इसकी कीमत और मांग इतनी ज़्यादा है कि मुनाफा दूसरे फसलों से कहीं अधिक होता है। आज उनकी सालाना आमदनी 1 से 10 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है। उनकी ये सफलता बताती है कि छोटी शुरुआत भी बड़े बदलाव ला सकती है।
पुरस्कारों की झड़ी
रामाश्रय की मेहनत और काले चावल की खासियत ने उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार दिलाए हैं:
- काला चावल उत्पादन व निर्यात प्रोत्साहन सम्मान (2022)
- मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम उत्तर प्रदेश (2023)
- Vocal for Local अभियान प्रशस्ति पत्र (2022)
- आज़ादी का अमृत महोत्सव कृषक सम्मान (2022)
- एक जनपद, एक उत्पाद टूलकिट योजना सम्मान (2023)
- सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन सहभागिता प्रमाण पत्र 2022
- उद्योग संबंध एवं आंतरिक व्यापार विभाग सहभागिता प्रमाण पत्र 2022-23
- ODOP toolkit काला चावल प्रशिक्षण 2023
- NBAIM राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो मऊ उत्तर प्रदेश
- मिशन किसान कल्याण कृषि विभाग प्रशस्ति पत्र 2021
- किसान सम्मान दिवस 2022
- कृषि विभाग केंद्र चंदौली प्रशस्ति पत्र 2022
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस राज्य स्तरीय हस्तलिपि प्रदर्शनी लखनऊ 2023
- आजादी का अमृत महोत्सव कृषि दिवस केंद्र चंदौली कृषक सम्मान 2022
- कृषि विभाग केंद्र प्रशस्ति पत्र
- किसान सम्मान दिवस 2021
- 49 वां स्थापना दिवस समारोह व राज्य स्त्री किसान आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
- कुमारगंज अयोध्या कृषक सामान समारोह
चंदौली को बनाया ‘ब्लैक राइस का ब्रांड’
चंदौली को “धान का कटोरा” कहा जाता है। लेकिन रामाश्रय ने इसे “काले चावल का ब्रांड” बना दिया है। आज उनकी खेती सिर्फ चंदौली तक सीमित नहीं, बल्कि उनके काले चावल की मांग देशभर में है। उनके उत्पादों ने स्थानीय बाजारों से लेकर निर्यात तक अपनी पहचान बनाई है।
प्रेरणा की कहानी
रामाश्रय जी ने बिना किसी बड़े संसाधन के, सिर्फ अपनी मेहनत और सीखने की ललक से ये मुकाम हासिल किया। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र चंदौली और कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या जैसे संस्थानों से ट्रेनिंग लेकर नई तकनीकों को अपनाया।
उनका मानना है कि खेती सिर्फ आजीविका का साधन नहीं, ये एक संजीवनी है। वे कहते हैं, “अगर हम जैविक खेती को अपनाएं, तो न सिर्फ हमारी फसल बेहतर होगी, बल्कि हमारी जमीन, पानी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।”
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
रामाश्रय जी सिर्फ अपनी सफलता तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने आसपास के किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित किया। वे कहते हैं, “खेती में सबसे बड़ा निवेश पैसा नहीं, बल्कि सही सोच और सही तकनीक है।”
क्या है काले चावल की खेती का रहस्य?
रामाश्रय का मानना है कि अक्टूबर से फरवरी का समय काले चावल की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है। ये कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है। इसे उगाने में जमीन की उर्वरकता और पर्यावरण का खास ध्यान रखा जाता है।
वोकल फॉर लोकल के ब्रांड एंबेसडर
रामाश्रय जी ने “Vocal for Local” अभियान के तहत अपने काले चावल को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। आज उनके उत्पाद ODOP (One District, One Product) योजना के तहत मशहूर हो चुके हैं। रामाश्रय कुमार की कहानी एक छोटे किसान से लेकर काले चावल के ब्रांड एंबेसडर बनने का सफर हर किसान के लिए प्रेरणा है।