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अचल राम जाट, राजस्थान के जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ गांव के निवासी, न केवल एक किसान हैं, बल्कि जैविक खेती, जल संरक्षण और खेजड़ी के संरक्षण में एक मिशाल भी हैं। 11 मई 1970 को जन्मे अचल राम ने अपने जीवन को जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित किया है। वे अपने अभिनव प्रयासों के माध्यम से न केवल अपनी आय बढ़ाने में सफल रहे हैं, बल्कि हजारों किसानों को प्रेरित कर एक नई दिशा भी प्रदान कर रहे हैं।
जैविक खेती और खेजड़ी संरक्षण अभियान (Organic farming and Khejri conservation campaign)
खेजड़ी के पेड़: मरुस्थल का जीवन
अचल राम का “हर साल खेजड़ी: एक अभियान” मरुस्थल में हरियाली बढ़ाने का एक अनूठा प्रयास है। उन्होंने 2000 में अपने खेतों की मेड़ों पर खेजड़ी के 100 पेड़ लगाकर इस अभियान की शुरुआत की। आज उनके खेतों की चारों ओर की मेड़ों पर 11,000 से अधिक खेजड़ी के पेड़ लहराते हैं। खेजड़ी का महत्व न केवल पर्यावरण संरक्षण में है, बल्कि यह जैविक खेती में भी मदद करता है।
खेजड़ी के फ़ायदे (Benefits of Khejri)
– भूमि की उर्वरता में सुधार।
– पशुओं के लिए चारा।
– पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना।
अचल राम कहते हैं, “सिर सांटे रूंख रहे, तो भी सस्तो जाण” (यदि पेड़ बचा रहेगा, तो जीवन सस्ता और सरल होगा)।
जल संरक्षण में योगदान (Contribute to water conservation)
जैसलमेर जैसे शुष्क क्षेत्र में जल संरक्षण का महत्व किसी से छिपा नहीं है। अचल राम ने जल संरक्षण के लिए कई प्रभावशाली कदम उठाए हैं।
- डिग्गियों का निर्माण
– 5 डिग्गियों का निर्माण (2 पक्की और 3 प्लास्टिक से बनी)।
– इनकी कुल जलधारण क्षमता लगभग 11 करोड़ लीटर है।
- सोलर पंप और ऑटोमेशन तकनीक
– पानी खींचने के लिए 3 पाइप सेट का उपयोग, जो एक ही मशीन से तीन गुना काम करता है।
– पूरी प्रणाली सौर ऊर्जा से संचालित है।
इन प्रयासों से अचल राम ने न केवल अपनी खेती को सिंचाई के लिए आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि आसपास के किसानों को भी जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया।
भूरा बाबा फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी (Bhura Baba Farmers Producer Company)
अचल राम ने 900 से अधिक किसानों को जोड़कर “भूरा बाबा फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी” की स्थापना की। यह कंपनी किसानों को आधुनिक तकनीकों, बेहतर बाजार पहुंच और प्रशिक्षण प्रदान करती है।
एफपीओ के प्रमुख कार्य:
– किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करना।
– उत्पादों के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध कराना।
– किसानों को जल संरक्षण और आधुनिक तकनीकों के उपयोग का प्रशिक्षण देना।
आर्थिक सफलता और सामाजिक योगदान (Economic success and social contribution)
अचल राम की खेती और नवाचार ने उनकी वार्षिक आय को 1-50 करोड़ रुपये के बीच पहुंचा दिया है। उनकी सफलता न केवल आर्थिक लाभ तक सीमित है, बल्कि उन्होंने कई ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान किए हैं।
– आर्थिक मॉडल:
– खेजड़ी आधारित उत्पादों की बिक्री।
– जैविक खेती के उत्पादों का विपणन।
– जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग।
– सामाजिक योगदान:
– ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को रोजगार देना।
– किसानों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करना।
सम्मान और पुरस्कार (Honours and Awards)
अचल राम को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार मिल चुके हैं:
- IARI इनोवेटिव अवार्ड 2022 – ICAR-IARI, पूसा, नई दिल्ली द्वारा।
- IARI फेलो फार्मर अवार्ड 2024 – ICAR-IARI, पूसा, नई दिल्ली द्वारा।
- प्रशंसा पुरस्कार 2024 – अरिड फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, जोधपुर द्वारा।
सरकारी योजनाओं का लाभ (Benefits of government schemes)
अचल राम ने अपने प्रयासों में कई सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठाया है। ये योजनाएं उनके जल संरक्षण और जैविक खेती के प्रयासों को सफल बनाने में सहायक रही हैं।
सरकारी सहयोग:
– सोलर पंप सब्सिडी।
– जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण और प्रोत्साहन।
– जल संरक्षण योजनाओं के लिए आर्थिक सहायता।
भविष्य की योजनाएं (future plans)
अचल राम का सपना है कि वे जैविक खेती और जल संरक्षण के अपने मॉडल को पूरे देश में फैलाएं।
योजनाएं:
– अधिक किसानों को भूरा बाबा फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी से जोड़ना।
– जैविक उत्पादों के लिए एक ब्रांड स्थापित करना।
– खेजड़ी संरक्षण को एक राष्ट्रीय अभियान में बदलना।
निष्कर्ष (conclusion)
अचल राम जाट की कहानी यह साबित करती है कि यदि किसान परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक का सही मिश्रण करें, तो खेती न केवल लाभदायक हो सकती है, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी फ़ायदेमंद साबित हो सकती है।
उनका संदेश है:
“पेड़ लगाना, पानी बचाना और जैविक खेती करना हमारी पीढ़ियों के लिए एक उपहार है। किसानों को जागरूक बनना होगा और नई तकनीकों को अपनाना होगा।”
अचल राम जाट का जीवन और कार्य न केवल जैसलमेर के किसानों के लिए, बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके प्रयास यह दिखाते हैं कि अगर एक किसान ठान ले, तो वह पूरे समाज में बदलाव ला सकता है।
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