विद्यार्थी कुमार प्रसाद: खाद्य प्रसंस्करण में नवाचार की ओर बढ़ता कदम

विद्यार्थी रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से बचते हैं और गोबर खाद जैसे प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करते हैं। उनका मानना है कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर बनाती है।  

विद्यार्थी कुमार प्रसाद: खाद्य प्रसंस्करण में नवाचार की ओर बढ़ता कदम

बिहार के सिवान जिले के खवासपुर गांव के निवासी विद्यार्थी कुमार प्रसाद ने छोटे स्तर पर खेती से शुरू करके खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के क्षेत्र में कदम रखा है। 20 मई 1985 को जन्मे विद्यार्थी ने अपने सीमित संसाधनों और मेहनत के बल पर खाद्य प्रसंस्करण में एक नई शुरुआत की है। उनकी ज़मीन का आकार भले ही एक एकड़ से कम है, लेकिन उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस क्षेत्र में एक नई पहचान दी है।  

 खेती का तरीका और चुनौतियां

विद्यार्थी कुमार प्रसाद का मुख्य रूप से गेहूं, धान और मक्का की खेती पर ध्यान केंद्रित है।  

जैविक खेती की ओर झुकाव

  विद्यार्थी रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से बचते हैं और गोबर खाद जैसे प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करते हैं। उनका मानना है कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर बनाती है।  

चुनौतियां

  1. सीमित भूमि (1 एकड़ से कम) पर खेती करना।  

  2. आधुनिक कृषि उपकरणों और तकनीकों की कमी।  

  3. सरकारी योजनाओं से जुड़ने में असमर्थता।  

 खाद्य प्रसंस्करण में योगदान

खाद्य प्रसंस्करण का विचार विद्यार्थी को अपनी फसल की अधिकतम उपयोगिता सुनिश्चित करने और अधिक मुनाफा कमाने के लिए आया।

फसल आधारित उत्पाद 

  उन्होंने अपने खेत की उपज, जैसे गेहूं और मक्का, को सीधे बेचने के बजाय उसका प्रसंस्करण शुरू किया। इसके तहत आटा, मक्के के दाने और अन्य उत्पाद तैयार किए जाते हैं, जो बाजार में अधिक मांग में हैं।  

बाजार में संभावनाएं

  विद्यार्थी कुमार स्थानीय बाजारों में अपने उत्पाद बेचते हैं। उनकी उत्पादों की गुणवत्ता और जैविक उत्पादन के कारण स्थानीय उपभोक्ता इसे प्राथमिकता देते हैं।  

 जैविक खेती के महत्व पर जोर

विद्यार्थी का मानना है कि रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से भूमि की उर्वरता घटती है और यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।  

– उन्होंने अपने खेत में गोबर खाद और जैविक उर्वरकों का उपयोग करके यह सिद्ध किया है कि जैविक खेती में गुणवत्ता और लाभ दोनों संभव हैं।  

– जैविक खेती के उत्पादों के कारण उन्हें अपने उत्पादों के लिए अधिक कीमत मिलती है।  

 सरकारी योजनाओं और सहायता की आवश्यकता

अब तक विद्यार्थी ने किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया है।  

– सरकार से अपेक्षाएं

  1. छोटे किसानों को सस्ते दर पर आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।  

  2. जैविक खेती और खाद्य प्रसंस्करण के लिए विशेष प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता।  

  3. स्थानीय स्तर पर बाजार उपलब्ध कराने में मदद।  

 आर्थिक लाभ और सामाजिक प्रभाव

– उनकी आय का मुख्य स्रोत उनकी फसल और खाद्य प्रसंस्करण है।  

– सालाना आय 1-10 लाख के बीच होने के बावजूद, वे अपने क्षेत्र के अन्य किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।  

– जैविक खेती के प्रति उनका झुकाव और गुणवत्ता आधारित प्रसंस्करण उन्हें अपने गांव में एक मिसाल बनाता है।  

 भविष्य की योजनाएं  

विद्यार्थी कुमार की भविष्य की योजनाएं उनके मौजूदा कार्य को और विस्तार देने की हैं।  

1. खाद्य प्रसंस्करण इकाई का विस्तार:  

   वह अपनी फसल आधारित प्रसंस्करण इकाई को और बड़ा करना चाहते हैं, ताकि अधिक मात्रा में उत्पाद तैयार किया जा सके।  

2. जैविक उत्पादों का प्रचार-प्रसार:  

   अधिक किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करना और उनके उत्पादों को बाजार तक पहुंचाना।  

3. स्थानीय ब्रांड की शुरुआत:  

   अपने उत्पादों के लिए एक स्थानीय ब्रांड बनाकर बाजार में एक अलग पहचान स्थापित करना।  

विद्यार्थी कुमार प्रसाद की कहानी दिखाती है कि सीमित संसाधनों के बावजूद, अगर इच्छाशक्ति और मेहनत हो, तो बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। उनकी जैविक खेती और खाद्य प्रसंस्करण के प्रति प्रतिबद्धता न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना रही है, बल्कि उनके क्षेत्र के किसानों को भी प्रेरित कर रही है।  

उनका सपना है कि हर किसान आत्मनिर्भर बने और जैविक खेती को अपनाकर स्वस्थ और सुरक्षित भोजन का उत्पादन करे। उनकी यह यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो खेती और प्रसंस्करण के क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते हैं।  

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