Aeroponic Technique से बंद कमरे में केसर की खेती, हिमाचल के गौरव ने इंटरनेट से सीख कर शुरू किया केसर उत्पादन

गौरव Aeroponic Technique से केसर की खेती करते हैं। इस तकनीक में बंद कमरे में केसर को उगाते हैं। बंद कमरे में कश्मीर के वातावरण को बनाने की कोशिश करते हैं। ये तकनीक मिट्टी रहित होती है।

aeroponic technique

केसर की खेती भारत में लगातार लोकप्रिय हो रही है। अब देश में कई किसान Aeroponic Technique से केसर की खेती बंद कमरे में कर रहे हैं। एक ऐसे ही शख्स हैं हिमाचल के गौरव। हिमाचल प्रदेश के सोनल के रहने वाले गौरव सभरवाल ने इंटरनेट से केसर की खेती करना सीखा। आपको बता दें कि सोलन शहर अपने मशरूम उत्पादन के लिए देशभर में मशहूर है। इस बीच गौरव ने केसर उगाकर रोज़गार की एक नई राह बना रहे हैं। वो इस काम से लाखों का बिज़नेस कर रहे हैं। उन्होंने अपनी पहली ही केसर क्रॉप को ढाई लाख रुपये में बेचा है। गौरव पिछले एक से डेढ़ साल से केसर की खेती कर रहे हैं। इसके साथ ही वो किसानों को भी ट्रेनिंग देते हैं। जानिए इस लेख में गौरव की पूरी कहानी।

क्या है Aeroponic Technique?

गौरव एरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती करते हैं। इस तकनीक में बंद कमरे में केसर को उगाते हैं। बंद कमरे में कश्मीर के वातावरण को बनाने की कोशिश करते हैं। ये तकनीक मिट्टी रहित होती है। इस तकनीक में रैक, ट्रै, चिलिंग डिवाइस, ह्यूमिडिटी फ़ायर, जैसे डिवाइस का इस्तेमाल होता है। इन डिवाइस से कमरे को कश्मीर जैसा वातावरण दिया जाता है।

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केसर की खेती का कैसे आया आइडिया?

हिमाचल प्रदेश के गौरव सभरवाल को पहले खेती की कोई जानकारी नहीं थी। उनके पिता की एक जूते की दुकान थी और पिता के निधन के बाद वो उसी दुकान को संभाल रहे थे। कुछ समय के बाद उन्हें इस काम में आगे बढ़ने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही थी। इसके बाद गौरव नए बिज़नेस की तलाश में लग गए। कुछ दिनों के इंटरनेट रिसर्च के ज़रिए उन्हें एयरोपोनिक तकनीक से इंडोर केसर उगाने की जानकारी मिली।

उन्हें ये आइडिया इतना पसंद आया कि उन्होंने मशरूम कैपिटल सोलन में पहली बार केसर उगाने का फैसला किया। वो कहते हैं-

“ये एक रिस्क भी था लेकिन मैंने ये रिस्क लिया। इंटरनेट पर रिसर्च करके इसको मैंने शुरू किया। पता चला कि मार्केट में केसर की डिमांड ज़्यादा है पर सप्लाई कम है। इस बिज़नेस में सफलता हासिल करने के आसार दिखे। दोस्तों की मदद से केसर की इनडोर खेती चालू की। 300 स्क्वायर फुट में 500 केसर के बल्ब लगाए जा सकते हैं।”

कैसे इंडोर केसर की खेती की शुरुआत करें?

गौरव बताते हैं कि नए किसान को 200 से 250 स्क्वायर फुट से इंडोर केसर की खेती की शुरुआत करनी चाहिए। एयरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती करने के लिए 6 लाख रुपए से 7 लाख रुपए तक का खर्चा आता है। केसर की खेती की शुरुआत मिड अगस्त में होती है। नवंबर के महीने में केसर की हार्वेस्टिंग आ जाती है। अभी गौरव साल में सिर्फ़ एक बार ही फसल ले रहे हैं। दूसरी बार केसर की फसल लेने का ट्राई कर रहे हैं। मेंटेनेंस के नाम पर खर्चा बिजली का बिल रहता है।

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केसर की खेती में क्या हैं रखरखाव?

केसर की खेती में कई तरह की सावधानी रखनी पड़ती है। इसमें सबसे ज़्यादा ध्यान फंगस का रखना पड़ता है। बीजों को फंगस से बचाना चाहिए। कमरे के तापमान को नियंत्रित रखना ज़रुरी होती है। तापमान का फसल पर काफ़ी असर पड़ता है। कमरे की आद्रता को भी नियंत्रित करना चाहिए। गौरव बताते हैं कि वो केसर के बीज कश्मीर से लेकर आए थे। फसल को लगाने से पहले बीजों का ट्रीटमेंट करना पड़ता है। ह्यूमिडिटी 60 से 65 रखनी चाहिए। अलग-अलग टाइम पर हयूमिडिटी बदलनी चाहिए। इसके साथ ही तापमान और कार्बन डाई ऑक्साइड का लेवल (CO2) भी मेंटेन रखना पड़ता है।

केसर की खेती में रोगों को कैसे नियंत्रित करें?

गौरव आगे बताते हैं कि एयरोपोनिक तकनीक में केसर की खेती में बीमारियां तो लगती है। अगर उदाहरण की बात की जाए तो फंगस। फंगस की शुरुआत बीज से होती है। अगर किसी बीज में फंगस लग जाता है तो उसको रोकने के लिए उस बीज को ट्रे से निकालकर मिट्टी में दबा देना चाहिए। उस बीज को अगले साल इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उससे पहले उस बीज का ट्रीटमेंट करना होगा।

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केसर के बीजों की सोइलिंग कब करें?

एक बार फसल लेने के बाद बीज की सोइलिंग करनी होती। इस विधि में मिट्टी तैयार करनी होती है। उसमें वर्मीकम्पोस्ट मिलाना चाहिए। वो कहते हैं-

“अगर हम नवंबर में बीज की सोइलिंग करेंगे तो फरवरी में एक बीज से हमको तीन बीज मिलेंगे। सोइलिंग के लिए मिट्टी तैयार करने के लिए 25 प्रतिशत तक क्ले और 25 फ़ीसदी वर्मीकम्पोस्टऔर 50 प्रतिशत की सामान्य मिट्टी का इस्तेमाल करना चाहिए। मिट्टी में नीम से बनी खाद इस्तेमाल करता हूं। इसमें कोकोपीट का इस्तेमाल नहीं करते हैं। कोकोपीट के इस्तेमाल से केसर का बल्ब खराब हो जाता है।”

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केसर का बाज़ार कैसे बनाया?

गौरव ने केसर का बाज़ार बनाने के लिए उसको रिटेल में बेचा था। गौरव आगे बताते हैं कि बाज़ार में कश्मीरी केसर की कीमत 290 से 300 रुपए प्रति ग्राम है लेकिन उन्होंने 500 रुपए प्रति ग्राम बेची। इस बार कुल उत्पादन आधा किलो का हुआ था। उन्होंने ये सेलिंग सोशल मीडिया से की है। केसर की खेती में किसान को फ़ायदा तीन साल बाद मिलेगा। पहले तीन सालों में इन्वेस्टमेंट कम कवर होता है।

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केसर की खेती के लिए लोन

गौरव ने केसर की खेती चालू करने के लिए केंद्र सरकार की योजना प्रधानमंत्री की मुद्रा लोन योजना का लाभ लिया। इस योजना के तहत केसर की खेती करने के लिए 10 लाख रुपए का लोन मिला। इससे एयरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती करने का सेटअप लगाया।

किसानों को केसर की खेती की ट्रेनिंग

गौरव केसर की खेती के साथ-साथ किसानों को ट्रेनिंग भी देते हैं। गौरव  किसानों में अपने फ़ार्म के अंदर ट्रेनिंग देते हैं। गौरव किसानों से ट्रेनिंग प्रोग्राम के 12 हज़ार रुपए लेते हैं। अभी तक गौरव लगभग 21 किसानों को ट्रेनिंग दे चुके हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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