कान सिंह निर्वाण : जिनके लिए खेती करना सिर्फ़ पेशा नहीं बल्कि एक मिशन

कान सिंह निर्वाण की मेहनत और योगदान को कई बड़े मंचों पर सराहा गया है। उन्हें राजस्थान के प्राकृतिक खेती के श्रेष्ठ अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें 1 लाख रूपये का नगद पुरस्कार दिया। देश ही नहीं, विदेशों में भी उनके मॉडल की तारीफ हुई है।"

कान सिंह निर्वाण : जिनके लिए खेती करना सिर्फ़ पेशा नहीं बल्कि एक मिशन

राजस्थान की धरती, जहां हर कण में मेहनत की कहानियां बसी हुई हैं, वहीं सीकर के कान सिंह निर्वाण ( Kan Singh Nirvana ) ने जैविक खेती को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आज हम आपको लेकर चल रहे हैं राजस्थान के सीकर में, जहां जैविक खेती और प्राकृतिक गौ आधारित कृषि की मिसाल पूरी दुनिया देख रही है।

खेती पेशा नहीं, बल्कि एक मिशन

कान सिंह निर्वाण एक ऐसा नाम है जिसने खेती को सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक मिशन बना दिया। उनकी ज़मीन आज इतनी समर्थ है कि किसी भी फसल में रोग या बीमारी की कोई जगह नहीं है। और ये सब मुमकिन हुआ है उनके 50 से अधिक गोवंश, ऊंट और घोड़ों की मदद से, जो इस पूरी प्राकृतिक कृषि प्रणाली की रीढ़ हैं।

निशुल्क प्राकृतिक गौ आधारित खेती की ट्रेनिंग

ये कहानी सिर्फ उनके खेतों तक सीमित नहीं है। उन्होंने अपने ज्ञान और अनुभव को हर किसान तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। भारत और विदेशों से हजारों किसान उनके पास आते हैं, और वो उन्हें निशुल्क प्राकृतिक गौ आधारित खेती की ट्रेनिंग देते हैं। उनका कहना है, ‘देखा हुआ कभी भूलते नहीं,’ और इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एक ऐसा मॉडल खड़ा किया है, जो पूरे देश में अपनी तरह का अकेला है।

स्वतंत्र कृषि प्रणाली का जीता-जागता उदाहरण

कान सिंह निर्वाण का सिस्टम यहीं खत्म नहीं होता। वो पहले किसान हैं, जिन्होंने प्राकृतिक खेती की प्रोसेसिंग यूनिट तैयार की है। यहां उनके उत्पाद प्रोसेस होते हैं और फिर पूरे देशभर में पहुंचते हैं। ये सिर्फ खेती नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र कृषि प्रणाली का जीता-जागता उदाहरण है।

प्राकृतिक खेती के श्रेष्ठ अवार्ड से सम्मानित

कान सिंह निर्वाण की मेहनत और योगदान को कई बड़े मंचों पर सराहा गया है। उन्हें राजस्थान के प्राकृतिक खेती के श्रेष्ठ अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों ने उन्हें 1 लाख रूपये का नगद पुरस्कार दिया। देश ही नहीं, विदेशों में भी उनके मॉडल की तारीफ हुई है।

कृषि बजट और नीति निर्माण में सरकार देते हैं सलाह

कान सिंह न सिर्फ एक किसान हैं, बल्कि वो केंद्र और राज्य सरकारों के कृषि सलाहकार भी रहे हैं। उनकी सलाहें कृषि बजट और नीति निर्माण में अहम भूमिका निभाती हैं। वो किसानों को जागरूक करते हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करते हैं।”

सीकर का मॉडल देखने के लिए लोग विदेश से आते हैं

सीकर में उनका बनाया केंद्र आज हर उस किसान के लिए प्रेरणा है, जो प्राकृतिक खेती की ताकत को समझना चाहता है। उनका कहना है, ‘जो आपने देखा है, उसे आप कभी भूल नहीं सकते। यही वजह है कि उनका मॉडल देखने के लिए लोग देश के कोने-कोने से और विदेशों से भी आते हैं।

हर किसान जैविक खेती अपनाए

कान सिंह निर्वाण का सपना सिर्फ अपनी ज़मीन तक सीमित नहीं है। वो चाहते हैं कि हर किसान जैविक और प्राकृतिक खेती को अपनाए, ताकि हमारी धरती फिर से उपजाऊ और स्वस्थ बन सके। उनके प्रयास से न केवल किसानों की आय बढ़ी है, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा हुआ है।

किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं

कान सिंह बताते हैं कि उन्होंने कभी किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया, लेकिन मेहनत और विश्वास से वो कर दिखाया, जो किसी ने सोचा नहीं था। आप सब से उनकी गुज़ारिश है, एक बार आइए, उनके मॉडल को देखिए और समझिए। धरती को बचाना है, तो हमें वापस प्रकृति की ओर लौटना होगा।

कान सिंह के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं

कान सिंह निर्वाण जैसे लोग हमें सिखाते हैं कि जब इरादे मजबूत हों, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं। उनकी कहानी सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि हर उस इंसान की प्रेरणा है, जो बदलाव लाने का सपना देखता है। तो चलिए, एक बार सीकर जाएं, उनके मॉडल को देखें और सीखें कि कैसे हम भी अपनी धरती को बेहतर बना सकते हैं।

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