संतोष कुमार सिंह ने जैविक खेती के ज़रीये आत्मनिर्भर समाज की ओर बढ़ाया कदम  

उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले के तरेम गांव के निवासी संतोष कुमार सिंह जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के […]

संतोष कुमार सिंह ने जैविक खेती के ज़रीये आत्मनिर्भर समाज की ओर बढ़ाया कदम  

उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले के तरेम गांव के निवासी संतोष कुमार सिंह जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के माध्यम से कृषि में एक नई क्रांति ला रहे हैं। 4 नवंबर 1972 को जन्मे संतोष ने अपनी मेहनत और लगन से खेती को न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद बनाया है, बल्कि इसे समाज के लिए भी प्रेरणादायक बनाया है। उनके द्वारा जैविक खेती में की गई प्रगतिशील पहलें और पोषण वाटिका का मॉडल पूरे क्षेत्र में सराहा जा रहा है।  

 जैविक खेती का सफर  

 पोषण वाटिका का निर्माण  

– संतोष कुमार सिंह ने 1 एकड़ भूमि पर पोषण वाटिका का निर्माण किया है।  

– उनकी पोषण वाटिका में उगाई जाने वाली फसलें और फल:  

  – फल: केला, पपीता, आम, अमरूद, संतरा, बेल, ड्रैगन फ्रूट, जामुन, आंवला, सेब, लीची।  

  – सब्जियां: जिमीकंद, अरबी, करेला, लौकी, खीरा, लोबिया।  

  – अन्य पौधे: कपूरी तुलसी, सहजन, गेंदा फूल।  

 मछली पालन और मोती उत्पादन  

– मीठे जल में मछली पालन और मोती रत्न का उत्पादन:  

  – संतोष अपने खेत के एक एकड़ में मछली पालन के साथ मोती उत्पादन करते हैं।  

  – ये न केवल उनकी आय का एक बड़ा स्रोत है, बल्कि एक अनूठा कृषि प्रयोग भी है।  

 जैविक खाद और कीटनाशक  

– खेती में रसायनों का उपयोग पूरी तरह बंद है।  

– 70 ट्राली सड़ी हुई देशी गोबर की खाद और जीवामृत का उपयोग।  

– उनकी खेती को पूरी तरह जैविक और सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त है।  

 स्थानीय समुदाय में योगदान  

 सामाजिक प्रभाव  

– उनके खेत में उगने वाले जैविक उत्पादों का उपयोग पास के 25 गांवों के लोग करते हैं।  

– उनकी खेती से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा समुदाय लाभान्वित हो रहा है।  

 जागरूकता और प्रेरणा  

– संतोष नियमित रूप से गोष्ठियों में भाग लेते हैं और अन्य किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक करते हैं।  

– उनके अनुभव और ज्ञान से कई किसान प्रेरित होकर जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं।  

 सम्मान और पुरस्कार  

1. राज्य स्तरीय धान उत्पादन पुरस्कार (2013)  

   – उत्तर प्रदेश में तीसरा स्थान।  

2. राष्ट्र स्तरीय बेस्ट एग्रीपेन्योर अवार्ड (2017)  

   – मैनेज हैदराबाद द्वारा।  

3. जिला स्तरीय पपीता खेती पुरस्कार  

   – पपीता की खेती में उत्कृष्टता के लिए।  

4. विशिष्ट किसान सम्मान  

   – मोती रत्न की खेती के लिए।  

सरकारी योजनाओं से लाभ  

संतोष कुमार सिंह ने विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया:  

– ड्रिप सिस्टम सिंचाई।  

– सोलर पंप।  

– केला की खेती पर अनुदान।  

ये योजनाएं उनकी खेती को और भी कुशल और पर्यावरण अनुकूल बनाने में सहायक रही हैं।  

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव  

 आय और रोजगार  

– उनकी वार्षिक आय 1-10 लाख रुपये है।  

– उनकी पहल से आसपास के किसानों को रोजगार और प्रेरणा दोनों मिली हैं।  

 पर्यावरण संरक्षण  

– जैविक खेती के माध्यम से वे पर्यावरण संरक्षण और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं।  

 भविष्य की योजनाएं  

1. जैविक उत्पादों के बाजार का विस्तार।  

2. जैविक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना।  

3. मछली पालन और मोती उत्पादन में नई तकनीकों का उपयोग।  

4. स्थानीय किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षित करना।  

संतोष कुमार सिंह की जैविक खेती और पोषण वाटिका मॉडल न केवल एक सफल कृषि प्रयोग है, बल्कि ये समाज के लिए प्रेरणादायक भी है। उनकी मेहनत, समर्पण और इनोवेटिव सोच ने उन्हें एक आदर्श किसान बना दिया है। उनकी खेती पर्यावरण के प्रति उनके गहरे प्रेम और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।  

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