नीतीश यादव: MBA की पढ़ाई करके जैविक खेती में अग्रणी होने तक का सफ़र  

अपनी MBAकी पढ़ाई पूरी करने के बाद जैविक खेती (Organic Farming) में अपने करियर बनाने वाले नीतीश यादव  अपने अनुभव और आधुनिक शिक्षा का उपयोग कर जैविक खेती (Organic Farming) को एक नए आयाम पर पहुंचाया।  नीतीश यादव ने पारंपरिक खेती के क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल कायम की है। 22 मई 1991 को जन्मे नीतीश जो राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले के गोरधनपुरा गांव के निवासी हैं।

organic farming

अपनी MBAकी पढ़ाई पूरी करने के बाद जैविक खेती (Organic Farming) में अपने करियर बनाने वाले नीतीश यादव  अपने अनुभव और आधुनिक शिक्षा का उपयोग कर जैविक खेती (Organic Farming) को एक नए आयाम पर पहुंचाया। नीतीश यादव ने पारंपरिक खेती के क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल कायम की है। 22 मई 1991 को जन्मे नीतीश जो राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले के गोरधनपुरा गांव के निवासी हैं।

जैविक खेती (Organic Farming) की शुरुआत  

40 एकड़ भूमि पर बहुमुखी खेती  

नीतीश यादव ने 40 एकड़ भूमि पर जैविक खेती के साथ-साथ विविध गतिविधियां शुरू की हैं:  

1. फल और सब्जियां उगाना:  

 जैविक तरीके से उत्पादन करने के लिए ताराचंद बेलजी तकनीक का उपयोग करते हैं।
ये जैविक खेती (Organic Farming) की एक उन्नत पद्धति है, जिसे मिट्टी की उर्वरता और फसल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है। इसमें गोमूत्र, गोबर, और अन्य जैविक पदार्थों का उपयोग कर जैविक खाद तैयार की जाती है। इस तकनीक में मिट्टी के पीएच स्तर को संतुलित करने, सूक्ष्मजीवों को सक्रिय करने और प्राकृतिक कीटनाशकों के माध्यम से फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को खत्म कर, पर्यावरण-अनुकूल खेती को बढ़ावा देना है। यह तकनीक मिट्टी की दीर्घकालिक उर्वरता बनाए रखते हुए उत्पादन लागत को कम और गुणवत्ता को उच्च बनाती है।

2. देसी साहीवाल गाय की गोशाला:  

 – जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों के उत्पादन के लिए गोशाला का उपयोग करते हैं।
देसी साहीवाल गाय की गोशाला जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों के उत्पादन के लिए अत्यंत उपयोगी है। साहीवाल गाय का गोबर और गोमूत्र पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो जैविक खाद और जीवामृत तैयार करने के लिए आदर्श हैं। यह खाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है, पानी की धारण क्षमता सुधारती है और फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है। गोमूत्र से प्राकृतिक कीटनाशक बनाया जा सकता है, जो फसलों को हानिकारक कीड़ों से बचाता है। गोशाला से जैविक उत्पाद तैयार करना रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता को कम करता है, जिससे पर्यावरण का संरक्षण होता है और उत्पादन लागत भी घटती है। 

3. फल और सब्जी की नर्सरी:  

   – उन्नत किस्मों की पौध तैयार कर स्थानीय किसानों को उपलब्ध कराना। 
फल और सब्जी की नर्सरी उन्नत किस्मों की पौध तैयार करने का एक प्रभावी माध्यम है। यह किसानों को बेहतर उत्पादकता और गुणवत्ता वाली पौध उपलब्ध कराती है। नर्सरी में बीजों को अनुकूल परिस्थितियों में उगाया जाता है, जिससे उनकी वृद्धि सशक्त होती है। यह पहल स्थानीय किसानों की उपज बढ़ाने और उनकी आय सुधारने में सहायक है। 

4. एग्रोटूरिज्म मॉडल:  

   – लोगों को जैविक खेती (Organic Farming) के महत्व और इसके तरीकों से अवगत कराने के लिए।  

आर्थिक और सामाजिक योगदान  

 आय और रोजगार  

– वार्षिक आय: 31-40 लाख रुपये।  

– उनकी खेती से आसपास के लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलते हैं।  

समुदाय के लिए प्रेरणा  

– जैविक खेती (Organic Farming) के महत्व और फायदों को समझाने के लिए वे एग्रोटूरिज्म मॉडल के माध्यम से जागरूकता फैलाते हैं।  

– उनके प्रयासों से आसपास के किसान भी जैविक खेती की ओर प्रेरित हो रहे हैं।  

सम्मान और उपलब्धियां  

नीतीश को जैविक खेती (Organic Farming) में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। 

राजस्थान सरकार ने उनके योगदान को मान्यता दी है। 

1. पंचायत स्तर पर सम्मान।  

2. तहसील स्तर पर पुरस्कार।  

3. जयपुर जिले में विशेष सम्मान। 

भविष्य की योजनाएं  

जैविक उत्पादों का विस्तार:  

जैविक उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने का उद्देश्य है कि स्वस्थ और रसायन मुक्त खाद्य पदार्थों की मांग पूरी की जा सके। उन्नत तकनीकों और आधुनिक लॉजिस्टिक्स के माध्यम से इन उत्पादों को बड़े बाजारों तक भेजा जाता है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य और उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले जैविक उत्पाद मिलते हैं।  

एग्रोटूरिज्म का विस्तार:  

एग्रोटूरिज्म के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को जैविक खेती (Organic Farming) के महत्व और तरीकों से जोड़ा जाता है। पर्यटक खेतों पर आकर प्राकृतिक खेती के बारे में सीखते हैं, जैविक फसलों का स्वाद चखते हैं, और पर्यावरण के प्रति जागरूक होते हैं। यह किसानों की आय बढ़ाने का भी प्रभावी तरीका है।  

स्थानीय किसानों को प्रशिक्षित करना:  

स्थानीय किसानों को जैविक खेती (Organic Farming) के फायदों और तकनीकों की जानकारी देकर उन्हें प्रेरित किया जाता है। प्रशिक्षण सत्रों, कार्यशालाओं और व्यावहारिक प्रदर्शनों के माध्यम से उन्हें जैविक विधियों को अपनाने में सहायता की जाती है, जिससे उनकी आय और पर्यावरणीय संतुलन में सुधार होता है।  

नीतीश यादव जैविक खेती (Organic Farming) के क्षेत्र में एक मिसाल हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा और मेहनत से खेती को एक व्यवसाय के रूप में स्थापित किया है। उनकी पहल न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह पर्यावरण और समाज के लिए भी उपयोगी है।  

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