जैविक खेती के साथ मिलिंद जिंदास का सफर दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत

मिलिंद का खेती में नवाचार का दृष्टिकोण और जैविक विधियों का गहन ज्ञान उन्हें अन्यों से अलग बनाता है। वह अपने खेत में वर्मी-कम्पोस्ट, हरी खाद, और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करते हैं, जिससे मिट्टी की संरचना और फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है।

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जैविक खेती (Organic Farming) के क्षेत्र में अमरावती जिले के सावलापुर गांव के रहने वाले मिलिंद जिंदास  एक प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। 1984 में जन्मे मिलिंद का खेती के प्रति गहरा जुड़ाव उनके परिवार से ही मिला। जब उन्होंने देखा कि रासायनिक खेती से भूमि की उर्वरता और फसलों की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, तब उन्होंने जैविक खेती (Organic Farming) की ओर रुख किया। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने छोटे से खेत में जैविक खेती  की विधि से खेती शुरू की, जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग न कर प्राकृतिक संसाधनों से मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया गया।

पर्यावरण-संरक्षण और स्वास्थ्य

मिलिंद का खेती में नवाचार का दृष्टिकोण और जैविक विधियों का गहन ज्ञान उन्हें अन्यों से अलग बनाता है। वह अपने खेत में वर्मी-कम्पोस्ट, हरी खाद, और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करते हैं, जिससे मिट्टी की संरचना और फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है। उनके खेती में अपनाए गए ये उपाय पर्यावरण-संरक्षण और स्वास्थ्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इस दिशा में मिलिंद के प्रयासों को कई मंचों पर सराहा गया है, और उन्हें राजीव गांधी कृषी रत्न पुरस्कार, महाराष्ट्र कृषी रत्न पुरस्कार, और कृषि जागरण दिल्ली जैविक खेती पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़ा गया है।

जैविक खेती के लाभों के बारे में जागरूकता

मिलिंद का मानना है कि जैविक खेती (Organic Farming) न केवल कृषि के दीर्घकालिक भविष्य को सुरक्षित बनाती है, बल्कि किसानों को भी एक स्थायी आय प्रदान कर सकती है। अपने अनुभवों को साझा करते हुए, वे स्थानीय किसानों को जैविक खेती के लाभों के बारे में जागरूक करते हैं और उन्हें इस दिशा में प्रेरित करते हैं। उनकी यह पहल एक बेहतर और स्वस्थ भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारती है, बल्कि पर्यावरण के संतुलन को भी बनाए रखने में सहायक है। 

जैविक खेती का उद्देश्य और शुरुआत 

मिलिंद ने पारंपरिक खेती की बजाय जैविक खेती (Organic Farming) को चुना ताकि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से मुक्त, शुद्ध और सुरक्षित फसलें उपजाई जा सकें। जैविक खेती के उनके प्रयासों का उद्देश्य न केवल उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध कराना है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना और पर्यावरण संरक्षण भी है। उन्होंने अपने खेत में जैविक खाद, कंपोस्ट, और प्राकृतिक कीटनाशकों का इस्तेमाल कर जैविक खेती की शुरुआत की।

जैविक खेती की तकनीकें और प्रथाएं 

मिलिंद अपने खेत में कई आधुनिक जैविक तकनीकों (Organic Farming) का उपयोग करते हैं। वे अपने खेत में कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट, और हरी खाद का प्रयोग करते हैं। इनकी मदद से मिट्टी की उर्वरकता और फसल की गुणवत्ता बढ़ती है। इसके अलावा, जैविक कीटनाशक जैसे नीम का तेल, गाय के गोबर और गोमूत्र का मिश्रण, और जैविक फसल रोटेशन जैसी तकनीकें अपनाई जाती हैं, जिससे फसल को प्राकृतिक सुरक्षा मिलती है और उत्पादन भी बढ़ता है।

जैविक खेती का लाभ और क्षेत्र पर प्रभाव 

मिलिंद की जैविक खेती (Organic Farming) का सबसे बड़ा लाभ यह है कि उनके द्वारा उगाई गई फसलें पूरी तरह से रासायनिक-मुक्त होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। अमरावती जिले में उनके जैविक उत्पादों की काफी मांग है और स्थानीय बाजारों में उनके जैविक उत्पाद कीमती माने जाते हैं। उनके इस कदम ने न केवल उनके परिवार की आय में वृद्धि की है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र में जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा देने में सहायक साबित हो रहा है।

मिलिंद को मिले पुरस्कार और सम्मान 

मिलिंद को उनकी खेती में योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार हैं:

1. राजीव गांधी कृषी रत्न पुरस्कार 2020 – इस प्रतिष्ठित पुरस्कार ने उनके कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

2. कृषि विभाग अचलपूर युवा शेतकरी पुरस्कार – यह सम्मान उन्हें अपने इलाके में कृषि के क्षेत्र में नवाचार के लिए मिला।

3. जिला परिषद युवा कृषि सम्मान पुरस्कार – जिला परिषद द्वारा उन्हें क्षेत्र में उत्कृष्ट कृषि कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

4. महाराष्ट्र कृषि रत्न पुरस्कार (एनजीओ द्वारा) – राज्य स्तर पर जैविक खेती में उत्कृष्टता के लिए मिला यह पुरस्कार उनके योगदान का प्रमाण है।

5. कृषि जागरण दिल्ली जैविक खेती पुरस्कार – इस पुरस्कार ने उनकी जैविक खेती में गहरी प्रतिबद्धता को एक नई पहचान दी। 

जैविक खेती के प्रति प्रेरणा और जागरूकता

मिलिंद न केवल अपने खेत में जैविक खेती (Organic Farming) करते हैं बल्कि वे आसपास के किसानों को भी इस दिशा में प्रेरित करते हैं। उन्होंने जैविक खेती के फायदे बताते हुए कई किसानों को जैविक खेती की तरफ आकर्षित किया है। वे अक्सर स्थानीय समूहों और संगठनों के साथ मिलकर कार्यशालाएं आयोजित करते हैं, जहां वे जैविक खेती की विधियों के बारे में जानकारी साझा करते हैं और किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करते हैं।

भविष्य की योजनाएं 

मिलिंद का सपना है कि उनकी खेती की जमीन जैविक उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत बने। वे चाहते हैं कि जैविक खेती के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए और किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिले। इसके लिए वे जैविक उत्पादों की एक ब्रांडिंग करने और एक मार्केटिंग चैनल विकसित करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं, जिससे जैविक उत्पादों की मांग और उनके मूल्य में वृद्धि हो सके। 

मिलिंद जिंदास गोड़ की कहानी किसानों के लिए प्रेरणा

मिलिंद जिंदास गोड़ की कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणा है जो रासायनिक खेती से दूर जाकर जैविक खेती (Organic Farming) की ओर बढ़ना चाहते हैं। अपने छोटे से खेत में जैविक खेती (Organic Farming) कर उन्होंने दिखा दिया कि किस प्रकार सीमित साधनों में भी असाधारण सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनके कार्य से न केवल उन्हें आर्थिक लाभ हुआ है, बल्कि उन्होंने अपने क्षेत्र में पर्यावरण सुरक्षा, स्वास्थ्य लाभ, और कृषि क्षेत्र में नई दिशा का संचार भी किया है। 

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