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शिव कुमार का परिचय (Introduction)
शिव कुमार बिहार के वैशाली जिले के एक छोटे से गांव के निवासी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर में हुई थी, जहां से उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। उनके पिता पेशे से प्रोफेसर थे, और वे हमेशा शिक्षा की महत्ता पर जोर देते थे। शिव कुमार के दादा जी किसान थे, जिन्होंने अपनी पुश्तैनी ज़मीन पर खेती की थी। बचपन से ही शिव कुमार को खेतों में काम करने का अनुभव था और उनके दादा जी से खेती के बारे में कई मूल्यवान बातें सीखने का मौका मिला।
शिव कुमार ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद पुणे, महाराष्ट्र से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने नौकरी भी की, लेकिन वह खुद को संतुष्ट महसूस नहीं कर रहे थे। नौकरी में सफलता मिलने के बावजूद, वह किसी उद्देश्य के लिए काम नहीं कर रहे थे। यही कारण था कि उन्होंने खुद को एक नई दिशा में ढालने का सोचा और कृषि क्षेत्र में कदम रखने का निर्णय लिया। उन्होंने खेती में नई तकनीक (new technology in farming) का उपयोग करने के बारे में सोचा और इसे अपना व्यवसाय बनाने का मन बनाया।
खेती में नई तकनीकों का उपयोग (Use of new techniques in farming)
शिव कुमार खेती में नई तकनीक (new technology in farming) का उपयोग करते हैं। इनमें लेजर लैंड लेवलर, ड्रिप सिंचाई, ज़ीरो टिलेज पर खेती, रिज बेड पर मक्के और आलू की खेती शामिल हैं। वह 75 एकड़ में विभिन्न फ़सलें जैसे धान, गेहूं, मक्का आदि उगाते हैं, और इसमें से 4 एकड़ में मछली पालन भी करते हैं।
वह बताते हैं कि पहले हम अपनी ज़मीन को लेजर लैंड लेवलर से समतल करते हैं, ताकि सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता कम हो। रबी सीजन में, हम ट्रैक्टर-माउंटेड स्प्रेयेर से खरपतवार नाशक छिड़कते हैं। 15 दिन बाद, हम ज़ीरो टिलेज मशीन का उपयोग करके गेहूं, मक्का और सरसों की बुआई करते हैं। खरीफ सीजन में, हम पैडी ट्रांसप्लांटर और ज़ीरो टिलेज मशीन का उपयोग करते हैं, जो ज़मीन की स्थिति (ऊपरी और निचली भूमि) पर निर्भर करता है। मक्का और सोयाबीन की बुआई के लिए हम रेज़्ड बेड ट्रांसप्लांटर का इस्तेमाल करते हैं। फ़सल की कटाई के लिए हम हार्वेस्टर और रीपर विंडर का उपयोग करते हैं।
बीज उत्पादन की खुद की कंपनी (Own seed production company)
शिव कुमार बताते हैं कि उन्होंने अपनी खुद की बीज उत्पादन कंपनी की स्थापना की है, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। इस कंपनी के माध्यम से वह अपने आसपास के अन्य किसानों को भी जोड़ते हैं। इसमें न केवल बीज उत्पादन बल्कि उन बीजों की मार्केटिंग, पैकिंग और बिक्री का भी कार्य किया जाता है।
शिव कुमार का मानना है कि अच्छे गुणवत्ता वाले बीज ही अच्छी फ़सल के लिए ज़रूरी होते हैं, और उन्होंने अपनी कंपनी के द्वारा यह सुनिश्चित किया है कि किसानों को बेहतरीन बीज मिलें। जो बीज वह खुद खेती में नई तकनीक (new technology in farming) के तहत इस्तेमाल करते हैं, वही बीज वह अन्य किसानों को भी उपलब्ध कराते हैं, ताकि वे भी उच्च गुणवत्ता वाली फ़सलें उगा सकें और अच्छे मुनाफे की उम्मीद कर सकें।
फ़सलों में दवाइयां और खाद का उपयोग (Use of medicines and fertilizers in crops)
शिव कुमार फ़सलों की अच्छी देखभाल के लिए खरपतवार नाशक और अन्य प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं, ताकि फ़सलों को कोई नुक़सान न हो और उनकी बढ़त सही तरीके से हो सके। इसके साथ ही, वह जैविक खेती की ओर भी अग्रसर हैं। शिव कुमार मानते हैं कि जैविक खेती से न केवल मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर होता है।
वह कृषि वैज्ञानिकों से लगातार सलाह लेते रहते हैं, और विशेष रूप से बिहार के पूसा वैज्ञानिकों से मदद प्राप्त करते हैं, जिससे उनकी खेती में कोई बड़ी कठिनाई नहीं आती। कई बार विशेषज्ञ स्वयं उनके खेतों पर आकर फ़सलों की स्थिति का निरीक्षण करते हैं और जहां जरूरत होती है, वहां सुधार के उपाय सुझाते हैं।
शिव कुमार वर्मीकम्पोस्ट का भी उपयोग करते हैं, जो जैविक खेती में एक महत्वपूर्ण खाद के रूप में काम आता है। यह खाद मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और फ़सलों को पोषण देता है, जिससे फ़सलें बेहतर तरीके से उगती हैं। वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करने से न केवल खेती में नई तकनीक (new technology in farming) के प्रभावी परिणाम मिलते हैं, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फ़ायदेमंद होता है।
FPO के जरिए करते हैं मार्केटिंग (Marketing is done through FPO)
शिव कुमार बताते हैं कि वह FPO (फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) से जुड़े हुए हैं, जिसे उन्होंने अन्य किसानों के साथ मिलकर स्थापित किया है। FPO एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो किसानों को अपने उत्पादों को एक साथ मिलकर और संगठित तरीके से बाज़ार में बेचने का अवसर देता है। इस संगठन के माध्यम से शिव कुमार अपनी फ़सलों को आसानी से बड़े बाज़ारों में भेज पाते हैं और इससे उन्हें अच्छे मुनाफे की प्राप्ति होती है। उनका मानना है कि इस तरह के संगठनों से छोटे किसान भी बड़े पैमाने पर अपना उत्पादन बेच सकते हैं और उनकी आय में काफी वृद्धि हो सकती है।
शिव कुमार की सालाना कमाई 15 लाख रुपये से अधिक है, जो इस बात का प्रमाण है कि सही तरीके से योजना बनाकर और एकजुट होकर खेती में नई तकनीक (new technology in farming) से अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। वह मानते हैं कि यदि किसान एकजुट होकर अपनी ताकत को सही दिशा में लगाते हैं, तो वे कृषि क्षेत्र में अपनी सफलता की कहानी लिख सकते हैं।
चुनौतियां और समाधान (Challenges and Solutions)
शिव कुमार का मानना है कि कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती मौसम है। मौसम की अनिश्चितता और बेमौसम बारिश या सूखा फ़सलों को भारी नुक़सान पहुँचा सकते हैं। लेकिन शिव कुमार इस समस्या से डरने की बजाय समाधान ढूंढते हैं। उन्होंने अपनी खेती में नई तकनीक (new technology in farming) के तहत मौसम के बदलाव के लिए तैयारियां की हैं। वह कहते हैं, “कृषि में सफलता पाने के लिए सिर्फ मेहनत ही नहीं, बल्कि सही योजना और समस्याओं का सामना करने का साहस भी ज़रूरी है।”
उनका यह भी कहना है कि यह ज़मीन उनके पूर्वजों से मिली है, और वह इसे अपनी संतान की तरह मानते हैं और सम्मान करते हैं। इसलिए वह अपनी पूरी मेहनत और ईमानदारी से काम करते हैं। उनके लिए यह ज़मीन सिर्फ एक व्यवसाय का जरिया नहीं, बल्कि एक धरोहर है जिसे वे आने वाली पीढ़ियों तक सही तरीके से संरक्षित रखना चाहते हैं।
सम्मान और पुरस्कार (Honours and Awards)
शिव कुमार को कृषि क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई सम्मान और पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें “किसान श्री” पुरस्कार, राष्ट्रीय कृषि विस्तार और प्रौद्योगिकी मिशन (ATMA प्रोग्राम) के तहत 2019-20 में अधिकतम गेहूं उत्पादन के लिए मिला। इसके अलावा, उन्हें Bayer CropScience Limited द्वारा “अराइज़ सारताज पुरस्कार” 2010 में उच्च पैदावार वाले धान के लिए प्राप्त हुआ।
इसके अलावा, वह 19 सितंबर 2020 से अब तक जिला चयन समिति द्वारा ब्लॉक सलाहकार समिति के अध्यक्ष के रूप में चयनित किए गए हैं। उन्हें कृषि यांत्रिकीकरण पर सब्सिडी, 200 मीट्रिक टन गोदाम निर्माण पर सब्सिडी, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली पर सब्सिडी, और जैविक खेती के लिए BASOKA द्वारा सब्सिडी दी गई है।
अन्य किसानों के लिए उनकी सलाह (His advice for other farmers)
शिव कुमार की सलाह है कि किसानों को फ़सल चक्र का पालन करना चाहिए, ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और हर मौसम में अलग-अलग फ़सलों का उत्पादन किया जा सके। इसके साथ ही, वह जैविक खेती को भी प्रोत्साहित करते हैं, क्योंकि यह न केवल पर्यावरण के लिए फ़ायदेमंद है, बल्कि इससे फ़सलों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। वह यह भी कहते हैं कि किसानों को बिना डर के नई कृषि तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि इन तकनीकों से उत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने में मदद मिलती है। साथ ही, कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर खेती में नई तकनीक (new technology in farming) में सुधार किया जा सकता है।
शिव कुमार मानते हैं कि बिहार में खेती का आकार अपेक्षाकृत छोटा हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसान हार मान लें। वह किसानों को प्रेरित करते हैं कि वे अपने सीमित संसाधनों का सही उपयोग करें और नई तकनीकों को अपनाकर कृषि में बेहतर परिणाम प्राप्त करें। उनका यह भी कहना है कि खेती के साथ-साथ अन्य गतिविधियों, जैसे पशुपालन या मछली पालन, को भी अपनाएं, जिससे अतिरिक्त आय का स्रोत मिल सके। समेकित खेती, यानी खेती के साथ-साथ अन्य उपक्रमों को जोड़ने से आय में वृद्धि हो सकती है और जोखिम भी कम हो सकता है।
निष्कर्ष (conclusion)
शिव कुमार की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि यदि किसान खेती में नई तकनीक (new technology in farming) का इस्तेमाल करें, सही योजना बनाएं और मेहनत से काम करें, तो कृषि क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी कड़ी मेहनत, ईमानदारी और सही दिशा में किए गए प्रयास दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। शिव कुमार का उदाहरण यह बताता है कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, अगर किसान अपनी मेहनत और तकनीक का सही इस्तेमाल करें, तो उन्हें सफलता जरूर मिलेगी।
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