सिद्धार्थनगर के उन्नत किसान, जो संरक्षित खेती से नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं राम शंकर चौधरी

राम शंकर चौधरी ने सिद्धार्थनगर में संरक्षित खेती अपनाकर फसल उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार किया, जिससे क्षेत्रीय किसानों को नई प्रेरणा मिली।

संरक्षित खेती Protected cultivation

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के दुबई गांव के निवासी राम शंकर चौधरी ने कृषि में अपनी नई सोच और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से न केवल खुद को बल्कि अपने गांव के कई किसानों को भी प्रेरित किया है। 1975 में जन्मे राम शंकर ने अपने 11-15 एकड़ के खेत को संरक्षित खेती (Protected cultivation) का केंद्र बना दिया है। उनके प्रयासों के कारण आज उनके खेतों में उच्च गुणवत्ता वाली फसलें होती हैं, जो बाजार में अच्छी कीमत पर बिकती हैं। उन्होंने खेती के पारंपरिक तरीकों से हटकर आधुनिक और संरक्षित खेती के मॉडल को अपनाया, जिससे फसलों की सुरक्षा और उत्पादकता में क्रांतिकारी बदलाव आया है।

संरक्षित खेती का सफर और तकनीकी समावेश (The journey of protected agriculture and technology integration)

संरक्षित खेती का मतलब फसलों की सुरक्षा के लिए उन्नत तकनीकियों का उपयोग करना है, जिससे फसलें मौसम, कीटों और अन्य बाहरी कारकों से बचाई जा सकें। राम शंकर चौधरी ने अपने खेतों में ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग शुरू किया। उन्होंने बताया-

“ड्रोन की मदद से मैं अपने खेत की संपूर्ण निगरानी कर सकता हूँ और समय पर कीटनाशक और उर्वरक का छिड़काव कर पाता हूं।” इससे उनकी फसलें कीटों के प्रकोप से बची रहती हैं और उन्हें फसल के सही पोषण का लाभ मिलता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से वे मौसम और बाजार के रुझान को समझ पाते हैं, जिससे उन्हें अपनी फसल का उचित समय पर सही कीमत मिलती है। इसके अलावा, मिट्टी की जांच और पोषक तत्वों के संतुलन की जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्होंने मिट्टी जांच उपकरणों का उपयोग भी शुरू किया है। राम शंकर कहते हैं, “पहले हम मिट्टी की नमी या पोषक तत्वों का सही अनुमान नहीं लगा पाते थे, लेकिन अब इन उपकरणों के उपयोग से हम हर चीज़ पर नियंत्रण रख पाते हैं।”

फसल उत्पादन में उपलब्धियां और उनकी प्रेरणास्रोत यात्रा (Achievements in crop production and his inspiring journey)

राम शंकर चौधरी की मेहनत और तकनीकी ज्ञान ने उन्हें 2017 में सर्वाधिक गेहूं उत्पादन के लिए सम्मान दिलाया। उन्होंने HD 2967 गेहूं की किस्म का चयन किया, जिससे उन्हें अपनी फसल का उत्पादन बढ़ाने में सफलता मिली। यह किस्म न केवल अधिक उत्पादक है, बल्कि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है, जिससे किसानों का खर्च कम होता है। इस उपलब्धि के बाद राम शंकर क्षेत्र के किसानों के बीच एक प्रेरणास्रोत बन गए।

उन्होंने बताया, “HD 2967 गेहूं के साथ प्रयोग करने के बाद मैंने देखा कि सही बीज और उचित तकनीकी इस्तेमाल से हम उत्पादन बढ़ा सकते हैं। इससे मेरी आय भी बढ़ी और अन्य किसान भी मेरे इस प्रयोग से प्रेरित हुए।” इसके अतिरिक्त, उनके नवाचारों को देखते हुए भारत सरकार के नीति आयोग ने उन्हें 2024 में दिल्ली में 15 अगस्त के दिन विशेष सम्मान से नवाजा, जो उनके नवाचारी दृष्टिकोण और कृषि में योगदान को सराहने के लिए था।

सरकारी योजनाओं का लाभ और प्रोत्साहन (Benefits and incentives of government schemes)

राम शंकर चौधरी ने खेती में सरकार की कई योजनाओं का भी लाभ उठाया है। उन्होंने रोटावेटर, बीज पर सब्सिडी, किसान सम्मान निधि, और वर्मी कम्पोस्ट शेड के निर्माण के लिए सहायता प्राप्त की। उनका मानना है कि इन योजनाओं ने उनकी लागत को कम करने और खेती को लाभकारी बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा-

“सरकार की सब्सिडी से मुझे नए यंत्र खरीदने में मदद मिली, जिससे मेरे खेत में मेहनत और लागत दोनों कम हो गईं।”

उन्होंने अपने खेत में वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग शुरू किया है, जो जैविक खेती के लिए बहुत लाभकारी होता है। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। जैविक खेती में उनकी इस पहल को क्षेत्र में सराहा जा रहा है और किसान उनसे वर्मी कम्पोस्ट की तकनीक को सीखकर अपने खेतों में इसका उपयोग कर रहे हैं।

जैविक खेती की दिशा में कदम (Steps towards organic farming)

राम शंकर चौधरी ने अपने खेत में जैविक खेती को बढ़ावा देना भी शुरू किया है। वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करके वे अपने खेत की मिट्टी को प्राकृतिक रूप से पोषित कर रहे हैं, जिससे रासायनिक उर्वरकों पर उनकी निर्भरता कम हो गई है। जैविक खेती से उनकी फसलें स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हैं, और बाजार में भी उनकी अच्छी मांग है। इससे उनकी आय में भी वृद्धि हुई है। इस प्रक्रिया को वे संरक्षित खेती (Protected cultivation) के तहत अपनाते हैं, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग हो रहा है।

क्षेत्रीय किसानों के लिए एक प्रेरणास्रोत (An inspiration for regional farmers)

राम शंकर चौधरी की इस यात्रा ने उन्हें सिद्धार्थनगर जिले में एक आदर्श किसान बना दिया है। उनके खेत में आधुनिक तकनीकियों का उपयोग देख कई किसान प्रेरित हुए हैं और उन्हें अपने गुरु मानते हैं। उनकी मेहनत और अनुभव से प्रेरणा लेकर कई किसानों ने संरक्षित खेती (Protected cultivation) और जैविक खेती का रास्ता अपनाया है और अपनी फसल का उत्पादन बढ़ाया है। उन्होंने स्थानीय किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता जांचने, सही बीजों का चयन करने और तकनीकी ज्ञान का सही इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षित किया है। राम शंकर कहते हैं-

“मैं चाहता हूं कि सभी किसान उन्नत तकनीकों का उपयोग करके खेती को लाभकारी बनाएं। सही जानकारी और सही तकनीक के उपयोग से ही किसान आत्मनिर्भर हो सकता है।”

निष्कर्ष (conclusion)

राम शंकर चौधरी की यह कहानी सिद्धार्थनगर और पूरे उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक प्रेरणा है। उनकी मेहनत, नई तकनीकों का उपयोग और सरकारी सहायता से खेती को लाभकारी बनाने के प्रयासों ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि समर्पण और सही तकनीकों का सही समय पर उपयोग किया जाए, तो खेती को न केवल मुनाफे का साधन बल्कि एक आदर्श व्यवसाय भी बनाया जा सकता है। उनकी संरक्षित खेती (Protected cultivation)की उपलब्धियाँ आने वाले समय में अन्य किसानों को भी आधुनिक खेती के रास्ते पर चलने के लिए प्रोत्साहित करेंगी।

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