जैविक खेती और किसानों के लिए नवाचार से जुड़ा है राम मूर्ति मिश्रा का दृष्टिकोण

कच्चा गोबर डालने से भूमि की संरचना खराब हो सकती है, जिससे खेती की स्थिति और कठिन हो जाती है। इसके बजाय, उन्होंने किसानों को गोबर के सही उपयोग के बारे में जानकारी दी, जैसे कि उसे कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए उपयोग करना। इस प्रक्रिया से गोबर का लाभ प्राप्त होता है, और भूमि की उर्वरता भी बनी रहती है।

Ram Murti Mishra

राम मूर्ति मिश्रा, जो उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक अनुभवी और सम्मानित किसान हैं, जैविक खेती (Organic Farming) के क्षेत्र में कई नवाचारों को अपनाने और किसानों को बेहतर कृषि प्रथाओं के बारे में शिक्षा देने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने जैविक खेती(Organic Farming) के माध्यम से न केवल अपने खेतों की उत्पादकता में वृद्धि की है, बल्कि अपने आसपास के किसानों को भी इस दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया है। उनके अनुभवों और विचारों के आधार पर यह लेख उनकी कृषि यात्रा और उनके नवाचारों को विस्तार से प्रस्तुत करता है।

कच्चे गोबर का उपयोग: एक चेतावनी

राम मूर्ति मिश्रा हमेशा अपने साथी किसानों को यह सलाह देते हैं कि वे कभी भी कच्चा गोबर अपने खेतों में न डालें। उनके अनुसार, कच्चा गोबर खेतों में डालने से दीमक और कुर्मवा जैसी कीटों का प्रकोप हो सकता है, जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और उनके जड़ों को खा जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप न केवल फसल की उपज में कमी होती है, बल्कि भूमि की उर्वरता भी प्रभावित होती है।

उन्होंने किसानों से यह भी कहा है कि कच्चा गोबर डालने से भूमि की संरचना खराब हो सकती है, जिससे खेती की स्थिति और कठिन हो जाती है। इसके बजाय, उन्होंने किसानों को गोबर के सही उपयोग के बारे में जानकारी दी, जैसे कि उसे कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए उपयोग करना। इस प्रक्रिया से गोबर का लाभ प्राप्त होता है, और भूमि की उर्वरता भी बनी रहती है।

पशुपालन और घास की महत्ता 

राम मूर्ति मिश्रा का मानना है कि पशुपालन कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और उन्होंने किसानों को अपने खेतों में घास उगाने की सलाह दी है। उनके अनुसार, मैटियर घास (जैविक घास) को खेतों में लगाने से दो प्रमुख लाभ होते हैं। पहला, यह भूमि के कटाव को रोकता है। बस्ती में जब बारिश का पानी अधिक मात्रा में आता है, तो यह पानी खेतों के कटाव का कारण बन सकता है। घास की जड़ों से पानी की गति धीमी होती है और भूमि के कटाव को रोकने में मदद मिलती है।

घास पशुओं के लिए चारा

दूसरा, यह घास पशुओं के लिए चारा भी प्रदान करती है। राम जी ने यह सुझाव दिया कि किसानों को अपने खेतों में घास लगानी चाहिए, ताकि जब उनके खेत सूखे हों, तब भी उनके पास चारे की कमी न हो। यह खासकर उस समय फायदेमंद होता है जब मौसम बदलता है और किसान की फसलें तैयार नहीं होतीं। इस तरह, वे घास का उपयोग करके अपने पशुओं को चारा दे सकते हैं।

भूमि सुधार और जल संरक्षण के उपाय

राम मूर्ति मिश्रा ने अपनी  जैविक खेती (Organic Farming) में जल संरक्षण और भूमि सुधार के लिए भी कई उपाय किए हैं। उन्होंने किसानों को यह सलाह दी कि वे खेतों के मेड़ों पर पेड़ और घास लगाएं, जिससे मिट्टी के कटाव को रोका जा सके। इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि खेतों में एकत्रित बारिश के पानी को एक स्थान पर संचय करने के लिए ढांचे का निर्माण करना चाहिए। इससे पानी की उपलब्धता बढ़ती है और सूखे के मौसम में इसका उपयोग किया जा सकता है।

“रिचार विपिट” तकनीक

राम जी ने जल संरक्षण के लिए “रिचार विपिट” नामक तकनीक का उपयोग किया, जिसके द्वारा बारिश के पानी को नियंत्रित किया जाता है और भूमि में सोखने दिया जाता है। यह तकनीक किसानों को जल के भंडारण और उसके वितरण में मदद करती है, जिससे भूमि की उत्पादकता में वृद्धि होती है।

पराली का पुन: उपयोग

राम मूर्ति मिश्रा ने पराली के उपयोग के लिए भी एक अभिनव तरीका विकसित किया है। उन्होंने पराली को मल्चिंग के रूप में उपयोग किया और बाकी बचे हुए भाग को बर्मी कम्पोस्ट में डाल दिया। बर्मी कम्पोस्ट एक जैविक खाद है, जो मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाती है। इसके अलावा, वे पराली को जलाने के बजाय उसे खाद के रूप में उपयोग करते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है और मिट्टी की संरचना भी बेहतर होती है।

उन्होंने बताया कि पराली को जलाने से वायु प्रदूषण होता है और इससे खेतों की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित होती है। इसके बजाय, वे पराली को खाद बनाने के लिए उपयोग करते हैं, जो फसलों के लिए लाभकारी साबित होता है।

इंसेक्टिसाइड्स और जैविक उपचार

राम मूर्ति मिश्रा का मानना है कि रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल केवल खेती के लिए ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। उन्होंने अपने खेतों में कभी भी रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया और किसानों को भी यह सलाह दी कि वे जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें। उदाहरण के लिए, वे अपने खेतों में पंचगव्य और पंचामृत जैसे जैविक उपचार का उपयोग करते हैं, जो पौधों को न केवल कीटों से बचाते हैं, बल्कि उनकी बढ़वार में भी मदद करते हैं।

पंचगव्य और पंचामृत जैसे जैविक उपचार

राम जी ने किसानों को यह भी बताया कि वे अपनी फसलों में प्राकृतिक विधियों का पालन करके बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। जैविक कीटनाशकों के इस्तेमाल से पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है और स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

सरकारी योजनाओं का लाभ

राम मूर्ति मिश्रा ने सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठाया है और किसानों को इन योजनाओं के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि उन्होंने “फार्म मशीनरी बैंक” जैसी योजनाओं का उपयोग किया, जिसके तहत उन्हें कृषि उपकरणों की खरीद में सहायता मिली। इसके अलावा, उन्होंने किसानों को “फसल बीमा योजना” के बारे में बताया, ताकि अगर मौसम या अन्य कारणों से फसल खराब हो जाए, तो किसान बीमा के माध्यम से नुकसान की भरपाई कर सकें।

राम जी ने यह भी कहा कि उन्हें विभिन्न सम्मान प्राप्त हुए हैं, जैसे कि “नवोन्मेषी कृषक पुरस्कार” और “प्रगतिशील किसान सम्मान,” जो उनके योगदान को मान्यता देते हैं। 

राम मूर्ति मिश्रा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत

राम मूर्ति मिश्रा के नवाचार और जैविक खेती के लिए उनके दृष्टिकोण न केवल किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने जो सुझाव और प्रथाएँ अपनाई हैं, वे अन्य किसानों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करती हैं। उनका काम यह साबित करता है कि जैविक खेती के माध्यम से न केवल फसल की उपज बढ़ाई जा सकती है, बल्कि पर्यावरण और किसानों की आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बनाया जा सकता है। 

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