जैविक खेती के ज़रीये जीवन का रंग भरने वाले किसान की प्रेरक यात्रा

श्याम सुंदर शर्मा ने केवल कृषि क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि डेयरी फार्मिंग में भी कदम रखा। उनके पास गायों और बकरियों का पालन भी है। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ी, बल्कि यह भी सुनिश्चित हुआ कि उनके खेतों में हर समय जैविक खाद उपलब्ध रहे। उनका यह प्रयास जैविक खेती के मॉडल को और मजबूत करता है।

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“आजकल खेती को मजबूरी के तौर पर किया जाता है, जब लोगों के पास अन्य विकल्प नहीं होते, वे खेती करते हैं। लेकिन मैंने अपनी इच्छा और पसंद से जैविक खेती को चुना है।” इसी सोच के साथ इक्कीसवीं सदी के किसान श्याम सुंदर शर्मा आज जैविक खेती (Organic Farming) के एक प्रेरक उदाहरण बन चुके हैं। उनकी कहानी सिर्फ जैविक खेती (Organic Farming) तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये एक संघर्ष और बदलाव की कहानी है जो आज भी बहुत से किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 

शिक्षा और करियर की शुरुआत

श्याम सुंदर शर्मा ने अपनी शुरुआती शिक्षा डीडवाना गांव में प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने पीजी किया और फिर भारतीय जीवन बीमा निगम में पब्लिक डेवलपमेंट ऑफिसर के रूप में काम किया। 2010 में सरकारी नौकरी जॉइन की, लेकिन उनके दिल में हमेशा अपने गांव और खेती के लिए कुछ करने का सपना था। 2018 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी पैतृक ज़मीन पर कृषि शुरू की।

पैतृक ज़मीन और खेती का सफर

श्याम सुंदर शर्मा की पैतृक ज़मीन आज भी डीडवाना में मौजूद है, जहां उनके पास आम और कटहल के बगीचे हैं। इस ज़मीन पर काम करने के बाद, उन्होंने अलग से 20 बीघा ज़मीन खरीदी और जैविक खेती (Organic Farming)  शुरू की। उन्होंने जैविक और प्राकृतिक तरीकों को अपनाया, जिससे उनकी खेती की गुणवत्ता और उत्पादन में निरंतर वृद्धि हुई।

उनकी शुरुआत अनार के उत्पादन से हुई, लेकिन समय के साथ उन्होंने लगभग 28 प्रकार की सब्जियां उगाना शुरू किया। उनके बगीचे में पपीता, नीबू, और अनार के पेड़ भी हैं। इसके अलावा, उन्होंने अपने खेतों में गेहूं, चना, बाजरा, मक्का, तिल, मूंछी, ग्वार जैसी फसलों का उत्पादन भी किया।

डेयरी फार्म और अन्य गतिविधियां

श्याम सुंदर शर्मा ने केवल कृषि क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि डेयरी फार्मिंग में भी कदम रखा। उनके पास गायों और बकरियों का पालन भी है। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ी, बल्कि यह भी सुनिश्चित हुआ कि उनके खेतों में हर समय जैविक खाद उपलब्ध रहे। उनका यह प्रयास जैविक खेती के मॉडल को और मजबूत करता है।

सरकारी योजनाओं का लाभ और प्रमाणन

श्याम सुंदर शर्मा ने सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठाया। उन्हें पॉलीहाउस, इरिगेशन सिस्टम, और मल्चिंग के लिए सरकारी सहायता मिली है। साथ ही, उनकी जैविक खेती को प्रमाणित करने के लिए राज्य सरकार से उन्हें “राज्य प्रमाणिका शंदान” जैसे पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। उनके इस प्रयास से यह साबित होता है कि सही मार्गदर्शन और योजनाओं का सही तरीके से उपयोग करके खेती में लाभ कमाया जा सकता है।

किसानों को सलाह और प्रेरणा

श्याम सुंदर शर्मा का मानना है कि यदि कोई किसान ईमानदारी से काम करता है और जैविक खेती अपनाता है, तो उसे आर्थिक रूप से सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। वे हमेशा किसानों को सलाह देते हैं कि वे अपनी खेती में रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग न करें। इसके बजाय, वे जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों का प्रयोग करने पर जोर देते हैं।

वे यह भी कहते हैं कि किसानों को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ उठाना चाहिए, क्योंकि ये योजनाएं उन्हें आर्थिक रूप से मदद करती हैं। उनका अनुभव और सलाह नए किसानों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं।

विभिन्न पुरस्कार और सम्मान

श्याम सुंदर शर्मा को उनके उत्कृष्ट काम के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। इनमें से एक प्रमुख सम्मान “राज्य स्तर के कृषि पुरस्कार” है, जिसे राज्य सरकार ने उन्हें प्रदान किया है। इसके अलावा, उन्हें कई अन्य विभागों से भी पुरस्कार मिल चुके हैं, जो उनके काम को पहचानते हैं। इन पुरस्कारों ने उनके आत्मविश्वास को और बढ़ाया है और उन्होंने खुद को एक प्रेरक किसान के रूप में स्थापित किया है।

परिवार और समर्थन

श्याम सुंदर शर्मा के परिवार का भी इस सफर में अहम योगदान रहा है। उनकी पत्नी एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं और उनके दो बच्चे हैं। उनकी पत्नी और परिवार ने हमेशा उनका समर्थन किया, विशेष रूप से तब जब उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर खेती शुरू करने का निर्णय लिया था। उन्होंने खुद को पूरी तरह से कृषि में झोंक दिया और आज उनके परिवार के लोग भी इस काम में उनका साथ देते हैं।

श्याम सुंदर शर्मा की सफलता की कहानी

आज, उनकी जैविक खेती (Organic Farming) से उन्हें प्रति वर्ष लगभग 30 लाख रुपये का लाभ होता है। उनका खेती के प्रति समर्पण, उनके अथक प्रयास और जैविक खेती (Organic Farming) के सिद्धांतों पर विश्वास उनके इस सफर की सफलता का राज है। वे मानते हैं कि किसी भी काम को अगर सच्चे मन से किया जाए, तो वह सफल जरूर होता है। 

मेहनत, समर्पण और सही निर्णय 

श्याम सुंदर शर्मा की कहानी एक उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति, अपनी मेहनत, समर्पण और सही निर्णयों के साथ अपनी किस्मत को बदल सकता है। जैविक खेती (Organic Farming) में सफलता की ओर उनका यह कदम न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मददगार रहा है, बल्कि उनके जैसे और किसानों को भी यह प्रेरित करता है कि वे भी अपने खेतों में बदलाव लाकर एक बेहतर भविष्य बना सकते हैं।

आज, श्याम सुंदर शर्मा केवल एक किसान नहीं बल्कि एक प्रेरक हैं, जिन्होंने जैविक खेती (Organic Farming) के महत्व को समझा और उसे अपनाया। उनकी यह सफलता अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है कि कृषि में भी अगर सही दिशा में काम किया जाए तो सफलता मिल सकती है। 

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