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बागवानी में नई तकनीक: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के बाबियानव गांव के रहने वाले शैलेन्द्र कुमार रघुवंशी ने अपने 14 एकड़ के फ़ार्म पर प्राकृतिक बागवानी की एक मिसाल कायम की है। शैलेन्द्र का कहना है कि “खेती में आधुनिक तकनीक और प्राकृतिक तरीके का संयोजन ही आज की जरूरत है।” उन्होंने अपने फ़ार्म पर आम, अमरूद, नींबू, एप्पल बेर, आंवला, बेल, अंजीर, लीची, अनार, किन्नू, मौसमी जैसी फलों की किस्मों को टपक विधि से सिंचाई और मल्चिंग तकनीक का उपयोग कर विकसित किया है। इस बागवानी में नई तकनीक (new technology in horticulture) के जरिए वे पानी और संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर रहे हैं।
प्राकृतिक बागवानी और स्थानीय किस्मों का संरक्षण (Conservation of natural gardening and local varieties)
शैलेन्द्र बताते हैं कि उन्होंने बनारस की विलुप्त हो रही पारंपरिक फलों की किस्मों को संरक्षित करने का प्रयास किया है। वे कहते हैं, “हमारी जमीन पर कई किस्में ऐसी हैं, जिन्हें लोग भूल चुके हैं। हमने इन्हें सुरक्षित रखने का जिम्मा उठाया है ताकि आने वाली पीढ़ियों को ये पौधे और फ़सलें देखने को मिल सकें।” बागवानी में नई तकनीक (new technology in horticulture) के साथ-साथ शैलेन्द्र ने फलों के साथ-साथ हल्दी और अदरक की फ़सलें भी उगाई हैं, जो उनके फ़ार्म की आय को बढ़ाने में सहायक हैं।
किसानों को प्रशिक्षण और बागवानी में नई तकनीक (Training to farmers and new technology in horticulture)
शैलेन्द्र न केवल अपने फ़ार्म पर उगाए गए पौधों की ग्राफ्टिंग कर नई पौध तैयार करते हैं, बल्कि अपनी तकनीकों और बागवानी के ज्ञान को हजारों किसानों तक पहुँचाते हैं। शैलेन्द्र का कहना है कि “खेती को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए किसानों को प्रशिक्षित करना बेहद जरूरी है। हमारे यहां दूसरे राज्यों के किसान भी बागवानी में नई तकनीक (new technology in horticulture) और कटाई-छंटाई का प्रशिक्षण लेने आते हैं।”
एफपीओ का गठन और सामुदायिक सशक्तिकरण (FPO formation and community empowerment)
2021 में, शैलेन्द्र ने एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ FPO) की स्थापना की, जिसमें आज 4300 से अधिक किसान शामिल हैं। इस एफपीओ के माध्यम से वे प्राकृतिक खेती, मोटे अनाज और सब्जियों की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। शैलेन्द्र का यह प्रयास ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ जुड़ा है, जिसमें वे स्वयं सहायता समूह (SHG) से महिलाओं को रोज़गार के अवसर प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने बताया, “एफपीओ से जुड़ी महिलाओं और किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है, जिससे ग्रामीण इलाकों में युवाओं का पलायन भी कम हो रहा है।”
सरकारी योजनाओं का लाभ (Benefits of government schemes)
सरकारी सहयोग के संदर्भ में शैलेन्द्र बताते हैं कि उन्होंने अपने फ़ार्म पर 12 एकड़ में टपक सिंचाई और स्प्रिंकलर का उपयोग किया है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 2 एकड़ में पौधारोपण भी किया है। उन्होंने अपने फ़ार्म के चारों ओर सुरक्षा के लिए तार और पिलर भी सरकारी सहायता से लगवाए हैं, जिससे उनकी बागवानी सुरक्षित रहती है। यह बागवानी में नई तकनीक से उनके कार्य को और भी प्रभावी बनाता है।
उपलब्धियां और सम्मान (Achievements and honors)
शैलेन्द्र को अपने बागवानी में नई तकनीक (new technology in horticulture) कार्यों के लिए कई महत्वपूर्ण सम्मान मिल चुके हैं। 2012 में उन्हें एल.एम. पटेल अवार्ड से नवाजा गया। 2013 में वाइब्रेंट गुजरात में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, उद्यान विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र, और केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा उन्हें कई बार सराहा गया है।
भविष्य की योजनाएं और विचार (Future plans and ideas)
शैलेन्द्र का उद्देश्य खेती और बागवानी में तकनीकी हस्तक्षेप को बढ़ावा देना और किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है। वे कहते हैं, “हमारा लक्ष्य केवल उत्पादन बढ़ाना नहीं है, बल्कि स्थानीय फ़सल किस्मों का संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना भी है। यदि अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती और बागवानी में नई तकनीक से जुड़ें, तो ग्रामीण क्षेत्र में रोज़गार और समृद्धि का संचार होगा।” उनके प्रयासों से न केवल खेती का परिदृश्य बदल रहा है, बल्कि इससे क्षेत्रीय युवाओं को भी नए अवसर मिल रहे हैं।
निष्कर्ष (conclusion)
शैलेन्द्र कुमार रघुवंशी का यह कार्य मॉडल पूरे देश में एक प्रेरणादायक कदम है। उनके अनुभव और समर्पण से न केवल किसान सशक्त हो रहे हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी बागवानी में नई तकनीक की मदद से खेती की नई राह मिल रही है।
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