संरक्षित खेती के अग्रदूत बने हरियाणा के झज्जर से किसान संदीप कुमार

संदीप ने अपने खेत में संरक्षित खेती का प्रयोग लगभग पाँच एकड़ भूमि पर किया है। जब उनसे इस तकनीक के बारे में चर्चा की गई, तो उन्होंने कहा, “संरक्षित खेती में हमें फसल की सुरक्षा का एक स्थिर वातावरण मिलता है, जिससे मौसम के उतार-चढ़ाव का प्रभाव कम हो जाता है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।”

संरक्षित खेती के अग्रदूत बने हरियाणा के झज्जर से किसान संदीप कुमार

हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित एक छोटे से गाँव में रहने वाले संदीप कुमार ने कृषि में संरक्षित खेती का नया दृष्टिकोण अपनाकर न केवल अपने उत्पादन में बढ़ोतरी की है, बल्कि आसपास के किसानों के लिए भी प्रेरणा बने हैं। संदीप संरक्षित खेती के दो मुख्य ढाँचों – नेट हाउस और हाई-टेक संरचना का सफलतापूर्वक उपयोग कर रहे हैं, जिनसे उनकी आमदनी में कई गुना इजाफा हुआ है।

संरक्षित खेती की शुरुआत और तकनीक

संदीप ने अपने खेत में संरक्षित खेती का प्रयोग लगभग पाँच एकड़ भूमि पर किया है। जब उनसे इस तकनीक के बारे में चर्चा की गई, तो उन्होंने कहा, “संरक्षित खेती में हमें फसल की सुरक्षा का एक स्थिर वातावरण मिलता है, जिससे मौसम के उतार-चढ़ाव का प्रभाव कम हो जाता है और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।”

पर्यावरण के लिए लाभकारी

नेट हाउस में, संदीप मुख्य रूप से सब्जियाँ और फल उगाते हैं, जबकि हाई-टेक संरचना का उपयोग पौधों की पौध तैयार करने में किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस संरक्षित प्रणाली से पौधों को कीटों और रोगों से बचाया जा सकता है, जिससे उन्हें रासायनिक कीटनाशकों का कम उपयोग करना पड़ता है। यह न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी सुरक्षित उत्पाद उपलब्ध कराता है।

गुणवत्ता और आमदनी में सुधार

संरक्षित खेती के इस मॉडल ने संदीप की आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। उनके अनुसार, “संरक्षित खेती ने मुझे पहले से तीन से चार गुना अधिक लाभ कमाने में सक्षम बनाया है।” संदीप की यह सफलता केवल उनके खेत तक ही सीमित नहीं है। वे अपनी हाई-टेक संरचना में तैयार पौधों को अन्य किसानों को भी उपलब्ध कराते हैं, जिससे उन्हें भी इस विधि का लाभ मिल रहा है।

सरकारी योजनाओं का सहयोग और पुरस्कार

संदीप को संरक्षित खेती में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें राज्य स्तरीय प्रोग्रेसिव फार्मर अवार्ड और उद्गम एग्रीप्रिन्योरशिप अवार्ड शामिल हैं। इन पुरस्कारों ने न केवल उनके प्रयासों को मान्यता दी है, बल्कि उन्हें नए प्रयासों के लिए प्रेरित भी किया है।

संदीप ने संरक्षित खेती के लिए सोलर ट्यूबवेल कनेक्शन का भी लाभ उठाया है। यह योजना उनके लिए अत्यधिक फायदेमंद साबित हुई है, क्योंकि इससे उन्हें सिंचाई के लिए बिजली के खर्चों में बचत हुई है और उनकी खेती को एक स्थिर ऊर्जा स्रोत मिला है।

अन्य किसानों के लिए प्रेरणा

संदीप के अनुसार, उनका उद्देश्य संरक्षित खेती की तकनीकों को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुँचाना है। “इस तकनीक का लाभ छोटे किसानों तक भी पहुँचना चाहिए, ताकि वे भी मौसम की अनिश्चितताओं से बच सकें और उच्च गुणवत्ता की फसल उगा सकें,” संदीप ने कहा।

नेट हाउस और हाई-टेक संरचनाओं के ज़रीये से खेती

संरक्षित खेती के बारे में उनकी जानकारी और तकनीकी समझ ने कई किसानों को उनके पास आने और उनकी तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया है। नेट हाउस और हाई-टेक संरचनाओं के माध्यम से की गई खेती ने उनकी आजीविका को न केवल बेहतर बनाया है, बल्कि क्षेत्र में एक नई जागरूकता भी पैदा की है।

संरक्षित खेती का भविष्य और संदीप का दृष्टिकोण

संरक्षित खेती के क्षेत्र में संदीप का योगदान एक मिसाल के रूप में उभर कर आया है। उनके अनुसार, “संरक्षित खेती भारत के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है, खासकर तब जब यह छोटे और मध्यम आकार के किसानों तक पहुँच सके।” संदीप के अनुसार, इस तरह की खेती न केवल उत्पादन को बढ़ाती है बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सुधारती है।

संरक्षित खेती में प्रशिक्षण

उनकी योजना आने वाले वर्षों में और भी अधिक किसानों को इस संरक्षित खेती में प्रशिक्षित करने की है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो और वे आत्मनिर्भर बन सकें। संदीप के प्रयासों से आज हरियाणा में संरक्षित खेती को एक नई पहचान मिल रही है, जो भारतीय कृषि के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्ध हो सकती है। 

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