Table of Contents
उत्तर पश्चिम दिल्ली के टटेसर गांव के निवासी नरेंद्र कुमार छिकारा ने खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अपना एक विशेष मुकाम हासिल किया है। शारीरिक रूप से विकलांग होने के बावजूद, नरेंद्र ने विपरीत परिस्थितियों का डटकर सामना किया और नई तकनीकों के सहारे खाद्य प्रसंस्करण में अपनी पहचान बनाई। उनकी मेहनत और जुनून ने उन्हें न केवल सफल उद्यमी बनाया, बल्कि उनके काम से स्थानीय ग्रामीणों को भी रोजगार के अवसर मिले हैं।
खाद्य प्रसंस्करण में नवाचार और ग्रामीण सशक्तिकरण (Innovations in Food Processing and Rural Empowerment)
नरेंद्र की कंपनी पूर्ति फूड विजन एक अनूठी पहल है, जिसके माध्यम से वे खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में नवाचार ला रहे हैं। उनके इस उद्यम का मुख्य उद्देश्य सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि स्थानीय किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारना और ग्रामीण समुदाय में सशक्तिकरण लाना भी है। उनकी कंपनी फलों और सब्जियों को सीधे किसानों से खरीदती है, जिन्हें बाद में प्रसंस्करण कर विभिन्न उत्पादों में बदला जाता है।
वे कहते हैं, “हमारा मकसद यह है कि किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिले और उपभोक्ताओं को ताजे, सुरक्षित और टिकाऊ खाद्य उत्पाद मिलें।” इस पहल से जहां किसानों को मंडी तक जाने की आवश्यकता नहीं रहती, वहीं उनके उत्पाद की उचित कीमत भी मिलती है।
विकलांगता को अवसर में बदलने का जज़्बा (The passion to turn disability into an opportunity)
नरेंद्र की शारीरिक स्थिति ने उनकी यात्रा को कठिन जरूर बनाया, लेकिन उन्होंने इसे कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने दिल्ली के उजवा गांव स्थित कृषि विज्ञान केंद्र और पूसा संस्थान से खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) का तकनीकी प्रशिक्षण लेकर अपने इस सफर की शुरुआत की। 2016 में पूर्ति फूड विजन की स्थापना करने के बाद से ही उन्होंने कई ग्रामीणों को रोजगार प्रदान किया है। प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना के तहत मिली सहायता से उन्होंने अपने व्यवसाय को और भी अधिक सशक्त बनाया। वे कहते हैं, “शारीरिक विकलांगता को चुनौती के रूप में देखना चाहिए और हर चुनौती को अवसर में बदलना ही असली उपलब्धि है।”
खाद्य प्रसंस्करण में नरेंद्र का योगदान (Narendra’s contribution in food processing)
पूर्ति फूड विजन के माध्यम से नरेंद्र ने खाद्य प्रसंस्करण में कई प्रयोग किए हैं। कंपनी फलों और सब्जियों को प्रसंस्करण कर उन्हें टिकाऊ बनाती है, ताकि उपभोक्ताओं तक पौष्टिक और गुणवत्ता वाले उत्पाद पहुंच सकें। इसके अंतर्गत फलों और सब्जियों का संरक्षण, उनकी पैकेजिंग, और उन्हें मूल्यवर्धित उत्पादों में बदलना शामिल है। उनके उत्पादों की मांग दिल्ली और उसके आसपास के बाजारों में बढ़ रही है। इस कार्यप्रणाली ने उनके व्यवसाय को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों को भी लाभ पहुंचाया है। नरेंद्र बताते हैं, “प्रसंस्करण के कारण उत्पाद की बर्बादी कम होती है और उत्पाद को लंबे समय तक उपयोग में रखा जा सकता है।”
किसानों के साथ संवाद और सहयोग (cooperation with farmers)
नरेंद्र का मानना है कि सिर्फ तकनीकी जानकारी देना ही काफी नहीं है, बल्कि किसानों के साथ निरंतर संवाद और सहयोग भी जरूरी है। उन्होंने स्थानीय किसानों के साथ मजबूत नेटवर्क बनाया है, जहां वे उन्हें खेती और प्रसंस्करण के लाभों के बारे में जानकारी देते हैं। किसानों के साथ नियमित रूप से बैठकें आयोजित कर, उन्हें उन्नत कृषि तकनीकों से परिचित कराया जाता है। इसके तहत, नरेंद्र ने मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने के तरीकों, फसल के उत्पादन को बढ़ाने की तकनीकों और प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्यवर्धित उत्पादों की संभावनाओं पर जागरूकता फैलाई है। उनके अनुसार, “सिर्फ उत्पादन ही नहीं, बल्कि उस उत्पादन से लाभ कैसे बढ़ाया जाए, यह समझाना बहुत महत्वपूर्ण है।”
सरकारी योजनाओं का प्रभावशाली उपयोग (Effective use of government schemes)
सरकारी योजनाओं का सही ढंग से उपयोग करना नरेंद्र की सफलता का एक अहम हिस्सा है। प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना के तहत मिली आर्थिक सहायता ने उन्हें अपने व्यवसाय में और अधिक तकनीकी सुधार लाने में मदद की। इस योजना की सहायता से उन्होंने आधुनिक प्रसंस्करण मशीनें और तकनीकी उपकरण खरीदे, जिससे उनके उत्पादों की गुणवत्ता और टिकाऊपन में सुधार हुआ। उनका मानना है कि अगर सरकारी योजनाओं का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह उद्यमियों के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन हो सकता है। वे अन्य किसानों और उद्यमियों को भी प्रेरित करते हैं कि वे सरकारी सहायता का लाभ उठाकर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाएं।
सम्मान और पुरस्कार (Honours and Awards)
नरेंद्र को उनकी मेहनत और उत्कृष्ट कार्य के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया है। उन्हें नवोन्मेषी कृषक पुरस्कार (ICAR-IARI), दीनबंधु सर छोटूराम राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान, इंटरनेशनल हुमैन सॉलिडेरिटी अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं। ये पुरस्कार न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि का प्रतीक हैं, बल्कि खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में उनके योगदान को भी मान्यता देते हैं। उनके प्रयासों को सरकारी और निजी संस्थाओं द्वारा भी सराहा गया है।
भविष्य की योजनाएं और दृष्टिकोण (Future plans and outlook)
नरेंद्र की भविष्य की योजना पूर्ति फूड विजन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित करना है। वे अन्य राज्यों के किसानों को अपने नेटवर्क में जोड़ना चाहते हैं ताकि उन्हें प्रसंस्करण के क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार और अवसर मिल सकें। उनका मानना है कि यदि ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण की पहल को बढ़ावा दिया जाए, तो यह क्षेत्र में आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। नरेंद्र का लक्ष्य है कि भविष्य में उनके उत्पाद न केवल भारतीय बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बनाएं।
निष्कर्ष (Conclusion)
नरेंद्र कुमार छिकारा की कहानी एक प्रेरणा का स्रोत है जो दिखाती है कि शारीरिक चुनौतियों को पार करते हुए भी कैसे एक व्यक्ति अपने क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दे सकता है। खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के क्षेत्र में उनके नवाचार, स्थानीय किसानों के साथ उनके गहरे संबंध, और सरकारी योजनाओं का प्रभावशाली उपयोग उन्हें एक उत्कृष्ट उद्यमी और समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनाता है। उनका प्रयास न केवल खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के क्षेत्र में एक प्रेरणा है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
ये भी पढ़ें: मीना कुशवाहा ने ऑयस्टर मशरूम की खेती से बनाई अपनी पहचान
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।