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उत्तर प्रदेश के देवबंद तहसील के अंबेहटा शेखा गांव के रहने वाले विकास कुमार ने खाद्य प्रसंस्करण में अपनी खास पहचान बनाई है। 15 दिसंबर 1972 को जन्मे विकास ने कृषि और खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) को न केवल अपने व्यवसाय का हिस्सा बनाया, बल्कि इसे एक सामाजिक दायित्व के रूप में अपनाया। उनकी कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणा है, जो अपनी आय बढ़ाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रयासरत हैं।
खाद्य प्रसंस्करण में शुरुआत
विकास कुमार का शुरुआती सफर एक सामान्य किसान के रूप में शुरू हुआ। केवल 1 एकड़ से कम भूमि के बावजूद उन्होंने खेती के पारंपरिक तरीकों से हटकर खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) की ओर रुख किया।
विकास बताते हैं: “खेती में मेहनत बहुत होती है, लेकिन सही बाजार और मूल्य न मिलने से किसान अक्सर हताश हो जाते हैं। मैंने महसूस किया कि अगर हमारी फसलें सीधे प्रसंस्कृत होकर बाजार में जाएं, तो उनकी कीमत कई गुना बढ़ सकती है।”
उन्होंने स्थानीय फसलों जैसे गेहूं, चना और सरसों से खाद्य उत्पाद तैयार करने का काम शुरू किया। उनके प्रसंस्कृत उत्पादों में आटा, बेसन और सरसों का तेल शामिल हैं।
खाद्य प्रसंस्करण के फायदे
1.उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार: प्रसंस्करण के जरिए उत्पादों की गुणवत्ता को बेहतर बनाया गया।
2.बाजार में उच्च मांग: स्थानीय बाजारों में प्रसंस्कृत उत्पादों की मांग बढ़ी, जिससे उन्हें स्थिर आय मिली।
3.किसानों के लिए नई राह: विकास ने अन्य किसानों को भी खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
सामाजिक दायित्व
खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) को केवल व्यवसाय के रूप में न देखते हुए, विकास ने इसे एक सामाजिक उद्देश्य बनाया। उन्होंने अपने उत्पादों की बिक्री से प्राप्त लाभ का एक हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में मानवीय समस्याओं को सुलझाने में लगाया।
विकास कहते हैं: “मैंने देखा कि गांवों में जागरूकता की कमी के कारण किसान अपने उत्पादों का सही उपयोग नहीं कर पाते। मेरा उद्देश्य उन्हें मार्गदर्शन देना और उनके जीवन को बेहतर बनाना है।”
उन्होंने छोटे किसानों और महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए, जहां उन्हें प्रसंस्करण तकनीक और विपणन के गुर सिखाए गए।
सरकारी योजनाओं का लाभ
विकास ने अपनी यात्रा को आसान बनाने के लिए सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठाया।
1.मुद्रा लोन योजना: इस योजना के तहत उन्हें अपने प्रसंस्करण यूनिट के लिए वित्तीय सहायता मिली।
2.कृषि आधारित योजनाएं: उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) से जुड़े उपकरण खरीदने के लिए सब्सिडी प्राप्त की।
पुरस्कार और सम्मान
विकास के प्रयासों को जिला और मंडल स्तर पर सराहा गया।
- जिला और मंडल स्तरीय प्रतियोगिताओं में उन्होंने कई बार प्रथम स्थान प्राप्त किया।
- उनके नवाचार और सामुदायिक योगदान के लिए उन्हें स्थानीय प्रशासन ने सम्मानित किया।
बाजार में सफलता
विकास के उत्पाद स्थानीय बाजारों और सहारनपुर जिले के आसपास के इलाकों में काफी लोकप्रिय हैं।
वे बताते हैं: “सही कीमत और ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर काम करने से हमें बहुत फायदा हुआ है। लोग हमारे उत्पादों को पसंद करते हैं क्योंकि वे शुद्ध और गुणवत्ता में बेहतरीन हैं।”
स्थानीय किसानों के लिए प्रेरणा
विकास न केवल खुद सफलता की ओर बढ़े हैं, बल्कि उन्होंने अन्य किसानों को भी खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने किसानों को यह सिखाया कि कैसे अपनी फसल से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
भविष्य की योजनाएं
विकास का सपना अपने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) व्यवसाय को और आगे ले जाने का है।
वे कहते हैं: “मेरा लक्ष्य है कि मैं अपने उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाऊं और अधिक से अधिक किसानों को इसमें शामिल करूं।”
वे अपने यूनिट में और अधिक आधुनिक तकनीकों को शामिल करने की योजना बना रहे हैं, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में सुधार हो।
निष्कर्ष
विकास कुमार की कहानी यह दर्शाती है कि सीमित संसाधनों के बावजूद भी नवाचार और मेहनत से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी यात्रा उन किसानों के लिए प्रेरणा है, जो परंपरागत खेती से आगे बढ़कर नई तकनीकों और खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) में संभावनाएं तलाशना चाहते हैं। उनकी कहानी का संदेश स्पष्ट है: “खाद्य प्रसंस्करण न केवल किसानों की आय बढ़ा सकता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त भी बना सकता है।”
विकास का जीवन यह साबित करता है कि यदि किसान सही दिशा में प्रयास करें, तो वे न केवल खुद के लिए बल्कि समाज के लिए भी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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