जितेन्द्र डहरवाल की सतत मछली पालन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आया बदलाव

जितेन्द्र डहरवाल ने मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में 30 एकड़ जमीन पर मछली पालन का सफल व्यवसाय स्थापित किया। वे अपनी 8 एकड़ जमीन पर फिश फार्मिंग कर रहे हैं।

मछली पालन Fish farming

मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के सिवनकन्हार गांव के निवासी जितेन्द्र डहरवाल ने अपनी 30 एकड़ जमीन पर मछली पालन का सफल व्यवसाय स्थापित किया है। 17 मार्च 1981 को जन्मे जितेन्द्र ने पारंपरिक खेती से शुरुआत की, लेकिन मछली पालन में संभावनाएं देख उन्होंने इसे अपने व्यवसाय का केंद्र बना लिया। फिलहाल, वे अपनी 8 एकड़ जमीन पर फिश फार्मिंग कर रहे हैं और आने वाले वर्षों में इसे विस्तार देने की योजना बना रहे हैं।

शुरुआत और प्रेरणा

जितेन्द्र बताते हैं:

“मैंने खेती में कई चुनौतियों का सामना किया। फसल की कम कीमत और अधिक लागत ने मुझे एक वैकल्पिक व्यवसाय की तलाश करने के लिए प्रेरित किया। तभी मुझे मछली पालन की जानकारी मिली, जो कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय है।”

उन्होंने मछली पालन का प्रशिक्षण लिया और अपनी जमीन के एक हिस्से में तालाब बनाकर इस यात्रा की शुरुआत की। शुरुआती चरण में, उन्होंने रोहू, कतला और मृगल जैसी प्रजातियों का पालन शुरू किया।

तकनीकी और आधुनिक प्रबंधन

जितेन्द्र ने मछली पालन के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाया, जिसमें तालाब प्रबंधन, पानी की गुणवत्ता बनाए रखना और उच्च गुणवत्ता वाले मछली चारे का उपयोग शामिल है।

तालाब प्रबंधन: “मछली पालन में पानी की गुणवत्ता सबसे महत्वपूर्ण है। मैं नियमित रूप से पानी की पीएच और ऑक्सीजन स्तर की जांच करता हूं,” वे कहते हैं।

फीडिंग तकनीक: वे मछलियों को पोषक तत्वों से भरपूर चारा खिलाते हैं, जिससे उनकी वृद्धि तेज होती है।

स्वास्थ्य प्रबंधन: मछलियों की सेहत पर ध्यान देने के लिए उन्होंने मछली रोग विशेषज्ञों से संपर्क किया और रोग प्रतिरोधक तकनीकें अपनाईं।

आर्थिक सफलता

जितेन्द्र ने मछली पालन से अपनी आय को काफी बढ़ाया है।

वार्षिक आय: मछली पालन से वे सालाना 8-10 लाख रुपये की कमाई करते हैं।

मुनाफा: शुरुआती निवेश को मात्र दो वर्षों में कवर कर उन्होंने मुनाफा कमाना शुरू कर दिया।

स्थानीय बाजार: उनकी मछलियों की मांग सिवनी और आसपास के जिलों में काफी अधिक है।

जितेन्द्र बताते हैं: “स्थानीय बाजार में ताजा मछली की मांग हमेशा रहती है। मैंने ग्राहकों की जरूरतों को समझकर सही समय पर सप्लाई सुनिश्चित की।”

स्थानीय किसानों को प्रेरणा

जितेन्द्र के प्रयासों ने स्थानीय किसानों को भी प्रेरित किया है।

प्रशिक्षण: उन्होंने अपने गांव के 10 से अधिक किसानों को मछली पालन का प्रशिक्षण दिया।

संस्थानिक सहयोग: उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों और मत्स्य पालन विभाग से सहयोग लेकर अपने ज्ञान को अन्य किसानों तक पहुंचाया।

ग्रामीण विकास: मछली पालन ने गांव में रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं।

चुनौतियां और समाधान

जितेन्द्र ने मछली पालन में कई चुनौतियों का सामना किया, जिनमें पानी की कमी और शुरुआती निवेश की समस्याएं शामिल थीं।

पानी की कमी: “गर्मी के मौसम में पानी की कमी एक बड़ी समस्या थी। मैंने ड्रिप सिस्टम और बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए तालाब बनाए,” वे कहते हैं।

निवेश: बिना किसी सरकारी सहायता के, उन्होंने अपनी बचत का उपयोग किया।

सरकारी योजनाओं का लाभ

हालांकि जितेन्द्र ने अब तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि मत्स्य पालन योजनाएं उनकी मदद कर सकती हैं। वे कहते हैं:

“यदि सरकार छोटे किसानों को सब्सिडी और तकनीकी सहायता दे, तो मछली पालन और अधिक किसानों के लिए फायदेमंद हो सकता है।”

भविष्य की योजनाएं

जितेन्द्र अपने व्यवसाय को और विस्तार देना चाहते हैं।

1.व्यवसाय का विस्तार: वे अपनी पूरी 30 एकड़ जमीन पर मछली पालन करना चाहते हैं।

2.मछली प्रोसेसिंग यूनिट: मछली के उत्पादों, जैसे पैकेज्ड मछली और फिश पाउडर, की प्रोसेसिंग यूनिट लगाना उनकी योजना में शामिल है।

3.नई प्रजातियों का पालन: वे टाइगर श्रिम्प और पंगास जैसी नई प्रजातियों को भी शामिल करने की योजना बना रहे हैं।

आर्थिक प्रभाव

जितेन्द्र का मछली पालन न केवल उनके परिवार के लिए लाभकारी साबित हुआ है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रहा है। उनके व्यवसाय ने गांव में रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं और अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।

निष्कर्ष

जितेन्द्र डहरवाल की कहानी एक किसान की दृढ़ता और नवाचार की मिसाल है। उनकी मेहनत और दूरदर्शिता ने यह साबित किया है कि सही तकनीक और प्रबंधन से मछली पालन एक लाभकारी व्यवसाय बन सकता है।

उनकी सफलता न केवल उनकी खुद की, बल्कि उनके समुदाय की भी प्रेरणा है। यह कहानी उन किसानों के लिए एक मार्गदर्शिका है, जो पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाना चाहते हैं। 

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