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उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के रायपुर गांव के निवासी शिव कुमार मौर्य एक ऐसे किसान हैं जिन्होंने परंपरागत खेती से आगे बढ़ते हुए खाद्य प्रसंस्करण और ऑर्गेनिक खेती में नई ऊंचाइयों को छुआ है। शिव कुमार न केवल एक प्रगतिशील किसान हैं, बल्कि एक नवाचारी उद्यमी भी हैं, जो अपने उत्पादों के मूल्य संवर्धन के जरिये अपने गांव और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक बदलाव ला रहे हैं।
बचपन से लेकर किसान वैज्ञानिक बनने तक का सफर
शिव कुमार मौर्य का जन्म 8 मार्च 1984 को हुआ। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे शिव ने बचपन से ही खेती-किसानी की बारीकियों को सीखा। उनकी शिक्षा ने उन्हें खेती के पारंपरिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बीच संतुलन बनाने में मदद की। 2013 में उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) और ऑर्गेनिक खेती की ओर कदम बढ़ाया।
उन्होंने बताया: “खेतों में मेहनत तो हमेशा होती थी, लेकिन उससे मिलने वाले मुनाफे को बढ़ाने का तरीका खोजना जरूरी था। इसी सोच ने मुझे खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया।”
खाद्य प्रसंस्करण और नवाचार
शिव कुमार ने अपनी कृषि भूमि का उपयोग एलोवेरा, तुलसी, गन्ना और सहजन जैसी फसलों की खेती के लिए किया। उन्होंने इन उत्पादों को सीधे बेचने के बजाय उनके प्रसंस्करण पर जोर दिया। उनकी यूनिट में एलोवेरा से जूस, जेल, और साबुन बनाया जाता है। तुलसी का अर्क और पंचांग, गन्ने का सिरका, और सहजन का पाउडर उनकी प्रमुख प्रसंस्कृत वस्तुएं हैं।
वे बताते हैं: “सहजन का पाउडर 300 से अधिक बीमारियों में उपयोगी है। इसे तैयार करने के लिए हमने कई रिसर्च और तकनीकों का सहारा लिया।”
उनकी फार्म पर 500 से अधिक प्रजातियों के पौधे लगे हैं, जिससे जलवायु अनुकूलता के लिए एक नया मॉडल तैयार हुआ है।
जैविक खेती में योगदान और खाद्य प्रसंस्करण का महत्व
शिव कुमार ने वर्मी कंपोस्ट के जरिए ऑर्गेनिक खेती को अपनाया। उनके फार्म पर रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता। इसके बदले प्राकृतिक खाद और जैविक पद्धतियों से खेती की जाती है। उन्होंने बताया कि जैविक खेती ने न केवल उनकी मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई बल्कि उनकी फसलों की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाया। इस प्रक्रिया से जुड़ी खाद्य प्रसंस्करण तकनीकें उनके कृषि व्यवसाय को और अधिक समृद्ध बना रही हैं।
किसानों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन
शिव कुमार का फार्म केवल एक खेती की भूमि नहीं है, बल्कि यह एक सीखने का केंद्र बन गया है। हर साल कई किसान उनके फार्म पर विजिट करते हैं और नई तकनीकों के बारे में सीखते हैं। शिव कुमार न केवल उन्हें प्रशिक्षित करते हैं, बल्कि अपनी सफलताएं और चुनौतियां भी साझा करते हैं।
“मेरा उद्देश्य केवल अपनी आय बढ़ाना नहीं है। मैं चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा किसान जैविक खेती और खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) अपनाएं ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।”
सम्मान और उपलब्धियां
शिव कुमार को उनके नवाचार और कृषि योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। इनमें नेपाल सरकार द्वारा “अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण योद्धा सम्मान,” उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा “प्रथम टमाटर उत्पादन पुरस्कार,” और भाभा विज्ञान क्लब द्वारा सम्मान शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें 100 से अधिक स्थानीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार भी मिले हैं।
“हर सम्मान मुझे आगे बढ़ने और बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। यह केवल मेरे लिए नहीं, बल्कि मेरे पूरे गांव और क्षेत्र के लिए गर्व की बात है।”
सरकारी योजनाओं का लाभ
शिव कुमार ने अपनी खेती और खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों को मजबूत करने के लिए कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया। फॉर्म मशीनरी बैंक योजना के तहत उन्होंने प्रोसेसिंग मशीन, इलेक्ट्रिक ड्रायर, मल्टी प्रोसेसिंग मशीन, फ्रेजर, पिसाई मशीन, सोलर पैनल, फव्वारा, और टपक सिंचाई प्रणाली जैसे उपकरण प्राप्त किए।
“सरकारी योजनाओं ने मेरी कार्यक्षमता को कई गुना बढ़ा दिया है। अब मैं अधिक प्रभावी और कुशल तरीके से अपने उत्पाद तैयार कर सकता हूं।”
पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक विकास
शिव कुमार ने खेती के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान केंद्रित किया। उनके फार्म पर जलवायु अनुकूल फसलें और जल संरक्षण तकनीकें अपनाई गई हैं। वे किसानों को पराली जलाने से रोकने और इसे खाद के रूप में उपयोग करने के लिए प्रेरित करते हैं।
“हमारा पर्यावरण ही हमारी ताकत है। यदि हम इसे बचाएंगे, तो हमारी अगली पीढ़ी भी स्वस्थ और समृद्ध होगी।”
भविष्य की योजनाएं और खाद्य प्रसंस्करण की दिशा
शिव कुमार अब अपने उत्पादों को बड़े स्तर पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक ले जाने की योजना बना रहे हैं। वे अपनी खाद्य प्रसंस्करण यूनिट को और विस्तारित करना चाहते हैं। उनका सपना है कि जैविक उत्पादों को हर घर तक पहुंचाया जाए।
वे कहते हैं: “मैं चाहता हूं कि मेरी प्रेरणा से ज्यादा से ज्यादा किसान जैविक खेती और खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) अपनाएं।”
निष्कर्ष: शिव कुमार मौर्य की प्रेरणा
शिव कुमार मौर्य की कहानी यह साबित करती है कि सही दृष्टिकोण, कड़ी मेहनत, और नवाचार से कोई भी किसान अपनी पहचान बना सकता है। उनकी खेती की पद्धति, खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) तकनीकें, और सामुदायिक योगदान अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा हैं। शिव कुमार न केवल अपनी फसलों के माध्यम से स्वस्थ उत्पाद प्रदान कर रहे हैं, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनने की राह भी दिखा रहे हैं। उनकी यह यात्रा यह दर्शाती है कि ग्रामीण भारत में भी वैश्विक स्तर की सोच और प्रयासों के जरिये क्रांति लाई जा सकती है।
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