अपनी तेज यॉर्कर की वजह से पहचाने जाने वाले क्रिकेटर टी नटराजन ने गरीबी के वो दिन देखे हैं जिसकी वजह से कोई भी टूट सकता है लेकिन वो नहीं टूटे बल्कि उन्होंने अपनी गरीबी को अपनी ताकत बनाया और आगे बढ़ते गए।
कुछ ऐसी ही दिलचस्प है टीम इंडिया के तेज गेंदबाज टी. नटराजन की संघर्ष की कहानी…
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ऐसा था उनका संघर्ष
टी नटराजन.. पूरा नाम थंगारासू नटराजन…. चिन्नप्पमपट्टी जैसे छोटे से गांव में जीवन जीना इतना आसान नहीं था। उनके पिता साड़ी की फैट्री में काम करने वाले छोटे से कर्मचारी थे और मां सड़क के किनारे एक छोटी सी दुकान लगाती थीं जिस पर वो चिकन बेचती थीं। टी नटराजन ने हमेशा से जीवन में पैसों की तंगी देखी। पांच भाई बहनों में सबसे बड़े टी नटराजन हैं। उनके एक भाई हैं और तीन बहनें हैं। सबसे बड़े होने की वजह से कई जिम्मेदारियां भी हैं। आज नटराजन तमिल नाडु के होनहार गेंदबाजों में से हैं।
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ऐसे करते थे प्रैक्टिस
छेटी सी उम्र में गरीबी देखने वाले नटराजन महज 20 साल की उम्र में तक सिर्फ टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलते थे। उन्होंने कभी क्रिकेट ग्राउंड नहीं देखा था। ना ही कभी अपने स्कूल या कॉलेज का क्रिकेट में प्रतिनिधित्व नहीं किया। नटराजन के गांव में रहने वाले ए.जयप्रकाश ने उन्हें क्रिकेट खेलने की सलाह दी और इस तरह वो चेन्नई आ गए। चैन्नई आकर 2010-11 में नटराजन ने पहली बार टीएनसीए लीग के लिए खेला। इसके लिए टी नटराजन आज भी जयप्रकाश अन्ना को धन्यावाद करते हैं।
ऐसे बदला जीवन
साल 2012-13 में नटराजन ने फेमस क्लब ‘जोली रोवर्स’ के लिए खेला। यहीं से आर.अश्विन और मुरली विजय जैसे दिग्गज खिलाड़ी निकले हैं। लेकिन उनके लिए सबसे बड़ा बदलाव तब आया जब शुरुआती तमिलनाडु प्रीमियर लीग में डिंडीगुल ड्रैगन्स के लिए उनका प्रदर्शन शानदार रहा। और इस तरह वो आईपीएल अधिकारियों की नजरों में आए। आईपीएल के बाद तो नटराजन की मानों लाइफ ही बदल गई और आज वो बेहतर गेंदबाज माने जाते हैं।