मशरूम की खेती (Mushroom Farming) से एक सिविल इंजीनियर बनीं मशहूर महिला उद्यमी
सीप मशरूम की खेती पर एक लेख ने अंजनाबेन के सपनों को दी उड़ान
Oyster Farming: ऑयस्टर मशरुम की खेती से 2 साल में लागत से तीन गुना ज़्यादा कमाया मुनाफ़ा।
आज के दौर में खेती से किसान समाज में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं और साथ ही वे कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन रहे हैं। ऐसी ही कहानी है गुजरात के तापी जिले की एक ‘महिला किसान’ अंजनाबेन गामित की जो पेशे से इंजीनियर हैं। आइये जानते हैं उन्हें मशरूम की खेती से कम समय में कैसे मिली बड़ी कामयाबी।
पहले कुछ सालों तक अंजनाबेन ने सिविल इंजीनियर के रूप में काम किया। अपने काम के दौरान ही उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र, तापी द्वारा सीप मशरूम की खेती पर एक लेख देखा। लेख उन्हें बहुत रोचक लगा और उनके मन में भी मशरुम की खेती करने की इच्छा जागने लगी । फ़िर क्या था, उन्होंने ये काम शुरू करने की ठान ली। अपने सपने को साकार करने के लिए उन्होंने सबसे पहले कृषि विज्ञान केंद्र से मशरुम की खेती की 4 दिन की ट्रेनिंग ली। इसके बाद 2017 में मशरूम का काम करना शुरू कर दिया।
पहले उन्होंने करीब 11,000 रुपए की लागत से अपनी पार्किंग में बांस और हरे शेड की मदद से मशरूम घर बनाया। इसकी लंबाई 15 फीट और चौड़ाई 10 फीट रखी गयी। तकनीकी मार्गदर्शन के साथ-साथ स्पॉन (मशरूम बीज), पॉलीथिन बैग और रसायन (कार्बेन्डाजिम और फॉर्मेलिन) जैसी सभी ज़रूरी चीजें उन्हें केवीके वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर मिलती रहीं। इस छोटे से कमरे से उन्हें 2.5 महीने में करीब 140 किलो मशरूम मिला, जिसकी कीमत करीब 28 हजार रुपए थी।
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ऑयस्टर मशरुम उगाने की प्रक्रिया:
- भूसे को नरम करने और गंदगी को हटाने के लिए इसे पांच घंटे के लिए पानी में भिगो दें।
- लगभग 100 ℃ के तापमान पर एक स्टीमर में भूसे को जीवाणुरहित करें (आप चाहें तो इसके लिए अपने गीज़र का प्रयोग भी कर सकते हैं )
- सामान्य तापमान पर भूसे को पानी में ठंडा होने के लिए रखें और इसे कंबल या थर्मोकोल से ढक दें।
- भूसे को रात भर सुखाएं।
- भूसे को बीज के साथ मिलाकर एक हवा बंद पॉलिथीन बैग में रखें और इसे 18 दिनों के लिए छोड़ दें।
- एक बार जब मशरूम अंकुरित होने लगे तो बैग को फाड़ दें और ध्यान से प्रत्येक मशरूम को उसकी जड़ों से हटा दें।
- इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 25 दिन लगते हैं। दस किलो स्पॉन 45 किलो तक मशरूम दे सकता है।
मशरुम से कैसे मिला मुनाफ़ा ?
कुछ शुरूआती दिक्कतें भी आयीं, पूरी तकनीक को ठीक से समझने में समय लगा, लेकिन धीरे धीरे अंजनाबेन को कामयाबी मिलने लगी। अगले 18 महीने में उन्होंने अपने मशरूम हाउस का साइज़ 80 फीट लंबा और 23 फीट चौड़ा कर लिया। इसके लिए उन्होंने करीब 1 लाख 72 हज़ार रुपये का निवेश किया। 2017 से 2019 तक उन्होंने करीब 250 किलोग्राम मशरूम बीज का इस्तेमाल करके लगभग 1,234 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन किया। इस बीच उनकी कमाई करीब 3 लाख 8 हजार रुपए तक पहुंच गई जबकि लागत महज 88 हजार 350 रुपए रही।
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कैसे की मशरूम की मार्केटिंग ?
अंजनाबेन ने परिवार और रिश्तेदारों के जरिए अपने उत्पादों की मार्केटिंग की। 100 से 200 ग्राम के पैकेट बनाकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, छोटे दुकानदारों और सब्जी विक्रेताओं के माध्यम से व्यारा शहर में बेचने का काम किया। इसके अलावा उन्होंने टेलीफोन पर ऑर्डर लेने भी शुरू कर दिए । उन्होंने डिमांड के मुताबिक पैकेट्स बनाकर लोगों तक पहुंचाए। उन्होंने तापी जिले के कलेक्टर द्वारा शुरू किए गए “जैविक बाजार डेस्क” के माध्यम से भी मशरूम की बिक्री शुरू की। इलाके की महिलाओं और किसानों के लिए प्रेरणा बन चुकीं अंजनाबेन को भारत सरकार भी सम्मानित कर चुकी है।
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