Table of Contents
मिट्टी की उर्वरक क्षमता, फ़सल उत्पादन एवं किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती पर काफ़ी ज़ोर दे रही है। शुद्ध खान-पान की बढ़ती मनोस्थिति को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक खेती से बने उत्पादों की मांग भी बढ़ रही है। सुभाष पालेकर के मुताबिक ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती में किसानों को फसल उत्पादन के लिए उर्वरकों एवं कीटनाशकों पर खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। आइये जानते हैं प्राकृतिक खेती में इस्तेमाल होने वाले उर्वरकों और कीटनाशकों के बारे में।
जीवामृत (Jeevamrut)
जीवामृत एक प्राकृतिक तरल उर्वरक (Natural Liquid Fertilizer) है। इसे स्थानीय रूप से उपलब्ध चीजों के साथ लगभग शून्य कीमत पर बनाया जा सकता है। यह उसी क्षेत्र की कुछ मिट्टियों के साथ गाय का गोबर (खाद के रूप में), गौमूत्र और कुछ चीजों को मिलाकर बनाया जाता है। इससे मिट्टी और उपज पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
जीवामृत का प्रयोग करने से सूक्ष्म जीवाणु (micro-organisms) सैकड़ों गुना बढ़ जाते हैं। यह पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। इससे पौधे स्वस्थ बने रहते हैं और फ़सल की अच्छी पैदावार मिलती है। जीवामृत का ज़्यादा उत्पादन करके किसान छोटी इकाई बना सकते हैं और अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं।

घनजीवामृत (GhanJeevamrut)
घनजीवामृत एक प्रभावशाली सूखी प्राकृतिक खाद है। गाय के गोबर और गौमूत्र को मिलाकर इसे बनाया जाता है। इसमें ऐसा कोई तत्व नहीं होता जिससे फ़सल को नुकसान पहुंचता है। इसके प्रयोग के लिए प्रति एकड़ 100 किलो वर्मी कम्पोस्ट के साथ 20 किलो घनजीवामृत को बुवाई के समय खेत में डालना चाहिए। इसका इस्तेमाल खेत में पानी देने के 3 दिन बाद भी कर सकते हैं।
घनजीवामृत से बीजों का अंकुरण (Seed Germination) अधिक मात्रा में होता है। इसके उपयोग से फसलों की चमक और स्वाद दोनों बढ़ता है। इसके उपयोग से जैसे ही मिट्टी में नमी आती है, उपस्थित जीवाणु सक्रिय जाते हैं और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।
बीजामृत (Beejamrut)
बीजामृत एक ऐसा प्राकृतिक घोल है जिसका इस्तेमाल बीज उपचार के लिए किया जाता है। इससे नन्हें पौधों की जड़ों को कवक (Fungus) तथा मिट्टी से मिलने वाली बीमारियों से बचाया जाता है। इसे उसी क्षेत्र की कुछ मिट्टी के साथ गाय का गोबर (खाद के रूप में), गौमूत्र और कुछ चीजों को मिलाकर बनाया जाता है। बीजामृत का इस्तेमाल बीज या पौध रोपण के समय करते हैं। यह बीजों की अंकुरण क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
ये भी पढ़ें: Zero Budget Natural Farming: प्राकृतिक खेती में ऐसे करें जीवामृत और बीजामृत का इस्तेमाल

ब्रह्मास्त्र (Brahmastra)
ब्रह्मास्त्र एक प्राकृतिक कीटनाशक (Natural Pesticide) है। इसका इस्तेमाल फसलों में कीटों के नियंत्रण के लिए किया जाता है। यह साथ में रोग नियंत्रण भी करता है। यह बड़ी सूंडी इल्ली, रस चूसने वाले कीट और कई तरह के कीटों पर नियंत्रण के लिए काम आता है। इसे बनाने के बाद छह महीने तक इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके प्रयोग से फ़सल का उत्पादन भी बढ़ता है।
नीमास्त्र (Neemastra)
नीमास्त्र एक प्राकृतिक कीटनाशक है। इसे स्थानीय रूप से उपलब्ध चीजों के साथ, लगभग शून्य कीमत पर बनाया जा सकता है। गाय का गोबर, गौमूत्र, नीम और अन्य सामग्री को मिलाकर यह तैयार होता है। इसका इस्तेमाल रस चूसने वाले कीट (Nymph-Sucking insects) और लीफ माइनर के नियंत्रण के लिए होता है। इसके प्रयोग से शत्रु कीट-पतंगे खेत में नहीं आते हैं।
अग्नि अस्त्र (Agni Astra)
अग्नि अस्त्र एक प्रभावशाली कीटनाशक है। यह तना कीट, सूंडी एवं इल्लियों के नियंत्रण के लिए इस्तेमाल होता है। गाय का गोबर, गौमूत्र, नीम, लहसुन और अन्य चीजों को मिलाकर इसे बनाया जाता है। इसे बनाने के बाद तीन महीने तक प्रयोग कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें: Natural Farming: प्राकृतिक खेती का ब्रह्मास्त्र, फ़सल के दुश्मनों का सर्वनाश
दशपर्णी अर्का (Dashparni Arka)
दशपर्णी अर्का एक जीवाणुप्रतिरोधक और फफूंदरोधक कीटनाशक है। रस चूसने वाले कीट जैसे तेला, चेपा आदि के नियंत्रण के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।यह पौधे की इम्यूनिटी को मजबूत करता है। नीम, धतूरा, सीताफल, तुलसी, गाय का गोबर और अन्य सामग्री को मिलाकर इसे बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल बनने के बाद छह महीने तक कर सकते हैं।
फफूंदीनाशक (Fungicide)
फफूंदीनाशक का शत्रु कवक (फफूंदी) के नियंत्रण के लिए उपयोग होता है। कीटों की रोकथाम के साथ रोगों के नियंत्रण के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसे छाछ यानि मठ्ठे को 2-3 दिन रखकर फिर पानी मिलकर स्प्रे के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह कवक नाशक व विषाणुरोधक का उत्तम उपाय है।
अगर हमारे किसान साथी खेती-किसानी से जुड़ी कोई भी खबर या अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो इस नंबर 9599273766 या [email protected] ईमेल आईडी पर हमें रिकॉर्ड करके या लिखकर भेज सकते हैं। हम आपकी आवाज़ बन आपकी बात किसान ऑफ़ इंडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाएंगे क्योंकि हमारा मानना है कि देश का किसान उन्नत तो देश उन्नत।

ये भी पढ़ें:
- प्राकृतिक खेती अपनाकर शोभा देवी ने अपनाई स्वस्थ जीवन शैली और पाया बीमारियों से छुटकाराप्राकृतिक खेती के ज़रिए शोभा देवी ने न सिर्फ़ अपने परिवार की सेहत सुधारी, बल्कि अच्छी आमदनी भी हासिल की।
- बिहार के पूर्णिया में पशुपालकों के लिए वरदान: देश की तकनीक से बनी ‘Sex Sorted Semen Facility’ का उद्घाटनप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 15 सितंबर को पूर्णिया स्थित एक अत्याधुनिक सीमन स्टेशन पर ‘Sex Sorted Semen Facility’ (लिंग-चयनित वीर्य सुविधा) का उद्घाटन किया। ये न केवल बिहार बल्कि पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत की पहली ऐसी सुविधा है, जिसे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना के तहत स्वदेशी तकनीक ‘Gausort’ से लैस किया गया है।
- Rabi Campaign 2025: पूसा सम्मेलन में तय हुई रबी की रणनीति, अब भारत बनेगा दुनिया की Food Basketनई दिल्ली स्थित पूसा में 15 से 16 सिंतंबर से चल रहे दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-रबी अभियान 2025’ (‘National Agriculture Conference – Rabi Campaign 2025’) कृषि क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत का संकेत दे रहा है।
- India’s Dairy Revolution: NDDB में महाशक्तिशाली सांड़ ‘वृषभ’ का जन्म, सुपर बुल और Genomic Selection से तकनीक का चमत्कारराष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board) ने हाल ही में देश के पहले ‘Super Bull’ यानी महाशक्तिशाली सांड़ ‘वृषभ’ के जन्म की घोषणा की है। ये कोई आम सांड़ नहीं है, बल्कि अत्याधुनिक जीनोमिक चयन (Genomic Selection) और इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन–एंब्रियो ट्रांसफर (IVF-ET) तकनीक का चमत्कार है।
- प्राकृतिक खेती से गांव में नई पहचान बना रहे हैं हिमाचल के रहने वाले रोहित सापड़ियाप्राकृतिक खेती अपनाकर रोहित सापड़िया ने कैसे अपनी ज़िंदगी बदली, ख़र्च कम किया और दूसरों को भी खेती की ओर प्रेरित किया, जानिए।
- Rabi Abhiyan 2025: ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ के संकल्प के साथ तैयार होगा New Action Planदिल्ली में 2 दिवसीय ‘राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-रबी अभियान 2025’ (Two-day ‘National Agriculture Conference – Rabi Abhiyan 2025’) का आगाज़ हो गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में हो रहे इस सम्मेलन का उद्देश्य न सिर्फ आगामी रबी सीज़न 2025-26 के उत्पादन लक्ष्यों को तय करना है, बल्कि Integrated Strategy के ज़रिए देश के किसानों की आमदनी बढ़ाना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए स्ट्रैटजी बनानी है।
- खुशबू और सफलता की नई कहानी: सीमैप की ‘Kharif Mint Technology’ ने बदल दी मेंथा की खेती का नक्शाCentral Institute of Medicinal and Aromatic Plants (सीमैप – CIMAP), लखनऊ के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी डेवलप की है जो मेंथा की खेती के पुराने नियमों को ही बदल देती है।
- AI-Based Weather Forecasting: AI की बदौलत बारिश की हर बूंद का अंदाजा! अब नहीं होगी मेहनत बेकार, मिलेगा अगले 4 हफ्ते का पूरा प्लानभारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रोग्राम शुरू किया है- एआई-आधारित मौसम पूर्वानुमान (AI-based weather forecasting)। ये सिर्फ एक टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों की जिंदगी बदलने का एक ज़रिया है।
- रजीना देवी की सफलता की कहानी प्राकृतिक खेती से मिली नई राहरजीना देवी की प्रेरणादायक सफलता कहानी, जहां प्राकृतिक खेती ने कम लागत और अधिक लाभ से उन्हें नई पहचान दिलाई।
- European Union ने भारतीय मत्स्य निर्यात के लिए खोले नए द्वार, 102 और फर्मों को मिली मंज़ूरीयूरोपीय संघ (European Union) दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सख्त मानकों वाले आयात बाजारों में से एक है। उसके खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता के मानक (Food safety and quality standards) काफी हाई हैं। ऐसे में, 102 नई यूनिट्स का मंजूरी पाना इस बात का प्रमाण है कि India’s export control mechanism (एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल – EIC) कितना मजबूत और भरोसेमंद है।
- Mushroom Production Training से सहरसा की महिलाएं लिख रहीं आत्मनिर्भरता की कहानी, दे रहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूतीबिहार के सहरसा ज़िले (Saharsa district of Bihar) अगवानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) में आयोजित चार दिवसीय मशरूम प्रोडक्शन ट्रेनिंग (Mushroom production training) ने न सिर्फ महिलाओं को एक नई राह दिखाई है, बल्कि उन्हें ‘आत्मनिर्भर भारत’ की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया है।
- हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए विकसित की गेहूं की नई क़िस्म WH 1309गेहूं की नई क़िस्म WH 1309 पछेती बिजाई के लिए वरदान है, अधिक पैदावार और रोगरोधी गुणों के साथ किसानों को देगा स्थिर लाभ।
- Role of Technology in Agriculture: कृषि में प्रौद्योगिकी की भूमिका से बदल रहा है भारतीय खेती का भविष्यकृषि में प्रौद्योगिकी की भूमिका किसानों की आय, पैदावार और आत्मनिर्भरता बढ़ा रही है। जिससे भारत में खेती-किसानी की तस्वीर बदल रही है।
- Rangeen Machhli App: ICAR का ‘रंगीन मछली’ ऐप जो दे रहा सजावटी मत्स्य पालन और आजीविका के अवसरों को बढ़ावाRangeen Machhli App सिर्फ एक साधारण जानकारी देने वाला टूल नहीं है, बल्कि ये मछली पालन के शौकीनों (hobbyists), किसानों और बिजनेसमैन के लिए एक पूरी गाइड है। आइए जानते हैं इसकी ख़ास बातें।
- सफ़ेद चादर-सा काशी फूल: झारखंड की संस्कृति और जीवन से जुड़ी अनोखी पहचानझारखंड की संस्कृति और जीवन से जुड़ा काशी फूल शरद ऋतु का प्रतीक है। यह फूल आजीविका और धार्मिक महत्व दोनों में अहम भूमिका निभाता है।
- National Gopal Ratna Award 2025: देश के डेयरी किसानों और तकनीशियनों का सर्वोच्च सम्मान, जानिए कैसे करें अप्लाईराष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2025 (National Gopal Ratna Award 2025) देश के डेयरी किसानों, सहकारी समितियों और तकनीशियनों (Dairy farmers, co-operatives and technicians) के लिए एक शानदार अवसर है। ये न केवल एक Prestigious honors और Financial Aid प्रदान करता है, बल्कि देश के Dairy Sector में वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीकों को अपनाने के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन भी है।
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के 5 साल, क्या कहते हैं मछली पालन से जुड़े ताज़ा आंकड़े?प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: ब्लू इकोनॉमी की ताकत, तकनीक और रोजगार से बदल रहा है भारत का मत्स्य क्षेत्र।
- सरस आजीविका मेला 2025: Vocal for Local और ग्रामीण आजीविका का संगम 22 सितंबर तक22 सितंबर तक दिल्ली में आयोजित सरस आजीविका मेला 2025, लखपति दीदियों और ग्रामीण महिलाओं के उत्पाद, संस्कृति, वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत का उत्सव है।
- गोबर से कागज़ और राखियां बनाकर जयपुर के भीमराज शर्मा ने शुरू किया अनोखा एग्री बिज़नेसगोबर से कागज़ और राखियां बनाकर एग्री बिज़नेस में जयपुर के भीमराज शर्मा ने पर्यावरण हितैषी नवाचार से नई पहचान बनाई।
- जामताड़ा ज़िले में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना से पशुपालकों को आत्मनिर्भरता की राहमुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना से जामताड़ा के किसानों को मिला चूज़ा वितरण का लाभ, पशुपालन से आत्मनिर्भरता की नई राह।