ICAR और NBFGR ने अरब सागर से खोजी नई गहरे पानी की सर्पमीन (ईल) प्रजाति Facciolella Smithi

ICAR–National Bureau of Fish Genetic Resources  (NBFGR) के शोधकर्ताओं ने अरब सागर में केरल के तट से एक नई प्रजाति की सर्पमीन (New species of eel) खोजी है, जिसका नाम Facciolella smithi रखा गया है।

ICAR और NBFGR ने अरब सागर से खोजी नई गहरे पानी की सर्पमीन (ईल) प्रजाति Facciolella Smithi

भारत के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर समुद्र की गहराइयों से एक नई और रहस्यमयी प्रजाति की खोज की है। ICAR–National Bureau of Fish Genetic Resources  (NBFGR) के शोधकर्ताओं ने अरब सागर में केरल के तट से एक नई प्रजाति की सर्पमीन (New species of eel) खोजी है, जिसका नाम Facciolella smithi रखा गया है। ये खोज भारत के समुद्री जैवविविधता (Marine Biodiversity) की समृद्धि को दर्शाती है और ये बताती है कि हमारे महासागरों में अभी भी कितने रहस्य छिपे हुए हैं।

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कहां और कैसे मिली ये नई प्रजाति? (Where And How Was This New Species Found?)

ये नई सर्पमीन केरल के तट से 260 से 460 मीटर की गहराई पर पाई गई। ये प्रजाति Nettastomatidae परिवार से संबंधित है, जिसकी ख़ासियत इसका पतला शरीर और बत्तख की चोंच जैसी नोकदार थूथन (snout) है। इसकी पहचान मॉर्फोलॉजिकल (आकृति विज्ञान), रेडियोग्राफिक (एक्स-रे विश्लेषण) और मॉलिक्यूलर (आनुवंशिक) रीसर्च के जरिए की गई।

डॉ. डेविड जी. स्मिथ के नाम पर रखा गया नाम (Named After Dr. David G. Smith)

इस नई प्रजाति (New species of eel) का नाम फेमस मत्स्य विज्ञानी (ichthyologist) डॉ. डेविड जी. स्मिथ (Dr. David G. Smith) के सम्मान में रखा गया है, जिन्होंने सर्पमीन (Eels) की वर्गीकरण (Taxonomy) में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ये खोज डॉ. पी. कोडीस्वरन और डॉ. टी. टी. अजीत कुमार के लीडरशिप में की गई और इसके नतीजे International Journal Zootaxa’ में प्रकाशित हुए हैं।

ICAR और NBFGR ने अरब सागर से खोजी नई गहरे पानी की सर्पमीन (ईल) प्रजाति Facciolella Smithi

पिछले 4 साल में 16वीं नई सर्पमीन प्रजाति (16th New Eel Species In Last 4 Years)

ICAR-NBFGR के निदेशक डॉ. काजल चक्रवर्ती ने बताया कि पिछले चार सालों में ये संस्थान द्वारा खोजी गई 16वीं नई सर्पमीन प्रजाति है। ये इस बात का सबूत है कि भारत के गहरे समुद्री इकोसिस्टम (deep sea ecosystem) में अभी भी कई अनदेखी प्रजातियां मौजूद हैं, जिन पर शोध की ज़रूरत है।

क्या है इस नई मछली का व्यावसायिक महत्व? (Commercial Importance Of The New Fish?)

अब वैज्ञानिक इस नई प्रजाति का न्यूट्रिशनल प्रोफाइलिंग (Nutritional profiling of new species) कर रहे हैं, ताकि ये पता लगाया जा सके कि क्या इसे खाद्य और फार्मास्युटिकल उद्योग में इस्तेमाल किया जा सकता है। गहरे समुद्र की मछलियां अक्सर ओमेगा-3 फैटी एसिड और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती हैं।

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भारत की समुद्री जैवविविधता: एक अनसुलझा खजाना (India’s Marine Biodiversity: An Untapped Treasure)

ये खोज साबित करती है कि भारत के समुद्री क्षेत्रों में अभी भी कई अनजानी प्रजातियां मौजूद हैं, जिन पर शोध किया जाना बाकी है। गहरे समुद्र की दुनिया रहस्यों से भरी हुई है, और ऐसी खोजें न सिर्फ विज्ञान के लिए बल्कि मत्स्य पालन, जैव-प्रौद्योगिकी और दवा उद्योग के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकती हैं।

 Facciolella smithi की खोज न केवल भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता को दर्शाती है, बल्कि ये हमें याद दिलाती है कि प्रकृति अभी भी कितनी रहस्यमयी है। आने वाले समय में और भी नई प्रजातियों के मिलने की संभावना है, जो हमारे ज्ञान को और विस्तारित करेंगी।

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