International Plastic Bag Free Day पर जानिए, क्यों खेती को चाहिए प्लास्टिक से मुक्ति

International Plastic Bag Free Day पर जानिए कैसे प्लास्टिक खेती को कर रहा है नुकसान और किसान कैसे इस बदलाव के अगुआ बन सकते हैं।

International Plastic Bag Free Day अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस

हर साल 3 जुलाई को दुनिया भर में International Plastic Bag Free Day मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है – प्लास्टिक बैग के उपयोग को कम करके पर्यावरण को सुरक्षित बनाना और एक टिकाऊ जीवनशैली की ओर कदम बढ़ाना। लेकिन इस वर्ष यह दिन केवल शहरी उपभोक्ताओं के लिए नहीं, बल्कि भारतीय कृषि क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।

प्लास्टिक और खेती का रिश्ता – ज़हर घोल रहा है प्लास्टिक (Relation between plastic and agriculture – Plastic is spreading poison)

हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक बैग पर्यावरण के लिए कितने हानिकारक हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि प्लास्टिक बैग कृषि भूमि की उर्वरता को भी नुकसान पहुंचाते हैं। खेतों में प्लास्टिक की मौजूदगी मिट्टी के सांस लेने की क्षमता को घटा देती है, जिससे जड़ें कमजोर होती हैं और उत्पादन पर असर पड़ता है। यही वजह है कि International Plastic Bag Free Day किसानों के लिए भी एक चेतावनी है।

हर साल भारत में लगभग 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें से बड़ा हिस्सा खेतों और ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच जाता है। इसमें सबसे अधिक एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक बैग होते हैं जो पशुओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जल स्रोतों को प्रदूषित करते हैं और मिट्टी को बंजर बनाते हैं।

प्लास्टिक बैग से खेती को कितना नुकसान? (How much damage is caused to agriculture by plastic bags?)

  • खेतों में जल निकासी रुक जाती है क्योंकि प्लास्टिक मिट्टी को जाम कर देता है।
  • पशु प्लास्टिक खा जाते हैं जिससे उनकी मौत तक हो जाती है।
  • जैविक खेती को बढ़ावा देने की सारी कोशिशें तब विफल हो जाती हैं जब खेतों में प्लास्टिक मौजूद हो।
  • बुवाई के समय बीजों की अंकुरण दर कम हो जाती है क्योंकि मिट्टी की गुणवत्ता गिरती है।

इसलिए International Plastic Bag Free Day किसानों के लिए भी एक अलार्म है – ताकि वे भी प्लास्टिक मुक्त खेती की ओर बढ़ सकें।

भारत में प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध और जमीनी सच्चाई (Plastic bag ban in India and the ground reality)

हालांकि भारत सरकार ने कई राज्यों में एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन यह प्रतिबंध ग्रामीण भारत में ज़्यादा असरदार साबित नहीं हुआ है। क्योंकि विकल्प या तो महंगे हैं या आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। यहीं पर International Plastic Bag Free Day एक अवसर है – लोगों को जागरूक करने और नीति निर्माताओं को ग्राम स्तर पर समाधान उपलब्ध कराने का।

कृषि में प्लास्टिक का विकल्प – फूड पैकेजिंग से उम्मीद (Alternative to plastic in agriculture – hope from food packaging)

कृषि और पर्यावरण के इस जुड़ाव में एक नई उम्मीद बनकर उभरा है – फूड पैकेजिंग। यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें जैविक सामग्री जैसे कि चावल की भूसी, गन्ने की खोई, मक्का स्टार्च या केले के छिलकों से बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग बनाई जाती है। यह प्लास्टिक बैग का न केवल बेहतर विकल्प है, बल्कि किसानों के लिए आर्थिक अवसर भी है।

भारत के पास फ़सलों के बाद बची सामग्री की भरपूर मात्रा है – जैसे गन्ने की खोई, गेहूं का भूसा, धान की पराली आदि – जिनका उपयोग इस तरह की पैकेजिंग सामग्री बनाने में किया जा सकता है। इससे न केवल ग्रामीण रोज़गार बढ़ेगा, बल्कि जैविक अपशिष्ट को उपयोगी संसाधन में बदला जा सकेगा।

International Plastic Bag Free Day के मौके पर किसान क्या कर सकते हैं? (What can farmers do on the occasion of International Plastic Bag Free Day?)

  • किसान प्लास्टिक बैग के बजाय कपड़े या जूट के बैग का उपयोग करें।
  • मंडी और बाजारों में भी प्लास्टिक बैग की जगह बायोडिग्रेडेबल विकल्प को बढ़ावा दें।
  • गांवों में स्वयं सहायता समूह (SHGs) के जरिए बायो पैकेजिंग सामग्री का निर्माण शुरू करें।
  • खेतों में मल्चिंग के लिए बायोप्लास्टिक या घास का प्रयोग करें।
  • पशुओं के लिए चारे की पैकिंग में प्लास्टिक का उपयोग बंद करें।

Zero Waste खेती है अगला कदम? (Is Zero Waste Farming the Next Step?)

इस वर्ष का International Plastic Bag Free Day केवल शहरों तक सीमित नहीं होना चाहिए। इसे गांवों और खेतों तक पहुंचाना ज़रूरी है। एक किसान यदि प्लास्टिक बैग को न कहता है, तो वह केवल अपने खेत को ही नहीं, बल्कि पूरी प्रकृति को बचाता है। साथ ही Zero Waste खेती का लक्ष्य भी तभी पूरा हो सकता है जब कृषि कार्यों में प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से बंद हो।

बदलाव की शुरुआत कहां से हो? (Where does the change begin?)

इस बदलाव की शुरुआत गांव की पंचायतों, कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) से होनी चाहिए। किसानों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए कि वे कैसे प्लास्टिक के बिना खेती कर सकते हैं और कैसे प्राकृतिक संसाधनों से बने उत्पाद उनके लिए लाभकारी हैं। International Plastic Bag Free Day पर सिर्फ़ भाषण नहीं, व्यवहार में बदलाव ज़रूरी है।

निष्कर्ष (Conclusion)

International Plastic Bag Free Day हम सभी के लिए एक मौका है – सोचने का, समझने का और बदलने का। और जब बात खेती की हो, तो बदलाव की शुरुआत खेत से ही होनी चाहिए। अगर किसान प्लास्टिक मुक्त खेती की ओर बढ़ते हैं, तो भारत एक ऐसा उदाहरण बन सकता है जहां पर्यावरण सुरक्षा और आर्थिक विकास एक साथ संभव हैं।

इसलिए आइए, आज 3 जुलाई 2025 को हम संकल्प लें – कि हम सिर्फ़ शॉपिंग बैग से नहीं, बल्कि अपनी खेती से भी प्लास्टिक को अलविदा कहेंगे।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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