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‘क्या आप जानते हैं कि आपके खेत (Agriculture Revolution) का हर इंच अलग-अलग जरूरतें रखता है? अगर हां, तो क्यों नहीं आप उसी हिसाब से खेती करते?’ यही सोच है प्रिसिजन फार्मिंग (Precision Farming) की। एक ऐसी आधुनिक तकनीक जो GPS, सेंसर, ड्रोन और AI का इस्तेमाल करके खेती को ‘इंच-इंच सटीक’ बना देती है। अब किसानों को अनुमान पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि डेटा और साइंस के आधार पर फैसले लिए जा सकेंगे।
क्या है प्रिसिजन फार्मिंग? (What is Precision Farming?)
प्रिसिजन फार्मिंग यानी ‘सटीक खेती’, जहां हर छोटी-बड़ी जानकारी का विश्लेषण करके फसलों का प्रबंधन किया जाता है। इसमें शामिल है-
-: सेंसर मिट्टी की नमी, पोषक तत्वों की कमी और फसल की सेहत की जानकारी देते हैं।
-: ड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग से पूरे खेत की हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें मिलती हैं।
-: AI और मशीन लर्निंग ये तय करते हैं कि कहां कितना पानी, खाद या कीटनाशक देना है।
-: ऑटोमेटेड सिस्टम खुद ही सिंचाई, उर्वरक डालने और फसल निगरानी का काम करते हैं।
-: ‘खेत की धड़कन’ को समझकर उसका सही इलाज करना।
प्रिसिजन फार्मिंग के फायदे: क्यों ये भविष्य की खेती है? (Benefits of Precision Farming )
1. पानी और खाद की बचत, लागत कम, उत्पादन ज्यादा
आज भी किसान अनुमान से खाद डालते हैं, जिससे कहीं कम तो कहीं ज्यादा उर्वरक पड़ता है। प्रिसिजन फार्मिंग (Precision Farming) में सेंसर बताते हैं कि मिट्टी में क्या कमी है, और सिस्टम सिर्फ उतना ही खाद डालता है, जितनी जरूरत है। इससे 30-40 प्रतिशत तक लागत कम होती है।
2. फसल की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ती है
जब पौधों को सही समय पर सही पोषण मिलता है, तो उनकी ग्रोथ बेहतर होती है। प्रिसिजन फार्मिंग (Precision Farming) से 20-50 फीसदी तक उत्पादन बढ़ सकता है!
3. पानी का सही इस्तेमाल-ड्रिप और स्मार्ट सिंचाई
भारत में 80 फीसदी भूजल सिर्फ खेती में इस्तेमाल होता है, लेकिन ज़्यादातर बर्बाद हो जाता है। प्रिसिजन फार्मिंग में स्मार्ट सिंचाई सिस्टम सेंसर के आधार पर पानी देता है, जिससे 50 फीसदी तक पानी की बचत होती है।
4.कीटनाशकों का कम इस्तेमाल, पर्यावरण सुरक्षित
ड्रोन और AI की मदद से सिर्फ उन्हीं जगहों पर कीटनाशक छिड़का जाता है जहां वाकई कीटों का प्रकोप है। इससे कीमती रसायनों की बचत होती है और मिट्टी व पानी प्रदूषित नहीं होते।
5. रियल-टाइम मॉनिटरिंग- मौसम और बीमारियों से बचाव
मौसम का पूर्वानुमान, फसलों में बीमारियों की पहचान और समय पर उपाय – यह सब मोबाइल ऐप से किया जा सकता है। अब किसान खेत से दूर रहकर भी फसल पर नजर रख सकते हैं।
क्या प्रिसिजन फार्मिंग महंगी है? (Is Precision Farming Expensive?)
हां, शुरुआत में इसकी लागत ज़्यादा है। सेंसर, ड्रोन, सॉफ्टवेयर और ट्रेनिंग में पैसा लगता है। लेकिन लॉन्ग टर्म में ये फायदेमंद है क्योंकि इनपुट कॉस्ट (पानी, खाद, कीटनाशक) कम हो जाती है। उत्पादन बढ़ने से किसान की आमदनी बढ़ती है। सरकार और कृषि संस्थान सब्सिडी दे रहे हैं।
क्या भारतीय किसानों के लिए ये सही ऑप्शन है? (Is This The Right Option For Indian Farmers?)
हां! भारत में छोटे और मझोले किसान भी अब प्रिसिजन फार्मिंग अपना रहे हैं। कई स्टार्टअप्स और सरकारी योजनाएं (जैसे डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन) किसानों को इस तकनीक से जोड़ रही हैं। ‘अगर आप प्रगतिशील किसान बनना चाहते हैं, तो प्रिसिजन फार्मिंग आपका पहला कदम होना चाहिए’
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