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उत्तर कश्मीर के जनजातीय और दूरदराज़ क्षेत्र गुरेज़ में अब सर्दियों की कठोरता और अलगाव की छवि बदल रही है। यहां की धरती अब सेब, चेरी और सर्दियों की सब्जियों से हरी-भरी हो रही है। यह सब संभव हो पाया है जम्मू-कश्मीर सरकार की दो प्रमुख योजनाओं – MIDP और HADP Schemes – की बदौलत, जिन्होंने खेती और बागवानी में क्रांतिकारी बदलाव लाकर इस क्षेत्र की तस्वीर ही बदल दी है।
पहली बार सेब, नाशपाती और चेरी की खेती (Cultivation of apple, pear and cherry for the first time)
MIDP (Modified Infrastructure Development Programme) के तहत बागवानी विभाग ने पहली बार गुरेज़ के किसानों को सेब, नाशपाती और चेरी की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। इस पहल के अंतर्गत किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, ज़रूरी प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे की सहायता दी गई, जिससे अब गुरेज़ की भूमि में इन फलदार वृक्षों की सफल खेती हो रही है। इससे पहले गुरेज़ केवल बर्फबारी और दुर्गम रास्तों के लिए जाना जाता था, लेकिन अब बागवानी में इसकी अलग पहचान बन रही है।
HADP Scheme से बर्फ में भी उग रहीं सब्ज़ियां (Vegetables are growing even in snow due to HADP Scheme)
दूसरी ओर, HADP (Holistic Agriculture Development Programme) ने गुरेज़ के किसानों को पॉलीहाउस (ग्रीन हाउस) की सुविधा देकर सर्दियों में भी सब्ज़ियां उगाने में सक्षम बनाया है। भारी बर्फबारी के कारण जब यह क्षेत्र बाहरी दुनिया से कट जाता है, तब भी यहां के किसान HADP Schemes के माध्यम से पालक, बंदगोभी, मटर जैसी मौसमी सब्ज़ियों की खेती कर रहे हैं।
इससे एक ओर तो स्थानीय खाद्य सुरक्षा मजबूत हुई है, दूसरी ओर किसान अब इन सब्जियों के पौधों को बेचकर स्थायी आमदनी भी कमा रहे हैं।
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता गुरेज़ (Gurez moving towards self-reliance)
MIDP और HADP Schemes के माध्यम से गुरेज़ अब बाहरी मंडियों पर निर्भर नहीं रह गया है। पहले जहां किसान बंधीपुरा बाज़ारों पर निर्भर थे, वहीं अब वे अपने उत्पाद खुद ही उगाकर स्थानीय स्तर पर बेच रहे हैं। इससे परिवहन लागत में कमी आई है और युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर भी खुले हैं।
किसानों ने इन योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि अब वे अधिक आत्मनिर्भर हुए हैं और खेती से जुड़ी गतिविधियों में उनका आत्मविश्वास और रुचि दोनों बढ़ी हैं।
HADP Scheme क्या है? (What is the HADP Scheme?)
HADP Scheme जम्मू-कश्मीर सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र को समग्र विकास की दिशा में ले जाना है। यह योजना ₹5013 करोड़ के निवेश के साथ लागू की जा रही है और इसमें 29 परियोजनाएं शामिल हैं जो कृषि, बागवानी, पशुपालन और अनुसंधान क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं।
इस योजना के तहत किसानों को वित्तीय सहायता, तकनीकी प्रशिक्षण और अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया जा रहा है। Kisan Sathi Portal, Daksh Kisan LMS, और Kisan Khidmat Ghars जैसे डिजिटल और भौतिक प्लेटफ़ॉर्म किसानों के लिए सभी सेवाएं एक जगह उपलब्ध करा रहे हैं। HADP Scheme का उद्देश्य अगले 5 वर्षों में 2.9 लाख से अधिक रोज़गार पैदा करना और 18,000 एग्री-प्रेन्योरशिप इकाइयां स्थापित करना है।
जलवायु अनुकूल खेती और नवाचार को बढ़ावा (Promoting climate-friendly farming and innovation)
MIDP और HADP Schemes न सिर्फ़ रोज़गार और उत्पादकता बढ़ा रही हैं, बल्कि ये योजनाएं जलवायु-स्थिर खेती को भी प्रोत्साहित कर रही हैं। उच्च मूल्य की फ़सलों को बढ़ावा देकर, किसानों को वैश्विक बाज़ारों तक पहुंचाने की दिशा में भी प्रयास हो रहे हैं।
सरकारी, वित्तीय और शोध संस्थानों के सहयोग से HADP Scheme एक स्थायी और आत्मनिर्भर कृषि प्रणाली की स्थापना कर रही है, जिससे जम्मू-कश्मीर का किसान अब सिर्फ़ उपभोक्ता नहीं, बल्कि नवाचार और प्रगति का केंद्र बनता जा रहा है।
निष्कर्ष (Conclusion)
गुरेज़ की घाटी में MIDP और HADP Schemes के ज़रिए हरियाली के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। जहां पहले यह क्षेत्र अलगाव, कठिन मौसम और संसाधनों की कमी से जूझता था, वहीं अब यहां के किसान सेब और सब्ज़ियों की खुशबू से अपनी पहचान बना रहे हैं। इन योजनाओं ने न केवल खेती को एक नया रूप दिया है, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन में भी स्थायित्व और समृद्धि की शुरुआत की है।
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