प्राकृतिक खेती और नई तकनीक अपनाकर राम गोपाल सिंह चंदेल बने प्रगतिशील किसान

राम गोपाल सिंह चंदेल ने प्राकृतिक खेती और खेती में नई तकनीक अपनाकर अपनी खेती को प्रगतिशील बनाया है, जो अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

प्राकृतिक खेती और खेती में नई तकनीक Natural farming and new technology in farming

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के उंचाहार ब्लॉक के बरसावां गांव में राम गोपाल सिंह चंदेल एक ऐसे किसान हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से न केवल खेती के पारंपरिक तरीकों में बदलाव लाया है, बल्कि प्राकृतिक खेती और खेती में नई तकनीक के माध्यम से एक नई कृषि क्रांति की नींव भी रखी है। उनका यह सफर अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा है, जो कृषि में सुधार की दिशा में काम कर रहे हैं।

राम गोपाल सिंह चंदेल द्वारा अपनाई गई विशिष्ट कृषि पद्धतियां (Unique agricultural practices adopted by Ram Gopal Singh Chandel)

राम गोपाल सिंह चंदेल ने अपनी खेती में विविधता लाने के लिए कई अनोखी पद्धतियों को अपनाया है। उन्होंने पारंपरिक फ़सलों के साथ-साथ बागवानी और औषधीय पौधों की खेती भी शुरू की। वे धान, गेहूं, सरसों और चना जैसी पारंपरिक फ़सलों के अलावा आंवला, आम, मौसंबी और कटहल जैसी बागवानी फ़सलों का भी सफलतापूर्वक रोपण कर रहे हैं। इसके अलावा, आलू, काले आलू, लाल पत्तागोभी, ब्रोकोली, शिमला मिर्च और टमाटर जैसी सब्ज़ियां भी उगाई जाती हैं।

राम गोपाल सिंह चंदेल ने खेती में नई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ब्राह्मी, मोरिंगा जैसे औषधीय पौधों की खेती भी शुरू की है। उन्होंने कृषि-वानिकी पद्धति को अपनाते हुए अपने खेतों में यूकेलिप्टस और सागौन के पेड़ लगाए हैं। उनका 2 हेक्टेयर खेत जैविक प्रमाणित है, जिसे उत्तर प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणन संस्थान (यूपीएसओसीए) द्वारा प्रमाणित किया गया है।

प्राकृतिक खेती का अनूठा प्रयोग (A unique experiment of natural farming)

राम गोपाल सिंह चंदेल ने कृषि में सुधार के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाया है। प्राकृतिक खेती में पोषक तत्वों के प्रबंधन के लिए वे बीजामृत, जीवामृत और घनजीवामृत का उपयोग करते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए वे नीमास्त्र और ब्रह्मास्त्र जैसे प्राकृतिक कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं।

प्राकृतिक खेती के इन उपायों ने न केवल उनकी फ़सलों की गुणवत्ता को बढ़ाया है, बल्कि उनके खेतों की मिट्टी को भी ज्यादा उर्वर और उत्पादक बना दिया है। इस प्रकार, राम गोपाल सिंह चंदेल की प्राकृतिक खेती के प्रयोग ने साबित कर दिया है कि खेती में नई तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का मिश्रण कैसे फ़ायदेमंद हो सकता है।

खेती में नई तकनीक का समावेश (Incorporation of new technology in farming)

राम गोपाल सिंह चंदेल ने अपनी खेती में नवीनतम तकनीकों का समावेश किया है। वे गेहूं की बुवाई के लिए सुपर-सीडर का उपयोग करते हैं और सीड ड्रिल के माध्यम से गेहूं की पंक्ति बुवाई की प्रथा अपनाते हैं। इसके अलावा, धान की सीधी बुवाई ड्रम सीडर के माध्यम से करते हैं, जो समय की बचत करता है और फ़सलों की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

इसके साथ ही, उन्होंने फ़सल विविधीकरण की पद्धति को अपनाया है। इस पद्धति के तहत, वे अनाज और दालों के साथ-साथ नवीनतम किस्मों और तकनीक का उपयोग करके विभिन्न प्रकार की सब्ज़ियां भी उगाते हैं। उन्होंने फ़सलों की सिंचाई के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सेट का उपयोग किया है, जो पानी की बचत के साथ-साथ फ़सलों के लिए अनुकूल जलवायु सुनिश्चित करता है।

लाभ और उपलब्धियां (Benefits and achievements)

राम गोपाल सिंह चंदेल के द्वारा अपनाए गए इन नवाचारी कृषि तरीकों के कई फ़ायदे रहे हैं। इन प्रथाओं से मिट्टी की उर्वरता में सुधार हुआ है और विभिन्न फ़सलों की उत्पादकता में वृद्धि हुई है। इससे उन्हें अधिक लाभ प्राप्त हुआ है और खेती की टिकाऊ क्षमता में भी सुधार हुआ है।

इनकी खेती से अन्य किसानों को भी लाभ मिला है। राम गोपाल सिंह चंदेल ने रायबरेली जिले के 100 से अधिक किसानों को लाभान्वित किया है और 40 से अधिक किसानों को काले गेहूं के बीज प्रदान किए हैं। इसके अलावा, उन्होंने आदर्श जीवन फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी लिमिटेड (FPO) का गठन किया है, जिसमें 1050 सदस्य हैं। इस FPO के माध्यम से राम गोपाल सिंह चंदेल किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वैज्ञानिकों की मदद से सेमिनार आयोजित कर कृषि में नई तकनीक की जानकारी दे रहे हैं।

समुदाय का योगदान और मान्यता (Community contributions and recognition)

राम गोपाल सिंह चंदेल के कृषि प्रयासों को विभिन्न मंचों पर सराहा गया है। 2018 में, उन्हें दूरदर्शन उत्तर प्रदेश के कृषि दर्शन कार्यक्रम में प्रदर्शित किया गया था। इसके अलावा, किसान सम्मान दिवस पर रायबरेली में उन्हें किसान सम्मान पुरस्कार प्राप्त हुआ। विराट किसान मेले के दौरान रायबरेली में उन्हें सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार मिला।

उनके कार्यों को और भी अधिक मान्यता मिली जब राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के उप-कुलपति ने उन्हें फार्मर्स फर्स्ट/मेरा गांव मेरा गौरव कार्यक्रम के दौरान सम्मानित किया। इसके साथ ही, FPO के गठन के लिए उन्हें डीडीएम, नाबार्ड, रायबरेली द्वारा भी सम्मानित किया गया।

निष्कर्ष (Conclusion)

राम गोपाल सिंह चंदेल की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि यदि कोई किसान अपने काम में मेहनत और समर्पण के साथ प्राकृतिक खेती और खेती में नई तकनीक को अपनाता है, तो वह न केवल अपनी आय में वृद्धि कर सकता है, बल्कि कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने में भी सहायक बन सकता है। उनके प्रयास और सफलता अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो अपनी खेती को प्रगतिशील और टिकाऊ बनाना चाहते हैं।

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