भारत के केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Home and Cooperation Minister Amit Shah) ने हाल ही में श्वेत क्रांति 2.0 (White Revolution 2.0) की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि पहली श्वेत क्रांति (White Revolution) ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना दिया, लेकिन अब समय आ गया है कि हम डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और चक्रीयता (सर्कुलरिटी) की ओर फोकस करें।
उनका मानना है कि श्वेत क्रांति 2.0 (White Revolution 2.0) का मुख्य उद्देश्य केवल प्रोडक्शन बढ़ाना नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर और दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ बनाना भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के तीन बड़े लक्ष्य (Major Goals Of Government Under The Leadership Of Prime Minister Narendra Modi)
1.भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना।
2.दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना।
3.2047 तक भारत को पूर्ण विकसित देश बनाना।
इन लक्ष्यों को पाने के लिए डेयरी क्षेत्र में संभावनाओं को पहचानना और उनका पूरा इस्तेमाल करना ज़रूरी है। इसको ध्यान में रखते हुए, देश के 250 दुग्ध उत्पादक संघों तक चक्रीयता (Circularity) से जुड़ी अच्छी प्रथाओं को आगे बढ़ाने वाली योजना बनाई गई है।
बता दें कि देश की राजधानी नई दिल्ली में भारत मंडपम में “डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और चक्रीयता पर कार्यशाला” का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ था। इस कार्यशाला का उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया।
श्वेत क्रांति 2.0 और इसकी ज़रूरत (White Revolution 2.0 And Its Need)
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कार्यशाला के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में कहा कि भारत डेयरी क्षेत्र में विश्व में अग्रणी स्थान रखता है और ये क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था, छोटे किसानों और भूमिहीन पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में डेयरी क्षेत्र को स्थिरता और चक्रीयता (Sustainability and Circularity) के नए आयामों तक ले जाने की प्लानिंग की गई है।
श्वेत क्रांति 2.0 के तहत, डेयरी क्षेत्र को न केवल उत्पादन केंद्रित बनाना है बल्कि इसमें संसाधनों की सहूलियतें, जैविक खाद और बायोगैस प्रोडक्शन जैसी चक्रीय प्रणालियों (Cyclic systems) को भी शामिल करना होगा।
कार्यशाला के प्रमुख बिंदु (Key Points Of The Workshop)
कार्यशाला के दौरान डेयरी क्षेत्र में सस्टेनिबिलिटी (Sustainability) और चक्रीयता (circularity) को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गईं-
1.मार्गदर्शिका का विमोचन: डेयरी क्षेत्र में चक्रीयता (circularity) को अपनाने के लिए विस्तृत मार्गदर्शिका जारी की गई।
2.बायोगैस परियोजनाओं का शुभारंभ: राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की लघु, वृहद और संपीड़ित बायोगैस परियोजनाओं (Small, Large and Compressed Biogas Projects) को वित्तीय सहायता देने की योजनाएं शुरू की गईं।
3.समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर: डेयरी क्षेत्र में स्थिरता के लिए एनडीडीबी और नाबार्ड के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा, 15 राज्यों के 26 दुग्ध संघों ने भी बायोगैस संयंत्रों की स्थापना के लिए समझौते किए।
ग्रामीण पलायन को रोकने में डेयरी क्षेत्र की भूमिका (Role Of Dairy Sector In Preventing Rural Migration)
भारत की कृषि व्यवस्था छोटे किसानों पर आधारित है और उनके पलायन को रोकने के लिए डेयरी उद्योग एक महत्वपूर्ण विकल्प बन सकता है। अमित शाह ने कहा कि अगर ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी उत्पादन और प्रोसेसिंग सुविधाओं का विस्तार किया जाए, तो इससे छोटे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और वे शहरों की ओर पलायन करने से बचेंगे।
उन्होंने ये भी कहा कि इस दिशा में सही दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है, ताकि सीमांत किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। डेयरी क्षेत्र की सभी संभावनाओं का दोहन करने के लिए इस तरह की वर्कशॉप काफा ज़्यादा उपयोगी साबित होंगी।
डेयरी क्षेत्र और चक्रीय अर्थव्यवस्था (Dairy Sector And Circular Economy)
अमित शाह ने बताया कि डेयरी क्षेत्र को अधिक लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) को अपनाना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 53 करोड़ पशुधन में से 30 करोड़ गाय और भैंस हैं, जिससे बड़ी मात्रा में गोबर उपलब्ध होता है। इस गोबर का उपयोग जैविक खाद, जैव ईंधन और ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जा सकता है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को निजी डेयरियों की बजाय सहकारी डेयरियों से जोड़ा जाए और सहकारी डेयरियों द्वारा उनके गोबर का प्रबंधन किया जाए। इससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी और कृषि क्षेत्र में स्थिरता आएगी।
स्थानीय उत्पादन और तकनीकी आत्मनिर्भरता (Local Production And Technological Self-Sufficiency)
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने इस बात पर जोर दिया कि डेयरी क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली सभी मशीनें, जैसे फैट मापक उपकरण (Fat Measuring Device) और अन्य प्रोसेसिंग मशीनें, भारत में ही बननी चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने कार्बन क्रेडिट को सहकारी मॉडल का हिस्सा बनाने और वैज्ञानिक तरीकों से इसे किसानों तक पहुंचाने की जरूरत पर बल दिया।
महिलाओं का सशक्तिकरण और रोज़गार (Women Empowerment And Employment)
कार्यशाला में इस बात पर भी जोर दिया गया कि सहकारी डेयरी क्षेत्र महिलाओं को रोज़गार उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अभी, 72 फीसदी महिलाएं इस क्षेत्र में कार्यरत हैं, जिससे उनका आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण हो रहा है।
पर्यावरण संरक्षण और नवाचार (Environmental Protection And Innovation)
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि डेयरी क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बायोगैस और जैविक खाद उत्पादन के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है और इससे किसानों को वित्तीय लाभ भी मिलेगा।
अमित शाह ने ये भी कहा कि डेयरी क्षेत्र में उपयोग होने वाली मशीनों, जैसे कि फैट मापने की मशीनें, भारत में ही निर्मित होनी चाहिए ताकि आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा मिले। उन्होंने सुझाव दिया कि सहकारी समितियों को माइक्रो एटीएम मॉडल अपनाना चाहिए, जिससे किसानों को उनके भुगतान आसानी से मिल सकें।
राष्ट्रीय स्तर पर डेयरी क्षेत्र का विस्तार (Expansion Of Dairy Sector At The National Level)
उन्होने कहा कि वर्तमान में 23 राज्य स्तरीय दुग्ध संघ हैं, लेकिन हमें इसे हर राज्य में लागू करने की योजना बनानी चाहिए। उन्होंने श्वेत क्रांति 2.0 के तहत 80 प्रतिशत ज़िलों में दुग्ध संघ बनाने और मार्केटिंग डेयरियों की संख्या को तीन गुना करने का लक्ष्य रखा। उन्होंने कहा कि हमें 16 करोड़ टन गोबर को सहकारी समितियों के माध्यम से इकट्ठा करने और किसानों को इसका सीधा लाभ पहुँचाने का प्रयास करना चाहिए।
नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं और डेयरी किसानों का एक मंच (Platform Of Policy Makers, Industry Leaders And Dairy Farmers)
कार्यशाला के समापन सत्र में विभिन्न हितधारकों ने अपने विचार साझा किए। इस दौरान डेयरी क्षेत्र में चक्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, नवाचार को अपनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए ठोस रणनीतियों पर चर्चा की गई।
इस कार्यशाला ने नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं और डेयरी किसानों को एक मंच पर लाकर उनके समक्ष आ रही चुनौतियों और उनके समाधान पर चर्चा करने का अवसर प्रदान किया। यह पहल न केवल डेयरी उद्योग को अधिक टिकाऊ और समृद्ध बनाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि भारत के 2047 तक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा में भी सहायक होगी।
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