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वन्दना शर्मा भारत में कृषि परंपराओं और तकनीकी नवाचारों के बीच संतुलन बनाने वाले किसानों में अग्रणी नाम है। अपनी यात्रा में, वन्दना शर्मा जैविक खेती में न केवल नवाचार किए बल्कि कई किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का सपना भी देखा और साकार किया। उनकी पहलें एक मिसाल बन चुकी हैं, खासकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और दिल्ली में जहां वे किसानों के साथ मिलकर खेती को लाभकारी व्यवसाय में बदल रही हैं।
वन्दना शर्मा की विशेष पहल: जैविक खेती का भविष्य
वन्दना शर्मा ने खेती के क्षेत्र में जो काम किया है, वह एक सशक्त मॉडल के रूप में उभर कर सामने आया है। उनकी पहलें विशेष हैं, क्योंकि उन्होंने आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी को पारंपरिक कृषि के साथ जोड़ा है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके और पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा मिले।
बायोटेक्नोलॉजी लैब “ऑक्सिफ्लोरा”
वन्दना शर्मा की बायोटेक्नोलॉजी लैब “ऑक्सिफ्लोरा” कृषि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। यह लैब हर साल 25 लाख पौधों का उत्पादन करने की क्षमता रखती है और विभिन्न प्रकार की हाइब्रिड किस्में तैयार करती है। इन किस्मों को किसानों को किफायती दरों पर उपलब्ध कराया जाता है, जिससे उनकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार हो। वन्दना का मानना है कि जब किसान उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करते हैं, तो उन्हें न केवल अधिक उत्पादन प्राप्त होता है, बल्कि बाजार में भी उनकी फसल की बेहतर कीमत मिलती है।
विशेष परियोजनाएं: आलू और ब्लूबेरी की खेती
वन्दना शर्मा की लैब आलू और ब्लूबेरी की उन्नत खेती पर विशेष ध्यान देती है। उन्होंने आलू की एयरोपोनिक तकनीक को अपनाया है, जिससे कम जल संसाधनों का उपयोग करते हुए भी बेहतर उत्पादन हो सके। एयरोपोनिक्स एक ऐसी तकनीक है जिसमें पौधों की जड़ें हवा में लटकी रहती हैं और आवश्यक पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है। इससे पौधों की वृद्धि तेज होती है और पैदावार बढ़ती है।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
ब्लूबेरी की खेती के लिए वन्दना ने एक “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” स्थापित किया है। यह विशेष रूप से उन किसानों के लिए लाभकारी है जो फलों की खेती को व्यावसायिक स्तर पर अपनाना चाहते हैं। ब्लूबेरी एक विदेशी फल है, और इसकी खेती से किसानों को अच्छा लाभ हो सकता है। वन्दना का कहना है कि उत्तर प्रदेश में ब्लूबेरी की मांग बढ़ रही है, और यह किसानों के लिए आय के नए स्रोत खोल सकती है।
चंदन और सागौन की खेती: भविष्य के लिए निवेश
वन्दना शर्मा ने किसानों को चंदन और सागौन जैसे मूल्यवान पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया है। चंदन का पेड़ विशेष रूप से आर्थिक दृष्टि से बहुत लाभकारी होता है, क्योंकि इसकी लकड़ी उच्च दामों पर बिकती है। वन्दना का कहना है कि जो किसान तुरंत खेती नहीं कर सकते, वे अपनी भूमि पर चंदन या सागौन के पेड़ लगाकर भविष्य में एक सुरक्षित आय का साधन बना सकते हैं। यह पेड़ एक फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह होते हैं, जो समय के साथ मूल्यवान बनते जाते हैं।
किसानों के साथ प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता
वन्दना की पहलें केवल पौधों की आपूर्ति तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए हैं, जिसमें उन्हें जैविक खेती के तरीकों और बायोटेक्नोलॉजी के महत्व के बारे में सिखाया जाता है। उनकी टीम किसानों को यह भी सिखाती है कि कैसे वे अपने खेतों में बिना रसायनों का उपयोग किए फसल उगा सकते हैं। इसके लिए उन्होंने जीवामृत और बीजामृत जैसे प्राकृतिक खाद तैयार करने की विधियां भी बताई हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं।
किसानों के लिए मजबूत सहयोग
वन्दना शर्मा ने केंद्र और राज्य सरकारों के साथ तालमेल बिठाकर किसानों को सब्सिडी पर पौधे उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। उनकी यह पहल किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है, क्योंकि इससे उनकी उत्पादन लागत कम हो जाती है। जिला उद्यान कार्यालय (District Horticulture Office) के माध्यम से वन्दना और उनकी टीम किसानों तक पहुंचती है और उन्हें खेती की उन्नत तकनीकों के बारे में जानकारी देती है।
राज्य और केंद्रीय सरकारों के साथ समन्वय
वन्दना शर्मा की कोशिशें सिर्फ पौधों के उत्पादन तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने राज्य और केंद्रीय सरकारों के साथ समन्वय स्थापित किया है, ताकि किसानों को सब्सिडी पर पौधे मिल सकें। उनकी पहलें खासतौर पर उन किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही हैं, जिनके पास कृषि योग्य भूमि तो है लेकिन संसाधनों की कमी के कारण खेती नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने चंदन और सागौन के पेड़ लगवाने का भी अभियान शुरू किया है, जो किसानों के लिए भविष्य में एक एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) की तरह कार्य करेगा। यह वृक्षारोपण न केवल आर्थिक सुरक्षा देता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक है।
जैविक खेती में वन्दना की राह
वन्दना की राह आसान नहीं रही। जैविक खेती की चुनौतियों को देखते हुए उन्होंने बायोटेक्नोलॉजी और आधुनिक खेती की विधियों का सहारा लिया। उनकी टीम ने किसानों को प्रशिक्षण देना शुरू किया, ताकि वे नई तकनीकों को अपनाकर अपनी फसल की पैदावार और गुणवत्ता बढ़ा सकें। इसके लिए उन्होंने जिला उद्यान कार्यालयों के माध्यम से किसानों से संपर्क साधा और अपनी सेवाओं का विस्तार किया। वे किसानों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करती हैं कि वे अपने खेतों में नई किस्मों की पैदावार करें और अपनी खेती को और लाभकारी बनाएं।
जैविक खेती का भविष्य और वन्दना की सोच
आने वाले वर्षों में जैविक खेती का क्षेत्र तेजी से विस्तार करेगा। जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों की कमी को ध्यान में रखते हुए, जैविक खेती एक स्थायी समाधान के रूप में उभर रही है। जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए, किसानों के पास न केवल आर्थिक लाभ उठाने का अवसर है बल्कि स्वास्थ्यवर्धक और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित कृषि प्रणालियों को अपनाने का भी विकल्प है। वन्दना का लक्ष्य है कि किसानों को उन्नत बीज और नई तकनीकों से अवगत कराया जाए, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो और खेती को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सके।
वन्दना शर्मा जैसी किसानों की लगन और मेहनत भारत की कृषि व्यवस्था को एक नई दिशा दे रही है। उनकी सोच, “खेती को एक स्थायी और लाभकारी व्यवसाय बनाना,” आज हजारों किसानों के लिए प्रेरणा बन चुकी है। उनकी बायोटेक्नोलॉजी लैब से निकलने वाले पौधे और प्रशिक्षण सत्र किसानों को सशक्त बना रहे हैं, और उनकी हरित क्रांति का सपना अब साकार होता दिख रहा है।