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आज की तेजी से बदलती दुनिया में, कृषि के क्षेत्र में नवाचार और स्थिरता का विशेष महत्व है। रासायनिक खेती के बढ़ते दुष्प्रभावों को देखते हुए, अधिक से अधिक किसान अब जैविक खेती और प्राकृतिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। यह परिवर्तन न केवल मिट्टी की गुणवत्ता और पर्यावरण को सुरक्षित रखता है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक खाद्य सामग्री प्रदान करता है।
इसी दिशा में एक उल्लेखनीय नाम है, जो अपने अनूठे तरीकों और समर्पण के साथ जैविक खेती (Organic Farming) को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। आइए, जानते हैं उनकी कहानी और उनके द्वारा अपनाई गई विशेष तकनीकों के बारे में, जो न केवल कृषि को बेहतर बना रही हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रही हैं।
प्रकाश नारायण का परिचय (Introduction)
प्रकाश नारायण, उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के किसान हैं, जो अपने अनुभव और जैविक खेती प्रयासों के लिए जाने जाते हैं। खेती के क्षेत्र में नए प्रयोगों और आधुनिक तरीकों को अपनाने के बावजूद, उन्होंने अपने परिवार की पारंपरिक खेती से प्रेरणा ली और अपनी खेती में जैविक और प्राकृतिक तरीकों को शामिल किया।
प्रकाश की कृषि भूमि पर विविध प्रकार की फ़सलें उगाई जाती हैं। एक एकड़ की इस भूमि में उन्होंने हाल ही में धनिया और मैथी जैसी मौसमी फ़सलें उगाई हैं। इससे पहले, वे फूलों की खेती भी करते थे, हालांकि स्थानीय बाज़ार में मांग कम होने के कारण उन्होंने इसे बंद कर दिया। इसके अलावा, वे मछली पालन में भी हाथ आजमा चुके हैं, हालांकि मिट्टी की गुणवत्ता और अन्य चुनौतियों के कारण इसे भी रोकना पड़ा। फिर भी, उनके प्रयास और मेहनत कृषि के क्षेत्र में उनकी दृढ़ता और नवाचार को प्रदर्शित करते हैं।
क्या बनाता है प्रकाश नारायण की खेती को अनोखा? (What makes Prakash Narayan’s farming unique?)
प्रकाश नारायण की खेती का सबसे अनोखा पहलू है उनकी पूरी तरह से प्राकृतिक खेती पद्धति। वे बाज़ार से किसी प्रकार के रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक नहीं खरीदते। इसके बजाय, वे अपनी गायों से प्राप्त गोबर और गोमूत्र का उपयोग कर जैविक खाद और जीवामृत तैयार करते हैं। उनका मानना है कि प्राकृतिक खेती न केवल फ़सल की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। उनकी फ़सलें स्वादिष्ट, पौष्टिक और दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ होती हैं।
प्रकाश के अनुसार, जैविक खेती (Organic Farming) से उत्पादित फ़सलें बाज़ार में रासायनिक खेती से अधिक मूल्य प्राप्त करती हैं। हालांकि, पूरी तरह से जैविक पद्धति अपनाने में कुछ चुनौतियां आती हैं, जैसे जैविक बीजों की उपलब्धता। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मछली पालन में चुनौतियां थीं, क्योंकि मिट्टी की गुणवत्ता मछली की वृद्धि के लिए उपयुक्त नहीं थी। इसके बावजूद, उन्होंने स्थानीय स्तर पर मछली वितरण जारी रखा।
चुनौतियां और समाधान (Challenges and Solutions)
नई तकनीकों और प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाने में प्रकाश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी समस्या थी जैविक उत्पादों और बीजों की उपलब्धता। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली योजनाओं और लाभों के बावजूद, उन्हें तुलसी की खेती के लिए उचित सहायता नहीं मिली। सरकारी योजनाओं में जागरूकता और उचित जानकारी की कमी भी एक बड़ी समस्या रही है।
प्रकाश का कहना है कि यदि सरकार बेहतर तरीके से किसानों तक पहुंच बनाए और योजनाओं की सुलभता बढ़ाए, तो खेती का स्तर और उन्नत हो सकता है। उन्होंने अपने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की कमी पर भी प्रकाश डाला, जिससे किसानों को उनकी फ़सल की अधिकतम उपज प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
भविष्य की योजनाएं और उम्मीदें (Future plans and hopes)
प्रकाश नारायण अपनी खेती को और अधिक उन्नत बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि सरकार और स्थानीय संस्थान जैविक खेती (Organic Farming) को और प्रोत्साहन दें और किसानों को आवश्यक संसाधन और प्रशिक्षण प्रदान करें। वे मानते हैं कि यदि सही मार्गदर्शन और समर्थन मिले, तो उनकी खेती का मॉडल अन्य किसानों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।
सरकारी योजनाओं से संभावित लाभ (Potential benefits from government schemes)
जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चलाती है, जैसे कि परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)। यदि प्रकाश जैसे किसान इन योजनाओं का लाभ उठाते हैं, तो उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों का ज्ञान और आर्थिक सहायता प्राप्त हो सकती है। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी, बल्कि जैविक खेती (Organic Farming) की दिशा में उनकी कोशिशें और भी सफल होंगी।
निष्कर्ष (Conclusion)
प्रकाश नारायण की कहानी इस बात का प्रतीक है कि यदि लगन और मेहनत हो, तो कठिनाइयों के बावजूद सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी कृषि यात्रा से सीखने के लिए बहुत कुछ है और यह अन्य किसानों को भी प्रेरित करती है कि वे जैविक खेती (Organic Farming) की ओर कदम बढ़ाएं और एक स्वस्थ और टिकाऊ कृषि प्रणाली की ओर अग्रसर हों।
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