राकेश प्रसाद के जैविक खेती का सफर है स्वास्थ्य, पर्यावरण और कृषि नवाचार की मिसाल

राकेश प्रसाद दुबे ने 11-15 एकड़ जमीन पर जैविक खेती की शुरुआत की। शुरुआत में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें सफल बना दिया। जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता, इसके बदले में प्राकृतिक खाद जैसे गोबर खाद, जैविक कीटनाशक, और वर्मी कंपोस्ट का उपयोग किया जाता है। उन्होंने इस तकनीक को न केवल अपनाया, बल्कि इसे बेहतर बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

राकेश प्रसाद के जैविक खेती का सफर है स्वास्थ्य, पर्यावरण और कृषि नवाचार की मिसाल

राकेश प्रसाद दुबे, उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के एक समर्पित किसान हैं, जिन्होंने 2014 में एक खास मकसद से जैविक खेती (Organic Farming) शुरू की। उनके परिवार में कैंसर के कुछ मामले सामने आए, जिससे उनकी सोच में बदलाव आया और उन्होंने रसायन-मुक्त, स्वच्छ कृषि पद्धति अपनाने का फैसला किया।

राकेश जी ने न केवल अपने परिवार की सेहत को सुरक्षित रखने के लिए जैविक खेती शुरू की, बल्कि इसके जरिए समाज के अन्य किसानों के लिए भी एक मिसाल बने। आज, उनका कार्य न केवल उनके परिवार बल्कि उनके आस-पास के सभी किसानों के लिए एक प्रेरणा है।

जैविक खेती की दिशा में कदम 

राकेश प्रसाद दुबे ने 11-15 एकड़ जमीन पर जैविक खेती (Organic Farming) की शुरुआत की। शुरुआत में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें सफल बना दिया। जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता, इसके बदले में प्राकृतिक खाद जैसे गोबर खाद, जैविक कीटनाशक, और वर्मी कंपोस्ट का उपयोग किया जाता है। उन्होंने इस तकनीक को न केवल अपनाया, बल्कि इसे बेहतर बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जैविक खेती का लाभ और स्वास्थ्य पर प्रभाव 

राकेश जी का मानना है कि जैविक खेती (Organic Farming) न केवल फसल की गुणवत्ता को बढ़ाती है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी अनगिनत हैं। रासायनिक खेती में प्रयुक्त कीटनाशक और उर्वरक सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। इसीलिए राकेश जी ने जैविक खेती को प्राथमिकता दी।

उनके अनुसार, इस पद्धति से उगाई गई सब्जियां और अनाज न केवल सेहतमंद होते हैं, बल्कि इनका स्वाद और पौष्टिकता भी अधिक होती है। उनके परिवार में जैविक आहार का सेवन करने के बाद से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में काफी कमी आई है।

जैविक खेती के माध्यम से अन्य किसानों को प्रशिक्षण 

राकेश प्रसाद दुबे अपने अनुभवों को अन्य किसानों के साथ साझा करते हैं और उन्हें जैविक खेती के फायदों के बारे में जागरूक करते हैं। उनकी यह पहल किसानों को जैविक खेती (Organic Farming) की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है। राकेश जी के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से अन्य किसानों को भी इस विधि की तकनीकी जानकारी प्राप्त हो रही है।

वह न केवल प्रशिक्षण देते हैं बल्कि उन्हें जैविक खेती से संबंधित तकनीकी जानकारी भी प्रदान करते हैं ताकि वे अपनी जमीन पर इसका सफलतापूर्वक उपयोग कर सकें।

 सम्मान और पुरस्कार 

राकेश जी को जैविक खेती (Organic Farming) में उत्कृष्ट योगदान के लिए विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें कई सरकारी संस्थानों जैसे कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), मसोधा और जिलाधिकारी द्वारा विभिन्न पुरस्कार दिए गए हैं। उनका योगदान न केवल उनके गांव बल्कि अयोध्या जिले के अन्य क्षेत्रों में भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक है। उनकी इस उपलब्धि ने अन्य किसानों को भी जैविक खेती के क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रोत्साहित किया है।

जैविक खेती और भविष्य की संभावनाएं 

भारत में जैविक खेती (Organic Farming) का भविष्य उज्ज्वल दिखता है। जैविक उत्पादों की मांग बाजार में तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि उपभोक्ता अब स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं। राकेश प्रसाद दुबे जैसे किसान इस बदलाव के प्रमुख प्रेरक हैं।

सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी प्रदान कर रही है, ताकि अधिक किसान इस पद्धति को अपनाकर अपने स्वास्थ्य और भूमि की गुणवत्ता में सुधार ला सकें।

जैविक खेती में सरकारी पहल 

हालांकि राकेश जी ने अभी तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया है, लेकिन भारतीय सरकार ने किसानों के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन (NMSA) हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहन देना और उन्हें सब्सिडी के माध्यम से सहायता प्रदान करना है।

कृषि विज्ञान केंद्र की जानकारी 

इसके अलावा, कृषि विज्ञान केंद्र और अन्य सरकारी संस्थान भी किसानों को जैविक खेती की तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं। 

जमीन का उपयोग स्वास्थ्य और पर्यावरण

राकेश प्रसाद दुबे की यात्रा एक उदाहरण है कि कैसे एक किसान अपनी जमीन का उपयोग स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कर सकता है। उनकी जैविक खेती का मॉडल न केवल अयोध्या जिले के किसानों के लिए बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

जैविक खेती और भारतीय कृषि

उनके प्रयासों से यह सिद्ध होता है कि जैविक खेती अपनाकर किसान न केवल अपने परिवार की सेहत को सुरक्षित रख सकते हैं बल्कि अपने कृषि उत्पादों के माध्यम से समाज को भी स्वस्थ रख सकते हैं। जैविक खेती के प्रति उनका समर्पण और योगदान भारतीय कृषि में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। 

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