मिट्टी से सोना उगाने वाले चरणजीत सिंह: वो प्रगतिशील किसान जिसने खेती को बनाया करोड़ों का व्यवसाय!

चरणजीत सिंह (Progressive farmer of Uttarakhand) ने अपने खेत को एक स्वावलंबी इकाई (self supporting unit) के रूप में डेपलप किया है। उनके फार्म पर आपको हर तरह की गतिविधियां एक साथ चलती दिखेंगी।

मिट्टी से सोना उगाने वाले चरणजीत सिंह: वो प्रगतिशील किसान जिसने खेती को बनाया करोड़ों का व्यवसाय!

उधम सिंह नगर ज़िले (Udham Singh Nagar) के करघटिया गांव के रहने वाले 51 साल के चरणजीत सिंह (Progressive farmer of Uttarakhand) आज पूरे क्षेत्र में एक मिसाल बन चुके हैं। अपने 25 एकड़ के खेत में वो न सिर्फ पारंपरिक फसलें उगाते हैं, बल्कि कृषि वानिकी, डेयरी और सब्जी उत्पादन के ज़रिए सालाना 25-30 लाख रुपये कमा रहे हैं। उनकी इस सफलता के पीछे है आधुनिक तकनीकों को अपनाने का ज़ज़्बा और लगातार प्रयोग करने की ललक। 

समग्र खेती: प्रकृति के साथ तालमेल

  • चरणजीत (charanjit singh) ने अपने खेत को एक स्वावलंबी इकाई (self supporting unit) के रूप में डेपलप किया है। उनके फार्म पर आपको हर तरह की गतिविधियां एक साथ चलती दिखेंगी।
  • एक तरफ जहां 1 बीघा जमीन पर किचन गार्डन से ताजी सब्जियां मिलती हैं, वहीं कई गाय-भैंसों से रोजाना 10 से 15   लीटर दूध का उत्पादन होता है। 
  • उन्हें हर महीने लगभग 50,000 रुपये की अतिरिक्त आमदनी होती है।

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फसल प्रबंधन: हर इंच ज़मीन का पूरा इस्तेमाल 

1. चरणजीत की खेती (Progressive farmer of Uttarakhand) में वैरायटी देखने लायक है। वो धान की खेती के लिए Direct Seeded Rice (DSR) तकनीक का इस्तेमाल  करते हैं जिससे 40 फीसदी पानी की बचत होती है। 

2. 15 एकड़ में लगाए गए धान से उन्हें प्रति एकड़ 22-25 क्विंटल उत्पादन मिलता है। 

3. गेहूं की खेती में तो उन्होंने कमाल कर दिखाया है – 28-30 क्विंटल प्रति एकड़ का उत्पादन। सरसों, मटर और मसूर जैसी दलहनी फसलों से भी अच्छी आमदनी होती है।

फ़सल बुवाई का पारंपरिक समय बदल कर लाखों का उत्पादन 

ख़ास बात ये है कि उन्होंने मसूर की बुवाई का पारंपरिक समय बदल दिया। जहां आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में मसूर बोई जाती है, वहीं चरणजीत ने 11 जनवरी को बुवाई करके 1.10 क्विंटल प्रति बीघा का अच्छा उत्पादन प्राप्त किया।

 हरा सोना: वृक्षारोपण से लॉन्ग टर्म इनकम 

चरणजीत ने खेतों की मेड़ों पर 2000 यूकेलिप्टस के पेड़ लगाए हैं जो 6-7 साल में तैयार हो जाते हैं। इनसे उन्हें 60-80 लाख रुपये तक की आय की उम्मीद है।

इसके अलावा 50 महोगनी के पेड़ भी लगाए हैं जो 12-15 साल में तैयार होंगे और प्रति पेड़ 50,000 से 1,00,000 रुपये तक का मूल्य प्राप्त होगा। ये उनके भविष्य के लिए एक सुरक्षित निवेश है। महोगना की लकड़ी इमारतें बनाने और ज़हाज़ बनाने के काम आती हैं। 

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 जल संरक्षण: बूंद-बूंद का इस्तेमाल

  • चरणजीत ने जल संरक्षण पर ख़ास ध्यान दिया। 10 एकड़ में स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली लगाकर उन्होंने 50 फीसदी पानी की बचत की है। 
  • अपने खेतों में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम (Drip Irrigation System) लगाया गया है।  ये व्यवस्था न सिंचाई में मदद करती है 

आर्थिक सफलता: कैसे होती है इतनी आमदनी?

चरणजीत के अलग-अलग आय स्रोतों पर नजर डालें तो पता चलता है कि धान से लगभग 5 लाख, गेहूं से 9 लाख, सरसों से 2 लाख, मटर से 2 लाख और मसूर से 60,000 रुपये की आय होती है।

डेयरी उत्पादों से 3.6 लाख और किचन गार्डन से 1.2 लाख रुपये अतिरिक्त आमदनी होती है। ये सब मिलाकर उनकी कुल सालाना आय 24-25 लाख रुपये तक पहुंच जाती है। ये तो सिर्फ मुख्य आय स्रोतों का हिसाब है।

मिट्टी से सोना उगाने वाले चरणजीत सिंह: वो प्रगतिशील किसान जिसने खेती को बनाया करोड़ों का व्यवसाय!

मिट्टी से जुड़े रहने का संदेश

चरणजीत सिंह की कहानी साबित करती है कि खेती में नवाचार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Innovation and Scientific Approach in Farming) अपनाकर किसान समृद्धि की नई इबारत लिख सकते हैं।

चरणजीत सिंह का मानना है कि “लोग पारंपरिक सोच से बाहर निकले, नए तरीके सीखें और मेहनत से कभी पीछे न हटें।”

उनकी इस सफलता ने पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए एक नई राह खोल दी है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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