आज के वक्त में फसल कटाई के बाद प्रबंधन (Post-Harvest Management) होना महत्वपूर्ण होता जा रहा है। क्योंकि कि किसान अनाज की कम बर्बादी और अपने मुनाफे (Reducing Wastage and Increasing Profits) को दोगुना और तीन गुना बढ़कर मुनाफा बढ़ाने पर काम कर रहा है। पिछले दो दशकों में, भारत की खाद्य प्रणाली (India’s food system ) में उल्लेखनीय बदलाव आया है।
अनाज और दालों की मांग में कमी देखी जा रही है, जबकि बढ़ती आय, शहरीकरण और महिला श्रम शक्ति भागीदारी के कारण बागवानी और पशुधन उत्पादों की मांग बढ़ रही है। हालांकि, इस परिवर्तन से किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिला है, जिससे ग्रामीण-शहरी विभाजन बढ़ गया है।
खेत स्तर पर भंडारण सुविधाओं, परिवहन और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों (Transportation and food processing units) की कमी, विशेष रूप से जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं के मामले में मूल्य श्रृंखलाओं (value chains) को प्रभावित कर रही है। परिणामस्वरूप, किसानों को थोक विक्रेताओं, प्रसंस्करणकर्ताओं और खुदरा विक्रेताओं (Wholesalers, processors and retailers) की तुलना में अधिक नुकसान उठाना पड़ता है।
भारत में कृषि क्षेत्र की वर्तमान स्थिति (Current Status Of Agriculture Sector In India)
सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (Prime Minister Kisan Samman Nidhi), राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Prime Minister’s Agricultural Irrigation Scheme) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Prime Minister Crop Insurance Scheme)। 2016 में, भारत सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य भी रखा था। लेकिन नीतिगत प्रयासों के बावजूद, कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2014-15 से 2018-19 के दौरान मात्र 2.9% रही।
भारत में अधिकांश किसान कम आय के दायरे में फंसे हुए हैं। 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार, सीमांत भूमि वाले लगभग 68% किसानों की वार्षिक आय मात्र 33,636 रूपये थी, जो प्रति माह लगभग 2,803 रूपये होती है। इसके अलावा, 2014 से 2016 के बीच कृषि राजस्व में प्रति वर्ष 6% की गिरावट देखी गई। सार्वजनिक निवेश की कमी, तकनीकी प्रगति की धीमी गति, और खंडित कृषि बाजार जैसे कारक किसानों की आय में कमी के प्रमुख कारणों में शामिल हैं।
कटाई के बाद के प्रबंधन (PHM) का महत्व (Importance of Post Harvest Management (PHM))
कृषि उत्पादों की कटाई के बाद, उन्हें उपभोक्ताओं तक पहुंचने से पहले कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, जिनमें कटाई के बाद के संचालन, हैंडलिंग और भंडारण शामिल हैं। कटाई के बाद होने वाले नुकसान किसानों की आय को सीधे प्रभावित करते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के 2016 के अध्ययन के अनुसार, कटाई और भंडारण के दौरान:
- 3.9% से 6% अनाज
- 4.3% से 6.1% दालें
- 2.8% से 10.1% तिलहन
- 5.8% से 18.1% फल
- 6.9% से 13% सब्जियां
नष्ट हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त, किसानों की आय दोगुनी करने की समिति (2019) के अनुसार, भारत में उत्पादित कुल फलों और सब्जियों का लगभग 40 फीसगी किसान बेच नहीं पाते, जिससे उन्हें हर साल लगभग 63,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
PHM और किसानों के लाभ (Benefits of PHM And Farmers)
कटाई के बाद का प्रबंधन केवल नुकसान कम करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों को अधिक मोलभाव करने की शक्ति भी देता है। PHM के माध्यम से:
1.बाजार में सही समय पर बिक्री: किसान उपज का सही समय पर भंडारण कर सकते हैं और जब बाजार में कीमतें अधिक हों, तब उसे बेच सकते हैं।
2.बेहतर गुणवत्ता बनाए रखना: अनाज, दालें और फल-सब्जियों की गुणवत्ता बनाए रखी जा सकती है, जिससे उत्पाद की कीमत बढ़ती है।
3.मूल्य श्रृंखला में सुधार: किसान बिचौलियों पर निर्भरता कम कर सकते हैं और प्रत्यक्ष विक्रय से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
TARINA और PHM का प्रभाव (Effect of TARINA and PHM)
टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट की प्रमुख परियोजना TARINA (Technical Assistance and Research for Indian Nutrition and Agriculture) के अंतर्गत बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में कटाई के बाद के हस्तक्षेपों को लागू किया गया। इस परियोजना का उद्देश्य केवल खाद्य नुकसान को कम करना नहीं था, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना भी था।
PHM तकनीकों का प्रभाव (Impact of PHM techniques)
TARINA के अंतर्गत:
1.किसानों को अनाज की सफाई, धूप में सुखाने और भंडारण की सर्वोत्तम विधियों पर प्रशिक्षण दिया गया।
2.मल्टीग्रेन थ्रेशर और सर्पिल ग्रेडर जैसी मशीनें वितरित की गईं, जिससे उपज की गुणवत्ता बढ़ी।
3.नमी मीटर, धातु भंडारण डिब्बे और सौर ड्रायर जैसे 13 प्रकार के उपकरण उपलब्ध कराए गए।
4.इन प्रयासों से किसानों को अपनी उपज का अधिकतम मूल्य प्राप्त करने में मदद मिली।
PHM और किसानों की आर्थिक स्थिति (PHM And The Economic Condition Of Farmers)
PHM के अंतर्गत भंडारण हानि को कम करने से किसानों की आय में बढ़ोतरी देखी गई। शोध में पाया गया कि गेहूं, अरहर और आलू जैसी फसलों में PHM अपनाने वाले किसानों को बेहतर कीमत प्राप्त हुई। प्रति व्यक्ति मासिक व्यय में PHM के कारण ₹317 की वृद्धि देखी गई, जो पाँच लोगों के औसत परिवार के लिए ₹1,600 मासिक अतिरिक्त आय के बराबर थी।
भविष्य के लिए रणनीतियां (Strategies For The Future)
कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
1.भंडारण सुविधाओं में निवेश: किसानों के लिए सस्ते और टिकाऊ भंडारण विकल्प विकसित करना।
2.तकनीकी शिक्षा और जागरूकता: किसानों को आधुनिक PHM तकनीकों के बारे में जागरूक करना।
3.डिजिटल मार्केटिंग और ई-नाम: किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़कर सीधा उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के प्रयास।
4.सरकार द्वारा अधिक समर्थन: PHM तकनीकों को अपनाने के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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