Backyard Poultry Farming: बैकयार्ड पोल्ट्री फ़ार्मिंग से आदिवासी समुदायों के जीवन में आ रहा बदलाव

बैकयार्ड पोल्ट्री फ़ार्मिंग (Backyard Poultry Farming) से आदिवासी परिवारों को आजीविका और पोषण सुरक्षा मिल रही है, साथ ही पारंपरिक पोल्ट्री नस्लों का सुधार हो रहा है।

Backyard Poultry Farming बैकयार्ड पोल्ट्री फ़ार्मिंग

आजकल, भारत के आदिवासी क्षेत्रों में पारंपरिक पोल्ट्री फ़ार्मिंग (Backyard Poultry Farming) एक प्रमुख आजीविका का स्रोत बन चुकी है। जहां एक ओर यह आदिवासी परिवारों के लिए आर्थिक सहायता का एक महत्वपूर्ण जरिया है, वहीं दूसरी ओर यह उनकी पोषण सुरक्षा को भी सशक्त बना रही है। पारंपरिक पोल्ट्री फ़ार्मिंग से आदिवासी परिवारों को आहार में ज़रूरी प्रोटीन मिल रहा है, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर हो रहा है।

लेकिन, हाल के वर्षों में, जब पारंपरिक पोल्ट्री की नस्लों में कमी आई, तब इसे सुधारने के लिए कुछ कदम उठाए गए। खासकर, जब हाइब्रिड पोल्ट्री बर्ड्स की खेती आदिवासी किसानों में प्रचलित हुई। इनमें से एक सफल प्रयोग था ‘प्रतापधन’ पोल्ट्री नस्ल का आदिवासी किसानों में परिचय कराना।

आदिवासी किसानों के लिए ‘प्रतापधन’ पोल्ट्री की शुरुआत (‘Pratapdhan’ poultry started for tribal farmers) 

भारत सरकार और कृषि विभाग ने आदिवासी क्षेत्रों के किसानों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए 200 आदिवासी किसानों को 6 हफ्ते की उम्र के 20 ‘प्रतापधन’ पोल्ट्री बर्ड्स दिए। इस योजना के तहत, आदिवासी किसानों को पोल्ट्री पालन की प्रक्रिया और इस नस्ल की देखभाल के बारे में प्रशिक्षण दिया गया।

‘प्रतापधन’ नस्ल, जो स्थानीय (native) और अन्य उच्च उत्पादन वाली नस्लों का मिश्रण है, ने आदिवासी परिवारों के लिए एक नई राह खोली। यह नस्ल न केवल स्थानीय पर्यावरण में अच्छे से ढलने में सक्षम है, बल्कि इसकी उपज भी अन्य नस्लों की तुलना में ज़्यादा है।

‘प्रतापधन’ पोल्ट्री नस्ल के फ़ायदे (Advantages of ‘Pratap Dhan’ poultry breed)

प्रतापधन पोल्ट्री बर्ड्स की विशेषताएं और लाभ आदिवासी किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित हुए हैं। यहां हम कुछ प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान देंगे:

  1. आकर्षक रंगीन पंखों का पैटर्न: इन बर्ड्स का रंगीन पंखों का पैटर्न उन्हें अन्य नस्लों से अलग करता है। ग्रामीण लोग रंगीन पक्षियों को पसंद करते हैं, और इसकी सुंदरता उन्हें आकर्षित करती है। यह बर्ड्स प्राकृतिक शिकारियों से सुरक्षा प्राप्त करने में भी सक्षम होते हैं क्योंकि उनके पंखों का रंग उन्हें आस-पास के पर्यावरण में मिश्रित कर देता है।
  2. स्थानीय वातावरण में अच्छा अनुकूलन: ये पक्षी स्थानीय वातावरण में अच्छे से ढलने के लिए सक्षम हैं। इन्हें कम गुणवत्ता वाले आहार और पानी से कोई दिक्कत नहीं होती। यहां तक कि अगर आसपास गंदगी हो, तो भी ये पक्षी अपने लिए खाना ढूंढने में सक्षम होते हैं।
  3. पोल्ट्री पालन के लिए कम लागत और अच्छा उत्पादन: प्रतापधन नस्ल के पक्षियों का शरीर वजन अन्य स्थानीय नस्लों के मुकाबले 90 से 110% अधिक होता है। साथ ही, ये पक्षी जल्दी बढ़ते हैं और 150 दिनों में अंडे देना शुरू कर देते हैं, जबकि स्थानीय नस्लों को इस प्रक्रिया में लगभग 182 दिन लगते हैं। इसके अलावा, इन पक्षियों द्वारा पैदा किए गए अंडे भूरे रंग के होते हैं, जो आदिवासी परिवारों के आहार के लिए अच्छा विकल्प साबित होते हैं।

आदिवासी किसानों की सफलता की कहानी (Success story of Tribal Farmers)

कई आदिवासी किसान अब ‘प्रतापधन’ पोल्ट्री नस्ल से खुश हैं। उन्होंने न केवल अपनी आय में बढ़ोतरी देखी है, बल्कि इससे उन्हें पोषण संबंधी समस्याओं को हल करने में भी मदद मिली है। एक पोल्ट्री इकाई (20 बर्ड्स) से सालभर में करीब ₹15,250 की आय हो रही है, जो कि स्थानीय नस्लों के मुकाबले 274% अधिक है, जहां आय केवल ₹6,590 होती है।

इससे न केवल उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है, बल्कि यह योजना उनकी पलायन प्रवृत्ति को भी रोकने में मदद कर रही है। भूमि रहित किसान अब अपने गांवों में ही रहकर एक स्थिर जीवन जी पा रहे हैं।

बैकयार्ड पोल्ट्री फ़ार्मिंग के लाभ (Benefits of Backyard Poultry Farming)

बैकयार्ड पोल्ट्री फ़ार्मिंग (Backyard Poultry Farming) एक बेहतरीन और कम खर्चीला तरीका है, जो आदिवासी और ग्रामीण परिवारों के लिए बहुत फ़ायदेमंद हो सकता है। इस फ़ार्मिंग से किसानों को पोषण सुरक्षा मिलती है, और यह उनके परिवारों की आय में वृद्धि भी करता है।

बैकयार्ड पोल्ट्री फ़ार्मिंग के प्रमुख फ़ायदे (Major Benefits of Backyard Poultry Farming)

  1. आजीविका का स्थिर स्रोत: बैकयार्ड पोल्ट्री फ़ार्मिंग (Backyard Poultry Farming) किसानों के लिए एक स्थिर आय का स्रोत बन सकता है, खासकर जब इसे हाइब्रिड नस्लों के साथ किया जाए। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन को भी कम किया जा सकता है।
  2. स्वास्थ्य में सुधार:  इस फ़ार्मिंग से ग्रामीण परिवारों को ताजे अंडे और मांस मिलते हैं, जिससे उनका प्रोटीन का सेवन बढ़ता है और स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  3. कम लागत और बढ़ी हुई उपज: यह फ़ार्मिंग कम लागत में की जा सकती है, और इससे ज़्यादा अंडे और मांस प्राप्त होते हैं। हाइब्रिड बर्ड्स की मदद से उत्पादकता भी बढ़ जाती है।

बैकयार्ड पोल्ट्री फ़ार्मिंग कैसे करें? (How to do Backyard Poultry Farming?)

यदि आप भी बैकयार्ड पोल्ट्री फ़ार्मिंग (Backyard Poultry Farming) शुरू करना चाहते हैं, तो यहां कुछ मुख्य चरण दिए गए हैं:

  1. स्थान का चयन: सबसे पहले आपको एक अच्छे स्थान की आवश्यकता होगी, जो उनके लिए सुरक्षित और आरामदायक हो। यह स्थान स्वच्छ और हवादार होना चाहिए।
  2. पोल्ट्री बर्ड्स का चयन: आप स्थानीय नस्लों या हाइब्रिड नस्लों में से कोई एक चुन सकते हैं। हाइब्रिड नस्लों जैसे प्रतापधन अधिक उपज देती हैं और ये आदिवासी क्षेत्रों में अच्छे से ढल सकती हैं।
  3. उपकरण और देखभाल:  पोल्ट्री बर्ड्स के लिए आवश्यक उपकरण जैसे बर्तन, घोंसला, पानी की पद्धति और खाद्य व्यवस्था तैयार करें। इन्हें नियमित रूप से साफ और सुरक्षित रखना ज़रूरी है।
  4. स्वास्थ्य की देखभाल: उनकी नियमित जांच और टीकाकरण करना भी महत्वपूर्ण है, ताकि वे किसी भी बीमारी से बच सकें और अच्छा उत्पादन कर सकें।

निष्कर्ष (Conclusion)

बैकयार्ड पोल्ट्री फ़ार्मिंग (Backyard Poultry Farming) ने आदिवासी परिवारों की जीवनशैली में एक नया मोड़ लाया है। ‘प्रतापधन’ पोल्ट्री नस्ल ने किसानों को न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से सशक्त किया है, बल्कि उनकी पोषण सुरक्षा में भी मदद की है। यह योजना आदिवासी किसानों के लिए एक स्थिर आय का स्रोत बन चुकी है, और इससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है। अब आदिवासी समुदाय के लोग अपनी जमीन पर ही खुशहाल जीवन जी रहे हैं, और उनकी यह सफलता अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन सकती है।

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